संगीत का कोई मज़हब, कोई ज़बान नहीं होती। 'रेडियोवाणी' ब्लॉग है लोकप्रियता से इतर कुछ अनमोल, बेमिसाल रचनाओं पर बातें करने का। बीते नौ बरस से जारी है 'रेडियोवाणी' का सफर।

Sunday, April 20, 2008

हेमंत दा की सुरीली तान: ये नयन डरे डरे: फिल्‍म कोहरा 1965 ।

अचानक रेडियोवाणी पर हेमंत कुमार के गानों का सुरूर चढ़ गया है । ऐसा पिछली पोस्‍ट के बंजारे गीत के बाद हुआ है । राहगीर फिल्‍म का जनम जनम बंजारा हूं बंधु । मुझे सब पुराने दिन याद आ गये हैं । जब हेमंत कुमार के गानों के लिए हम भटका करते थे और फिर किसी म्‍यूजि़क शॉप वाले को लिस्‍ट दी जाती और एक 'धांसू' कैसेट तैयार होता जिसे इतना बजाया जाता इतना बजाया जाता कि वो घिसने के कगार पर पहुंच जाता ।

ऐसे समय में मिला था फिल्‍म कोहरा का ये गीत । इस गाने के बोल बड़े  hemantअजीब से हैं । छोटे अंतरे हैं और हेमंत कुमार वाली सादगी है इसमें । मिनिमम म्‍यूजिक वाला गाना है ये । आपको बता दें कि सन 1964 में आई थी फिल्‍म 'कोहरा' । इस फिल्‍म के कलाकार थे विश्‍वजीत, वहीदा रहमान और ललिता पवार वग़ैरह । संगीत हेमंत कुमार का ही था और गीत कैफी आजमी के । बीरेन नाग ने इस फिल्‍म का निर्देशन किया था । आईये ये गीत पढ़ें और सुनें ।




ये नयन डरे डरे, ये जाम भरे-भरे

ज़रा पीने दो ।
कल की किसको ख़बर, इक रात होके निडर
मुझे जीने दो ।
ये नयन डरे डरे ।
रात हंसी ये चांद हंसी तू सबसे हंसीं मेरे दिलबर
और सबसे हसीं तेरा प्‍यार
तू जाने ना ।
ये नयन डरे डरे ।।
प्‍यार में है जीवन की खुशी देती है खुशी कई ग़म भी
मैं मान भी लूं कभी हार
तू माने ना ।
ये नयन डरे डरे ।।


आप इस गाने का आनंद लीजिए । फिलहाल आपको ये भी बता दूं कि रेडियोवाणी की पुरानी पोस्‍टों की धीरे धीरे मरम्‍मत की जा रही है । कई गाने बजने बंद हो गये हैं । कई लिंक पुराने पड़ गये हैं । ये काम सुस्‍ती से होने वाला काम है । पर मैं पूरी तन्‍मयता से इसे करना चाहता हूं । क्‍या आप मुझे 201 वीं पोस्‍ट की बधाई नहीं देंगे ।

16 comments:

PD April 20, 2008 at 9:27 AM  

बहुत बढ़िया लगा जी आपका ये पोस्ट.. अभी सोकर उठा और लेटे लेटे ही ब्लौगवानी खोला तो आपका पोस्ट सबसे ऊपर था.. गाना सुन कर सुबह अच्छी हो गई..
२०१ वीं पोस्ट के लिए बधाई.. :)

PIYUSH MEHTA-SURAT April 20, 2008 at 9:43 AM  

Congratulations. Waiting for 1001th post.

Manish Kumar April 20, 2008 at 11:17 AM  

चलिए माँगा है तो बधाई दिये देते हैं :)। पर असली बधाई तब मिलेगी जब आप इन पोस्टों में अपनी पसंदीदा पोस्टों की फेरहिस्त लिंक के साथ हम सब के सामने पेश करेंगे। हेमंद दा का ये नग्मा मेरे चहेतों गीतों में आता है। यहाँ चढ़ाने का शुक्रिया.

