'वहां कौन है तेरा मुसाफिर जायेगा कहां' : फिल्म गाईड के निर्माण से जुड़ी दिलचस्प बातें
85 बरस के देव आनंद इस साल पहली बार cannes film festival में जा रहे हैं । उनकी सदाबहार फिल्म 'गाईड' को इस साल कान्स फिल्म समारोह के 'क्लासिक्स-सेक्शन' के लिए चुना गया है । मुंबई के अंग्रेज़ी अख़बार The Hindustan Times की रोशमिला भट्टाचार्य ने बाईस अप्रैल के अख़बार में फिल्म 'गाईड' के निर्माण से जुड़ी दिलचस्प बातें लिखी हैं । ये उन्हीं के लेख का हिंदी अनुवाद है ।
देव आनंद कहते हैं कि जब मैंने नोबेल पुरस्कार विजेता पर्ल एक बक के साथ भारत और अमरीकी सहयोग से बनने वाली फिल्म 'गाईड' को घोषणा की तो लोगों ने कहा कि मेरा दिमाग़ ख़राब हो गया है । पर्ल एस बक ने फिल्म के अंग्रेज़ी संस्करण का प्रोडक्शन भी किया था और स्क्रिप्ट पर भी काम किया था । देव आनंद ने साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त आर. के. नारायण की पुस्तक 'गाईड' को चुना था और ये फिल्म संसार में बेहद चर्चा का विषय बन गया था । सभी का कहना था कि देव आनंद जैसे स्टार को एक ऐसे टूरिस्ट गाईड की भूमिका निभाने की क्या ज़रूरत है, जिसने अनैतिक संबंधों से लेकर धोखाधड़ी तक दुनिया भर के पाप किए हैं । और फिल्म के अंत में जाकर वो एक ठिकाने का काम करता है । इस पर देव आनंद का जवाब थ कि लीक से हटकर जीवन जीने के लिए व्यक्ति के भीतर एक पागलपन का तत्त्व होना ज़रूरी है । गाईड राजू में वही पागलपन मौजूद है । ( पर्ल एस बक की ये तस्वीर विकीपीडिया से साभार )
जब ये तय हो गया कि देव आनंद ही राजू का किरदार निभाएंगे तो तलाश शुरू हुई रोज़ी की । 'गाईड' के अंग्रेज़ी संस्करण के निर्देशन की जिम्मेदारी Tad danielwski को सौंपी गयी थी और उनका कहना था कि गाईड राजू की रोज़ी तो लीला नायडू ही हो सकती हैं । उन्होंने vogue पत्रिका में लीला नायडू को दुनिया की दस सबसे खूबसूरत महिलाओं के तौर पर देखा था । इस्माइल मर्चेन्ट की फिल्म The Householder भी टैड ने देख रखी थी और उनका मानना था कि लीला नायडू इस भूमिका के लिए परफेक्ट रहेंगी । लेकिन देवआनंद को लीला नायडू जम नहीं रही थीं । उनका कहना था कि रोज़ी एक लज्जावान भारतीय स्त्री नहीं थी । वो स्वतंत्र विचारों वाली, जुनूनी स्त्री थी और सबसे बड़ी बात वो एक नर्तकी थी । जबकि लीला नायडू नर्तकी नहीं थीं । फिर पद्मिनी के नाम पर विचार किया गया । फिर बारी आई वैजयंतीमाला की । लेकिन टैड इन नामों में से किसी पर भी सहमत नहीं हुए । फिर देव आनंद ने वहीदा रहमान के नाम का सुझाव दिया और Tad danielwski इससे सहमत हो गए । (लीला नायडू की तस्वीर इस वेबसाईट से साभार )
सवाल ये था कि क्या वहीदा रहमान एक शादीशुदा महिला का किरदार निभाने को राज़ी होंगी, जो अपने सपनों को पूरा करने के लिए बड़े साहस के साथ अपने वृद्ध और नपुंसक पति को छोड़कर एक युवा गाईड के साथ भाग निकलती है । पर वहीदा राज़ी हो गईं । जब फिल्म 'नीलकमल' के निर्देशक राम माहेश्वरी को वहीदा के इस 'खलनायिकानुमा' रोल की ख़बर मिली तो वो भड़क गए । उन्होंने वहीदा से कहा कि मेरी फिल्म और अपने कैरियर को तबाह मत करो । मेरी फिल्म में तुम सीता की भूमिका कर रही हो । लेकिन वहीदा रहमान ने तय कर लिया था । वो अपने आप को सती-सावित्री वाली भूमिका में बांधकर नहीं रखना चाहती थीं । वहीदा का कहना था कि जिंदगी में कई बार ऐसे मौक़े आते हैं जब कोई भी महिला रोज़ी की तरह फैसले करती है और बाद में रोज़ी की ही तरह अपने फैसले पर पछताती भी है । वहीदा रहमान को पूरा यक़ीन था कि वो दर्शकों से रोज़ी प्रति सहानुभूति जुटा लेंगी ।
