हेमंत कुमार का एक और बंजारा गीत: फिर भी चला जाए दूर का राही ।
रेडियोवाणी पर इन दिनों हेमंत कुमार के गानों का नशा छाया है । ये ऐसा नशा है जो जब चढ़ जाता है तो बहुत दिनों तक नहीं उतरता । इस सिलसिले की पहली पोस्ट थी--'जनम जनम बंजारा हूं बंधू' । और मैंने उसमें भी कहा था कि हम अपने मन के बंजारे हैं । अपने मन के बयाबान में विचरण करते रहते हैं । हेमंत दा के कई ऐसे गीत हैं, जिनमें यायावरी का स्पर्श है । हेमंत दा यायावरों के गायक हैं ।
अब देखिए ना 'दूर का राही' फिल्म का जो गीत आज मैं लेकर आया हूं, वो उस समय आपको बहुत ही अच्छा लगेगा जब आप किसी सफर पर निकले हों और ये सफर ट्रेन से हो रहा हो । और आपको खिड़की वाली सीट मिली हो और आप खिड़की के कांच से नाक सटाकर तेज़ी से भागते और पीछे छूटते पेड़ों को देख रहे हों । गांवों को देख रहे हों । और तभी आपको एक चरवाहा टीले पर जबर्दस्त फुरसत में बेफिक्र बैठा नज़र आ जाये । और तब आपका जी भीतर तक जल जाए कि आपकी किस्मत ऐसी क्यों नहीं । ( हालांकि ऐसा होने का आपके भीतर साहस नहीं ) और तब आपके सपनों की दुनिया खुलती चली जाए, जिसमें आप गलियों चौराहों, शहरों कस्बों और गांवों, पहाड़ों और नदियों को पार करते हुए चले जा रहे हैं । बस चले जा रहे हैं । ना कोई मंजिल है ना कोई साया है, चुप है ज़मीं दूर आसमां ।
ऐसी यायावरी का गीत है ये । आईये सुना जाए । लेकिन पहले ये भी बता देना मैं अपनी जिम्मेदारी समझता हूं कि ये गीत सन 1971 में आई फिल्म 'दूर का राही' का है । शैलेंद्र ने इसे लिखा है । संगीत किशोर कुमार का है । इस गाने के ख़ामोश साज़ों और विकल कोरस पर आपको ख़ास ध्यान देना है । मुझे ऐसे विकल कोरस खास तौर पर पसंद हैं । और वो भी हेमंत दा की आवाज़ के पीछे । जल्दी ही हेमंत दा का एक तूफानी गीत लेकर आऊंगा जिसमें कोरस का बेक़रार खेल है ।
चलती चली जाए जीवन की डगर
मंजि़ल की उसे कुछ भी ना ख़बर
फिर भी चला जाए दूर का राही ।।
मुड़ के ना देखे, कुछ भी ना बोले
भेद अपने दिल का राही ना खोले
आया कहां से, किस देश का है
कोई ना जाने, क्या ढूंढता है
मंजिल की उसे कुछ भी ख़बर
फिर भी चला जाए दूर का राही ।।
झलके ना कुछ भी, आशा-निराशा
क्या कोई समझे, नैनों की भाषा
चेहरा कि जैसे, कोई सफ़ा है * सफा: पन्ना
किस्मत ने जिस पर कुछ ना लिखा है
मंजिल की उसे कुछ भी ख़बर
फिर भी चला जाए दूर का राही ।।
अगर इस गाने ने आपको यायावरी पर मजबूर किया है, तो बहुत अच्छा है । अगर इस गाने ने आपको व्यस्तताओं से समय निकाल कर छोटा सा पिकनिक मनाने को कहा है तो भी अच्छा है ।
8 comments:
यूनुस भाई
सुबह सुबह हेमंत दा का ये लाजवाब गीत सुनवा कर दिन की क्या शानदार शुरुआत करवा दी है आप ने. शुक्रिया कहते जबान नहीं थकती. शुक्रिया...शुक्रिया...शुक्रिया..
नीरज
bahut hi sundar geet hai..
[by the way rafi/kishore ke clone singers bahut hain--hemant kumar ka koi clone singer suna nahin abhi tak.]
यायावरी? इसने तो मुझे चुपचाप सोचने का मसाला दे दिया। कह सकते हो मानसिक यायावरी करने का।
इस गीत का क्या कहना। दूर का राही के सभी गीत बहुत प्यारे हैं। मेरी कैसट लायब्रेरी के आरम्भिक नगीना।
क्या शब्द चित्र खींचा है हम तो रेल यात्रा भी कर आए
jaaney kya baat hai..lifelogger ki koi bhi post sun nahi paa rahi huun aaj :[
लाजवाब गाना.
पारूल कई लोगों की शिकायत थी इसलिए लाईफलॉगर से हटाकर नये प्लेयर पर गीत डाल दिया है । आशा है आप सुन पायेंगी ।
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