उन्मुक्त April 20, 2008 at 11:19 AM  

डबल शतक की बधाई। अल्लाह कर हजार शतक पूरे करें।

Sanjeet Tripathi April 20, 2008 at 11:53 AM  

बंजारगी का सरूर जब चढ़ता है तो उसका मजा ही कुछ और होता है म्यां , ये तो इस आवारा बंजारा से पूछो ;)

शुक्रिया इस बहुत बढ़िया गाने के लिए!

और हां बधाई, ऐसे ही न जाने कितने शतक ठोंकें आप।

राज भाटिय़ा April 20, 2008 at 12:30 PM  

मेरे पसंद के गीत मे से एक यह भी, बहुत धन्यवाद २०१ की मुबारक , ओर इस सुन्दर गीत के लिये फ़िर से शुकरिया.

sanjay patel April 20, 2008 at 12:47 PM  

२०२ वीं पोस्ट में आँचल में क्यों बांध लिया मुझ परदेसी का प्यार (हेंमत दा का रंगतरंग में ख़ूब बजने वाला गै़रफ़िल्मी गीत))सुनवाइये तो २०१ वीं पोस्ट की मुबारकबाद दूंगा....ये deal मीठी है न ?

कंचन सिंह चौहान April 20, 2008 at 1:04 PM  

waah waah Yunus ji .... maza aa gaya ... hemant ji ki awaz alag aur is geet ka mood alag..thanks

Yunus Khan April 20, 2008 at 1:51 PM  

शुक्रिया मित्रो ।
संजय भाई वो गाना जल्‍दी ही आ रहा है ।
और हां मनीष मेरे पसंदीदा गानों की लिंकित सूची नहीं बल्कि सूचियां तैयार हो रही हैं ।
वो भी जल्‍दी ही ।

मीनाक्षी April 20, 2008 at 3:19 PM  

अभी तो आपने हज़ारों शतक बनाने हैं... शुभकामनाएँ आपके साथ हैं...
हेमन्त दा का यह गीत बार बार सुन रहे हैं और आनन्द ले रहे हैं... बहुत बहुत शुक्रिया

Gyan Dutt Pandey April 20, 2008 at 4:18 PM  

बधाई डब्बल सेन्चूरी। और हर पोस्ट सिक्सर रही!

Anita kumar April 20, 2008 at 6:13 PM  

201? really, wow, CONGRATULATIONS & CELEBRATIONS, lekin hum toh 2001 ki party ka intezaar ker rahe hain ji

poorani posts ki soochi ka intezaar hai jaise Manish ji ne daali thi

नितिन | Nitin Vyas April 20, 2008 at 6:52 PM  

२०१ वीं पोस्ट के लिए बधाई!

डॉ. अजीत कुमार April 20, 2008 at 7:06 PM  

हेमंत दा का गाया एक और बेहतरीन गाना आपने सुनवाया. उनका हरेक गीत अपने आप में एक धरोहर है. सब गीत मानो दिल को हौले हौले स्पर्श करते हैं और मन कहीं दूर वादियों में अठखेलियाँ करता जाता है.

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` April 20, 2008 at 7:36 PM  

बधाई डब्बल सेन्चूरी --
well done Basshao ! :)

बेहतरीन गाना आपने सुनवाया.
बहुत शुक्रिया...

Abhishek Ojha April 21, 2008 at 8:24 PM  

पहले तो बधाई स्वीकारें... और दुसरे पार्टी कब और कहाँ है ये बतायें? आख़िर छोटे भाइयों को भी तो कुछ मिलना चाहिए ना !

और तीसरा ये की ये गाना सुनाने के लिए धन्यवाद... ये गाना जगजीत सिंह ने भी गाया है... close to my heart नामक एल्बम में उन्होंने अपने कुछ पसंदीदा गाने गाए थे... कहीं मिले तो सुनियेगा... बोल तो वही है, पर जगजीत सिंह ने भी अच्छा गाया है.... और हेमंत दा का तो कोई जवाब है ही नहीं.
धन्यवाद !

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