लेकिन वहीदा रहमान के सामने एक और दिक्कत थी । जब उन्हें पता चला कि राज खोसला गाईड का निर्देशन करेंगे तो उन्होंने अपने हाथ पीछे खींच लिये । दरअसल फिल्म 'सोलहवां सावन' के निर्माण के दौरान वहीदा और राज खोसला की अनबन हो गयी थी । और वहीदा ने तय किया था कि अब वो कभी राज खोसला के साथ काम नहीं करेंगी । देव आनंद को समझ में आ गया कि वहीदा रहमान की ख़ातिर उन्हें राज खोसला को हटाना होगा । बड़ी दिक्कत थी । जब राज खोसला को हटा दिया गया तो फिर सवाल उठा कि गाईड का निर्देशन कौन करे । और इस बार देव आनंद ने दरवाज़ा खटखटाया अपने बड़े भाई साहब चेतन आनंद का । जिन्होंने नवकेतन के पहली फिल्म 'अफसर' का निर्देशन किया था ।
फिल्म गाईड के निर्माण्ा से जुड़ी कुछ और दिलचस्प बातें कल ।
आर के नारायण की पुस्तक 'द गाईड' गूगलबुक्स पर यहां पढ़ें ।
जाने से पहले आपको फिल्म गाईड का सबसे कम चर्चित और मेरा पसंदीदा गीत सुनवाता जाऊं । इसे संगीतकार कुमार सचिन देव बर्मन ने स्वयं गाया है । रचना शैलेन्द्र की है । अपने संगीत और गायकी में ये गाना मुझे सर्वोत्कृष्ट लगता है । इस गाने में मुखड़े के बाद सितार, तबले और बांसुरी की तान सुनिए । और अपने मन के बयाबान में खो जाईये ।
इस गाने से पहले अपने मन की कुछ बातें कहना चाहता हूं । पिछली कुछ पोस्टों से बिना किसी योजना के ये हो गया है कि बंजारे मन के गाने रेडियोवाणी पर बजाए जा रहे हैं । संयोग देखिए कि गाइड पर इस पोस्ट को लिखते हुए मैंने सोचा नहीं था कि ये गाना लगाऊंगा । पर सच मानिए कि मेरे जैसे बंजारे मन वाले व्यक्ति के दिल के क़रीब ये गाना नहीं होगा तो भला और कौन सा होगा । इस गाने का एक एक शब्द दिल पर उतरता है । आप चाहे जिस भी परिस्थिति में हों, ये आपको अपने जीवन की कहानी लगेगी । इस गाने के ज़रिए मैं गीतकार शैलेन्द्र को सलाम भी कर रहा हूं ।
वहां कौन है तेरा मुसाफिर जायेगा कहां
दम ले ले घड़ी भर ये छैंया पाएगा कहां
बीत गये दिन, प्यार के पल छिन
सपना बनी वो रातें
भूल गये वो, तू भी भुला दे
प्यार की वो मुलाक़ातें
सब दूर अंधेरा, मुसाफिर जाएगा कहां ।।
कोई भी तेरी राह ना देखे, नैन बिछाए ना कोई
दर्द से तेरे कोई ना तड़पा, आंख किसी की ना रोई
कहे किसको तू मेरा, मुसाफिर जाएगा कहां ।।
कहते हैं ज्ञानी, दुनिया है फ़ानी
पानी में लिखी कहानी
है सबकी देखी, है सबकी जानी
हाथ किसी के ना आई,
कुछ तेरा ना मेरा, मुसाफिर जायेगा कहां ।।
दम ले ले घड़ी भर ये छैंया पायेगा कहां ।।
11 comments:
बहुत सुन्दर पोस्ट !
कुछ और लिखने के लिए मेरे पास शब्द नहीं है।
सिर्फ़ इतना बता दूँ कि देव आनन्द मेरे सबसे ज्यादा पसन्दीदा नायक है और गाईड मेरी सबसे ज्यादा पसन्दीदा फ़िल्म।
सिर्फ़ फ़िल्मी हीरो के रूप में ही नहीं बल्कि उनका हमेशा सक्रिय रहना और समय के साथ चलने का जीवन का अन्दाज़ हमें बहुत भाता है।
यूनुस जी मेरे लिए आपके सारे चिट्ठे एक तरफ़ है और यह अकेली पोस्ट एक तरफ़।
यूनुस जी इस पोस्ट के लिये धन्यवाद... गाइड जैसे फिल्में बहुत ही कम बनती हैं... गाइड मेरी क्या लगभग जिसने भी देखी है उसकी पसंदीदा फ़िल्म होगी. बस इतनी विस्तृत जानकारी नहीं थी.
बस एक बात खली आपने सचिन दा के इस गाने को कम चर्चित कहा... मुझे नहीं लगता की ये गाना कम चर्चित है... चाहे बोल हो, धुन हो या फिर गायकी... ये गाना हमारे हॉस्टल में अक्सर बजा करता था... सचिन दा का ये और बंदिनी का गाना हमारे पसंदीदा गानों की लिस्ट में आता है...
साथ ही कुछ लिंक भी काम नहीं कर रहे उनको ठीक कर दीजिये.
वहीदा रहमान ने तय कर लिया था । वो अपने आप को सती-सावित्री वाली भूमिका में बांधकर नहीं रखना चाहती थीं । वहीदा का कहना था कि जिंदगी में कई बार ऐसे मौक़े आते हैं जब कोई भी महिला रोज़ी की तरह फैसले करती है और बाद में रोज़ी की ही तरह अपने फैसले पर पछताती भी है ।
सच तो है यूनुस जी, आदर्श स्थितियाँ हमेशा कहाँ बन पाती है और दूसरा पहलू ये भी है कि आदर्श स्थिति ना बन पाने के पछतावे भी भोगने ही पड़ते हैं
हो सकता है कि गाइड फिल्म का ये सब से कम चर्चित गीत हो लेकिन मुझे सबसे अधिक पसंद है यह...साथ में वर्मन जी की आवाज़ जो मुझे सूफियानी सि लगती है।
आज सुनवाने का शुक्रिया..!
पोस्ट तो हमेशा की तरह अच्छी है। पर आज हम ये गीत नही सुन पा रहे है पता नही क्या प्रॉब्लम है। खैर ।
हम भी कल की तरह गीत नही सुन पा रहे- वैसे गीत हमारी पसंद का है-और जानकारी बिल्कुल नयी---
यूनुसजी,पोस्ट खूब बढ़िया चढाई है इसकी बधाई स्वीकार करें....पर गाना सुन नहीं पा रहे...प्रमोद की भी कुछ दिन पहले यही समस्या थी...लगता है लाईफ़ लॉगर की कुछ समस्या है...एक्टिव नहीं हो रहा.....
यह गीत बहुत प्रिय है। बहुत ही प्रिय। इतना कि जब मेरे पास कैसेट में था तो कैसेट घिस गया था!
महादेवी वर्मा के महाविद्यालय के फोटो भेज दूं, तब यूनुस से इसके ई-मेल की डिमाण्ड करूं।
सभी मित्रो को शुक्रिया । फिल्म गाईड का ये गीत लाईफलॉगर पर बज नहीं रहा था । अब इंटरनेट आर्काइव के जरिए लगाया है । यहां से इसे डाउनलोड करना भी मुमकिन है । जरा राइट क्लिक कीजिए ।
अब बताईये बज रहा है या नहीं ।
हम्म!
मेरे एकाद मित्रों ने इस फिल्म को लगातार १७ बार देखी वे इस फिल्म की तारीफ करते नहीं थकते..
इतनी तारीफ सुनने के बाद जब मैने यह फिल्म देखी मुझे उसमें ऐसा कुछ खास नहीं लगा जिसके लिये लोग इतनी तारीफ करते रहे हैं।
वहीदाजी ने तो फिर भी अभिनय बढ़िया किया पर देव साहब का अभिनय तो हमेशा की तरह ओवर एक्टिंग किस्म का लगा।
अति सामान्य फिल्म.. और उतनी ही सामान्य कहानी। हाँ बर्मन दा का संगीत माशाअल्लाह..
बहुत अच्छी जानकारी मुहेया कराई आपने यूनुस भाई। रही इस गाने की बात तो ये कम चर्चित तो कभी नहीं रहा।
एस डी बर्मन के गाये सबसे बेहतरीन नग्मों की जब भी बात आती है तो मेरे साजन हैं उस पार और वहाँ कौन है तेरा सबसे पहले उभरते हैं। वैसे गाइड के सारे गाने ही अच्छे थे पर इस गीत की बात ही कुछ अलहदा थी।
युनुस भाई गाईड सच मे एक ऎसी थी जिसे जितनी बार देखो कम, मेरी पसंद की गिनी चुनी फ़िल्मे हे जिन मे एक गाईड भी हे, फ़िर इस के सभी गीत भी अति मन भावन, वहां कोन हे तेरा.. मे इसे अकसर सुनता हु ओर एक शकुन (शान्ति)मिलता हे ,बहुत धन्यवाद इस सुन्दर लेख के लिये.
**कोई भी तेरी राह ना देखे, नैन बिछाए नाकोई
**दर्द से तेरे कोई ना तड़पा, आंख किसी की ना रोई
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