घोड़ा पिशौरी मेरा--रफ़ी साहब का एक यादगार तांगा-गीत
31 जुलाई मोहम्मद रफी की याद का दिन होता है । ज़ाहिर है कि इस दिन रेडियो से आपको दिन भर रफ़ी साहब के गाए गाने सुनाए देते हैं। यूं तो हर दिन रफ़ी साहब का है। उनके बिना कोई रेडियो-स्टेशन, टी.वी.चैनल, कोई आई.पॉड, कोई म्यूजिक-प्लेयर नहीं चलता।
रेडियोवाणी पर हमारा प्रयास यही रहता है कि लोकप्रिय और प्रचलित रचनाओं से इतर कुछ नया, अनसुना और अलग सुनवाया जाए। रफ़ी साहब का एक ऐसा गाना आज हम आपके लिए 'रेडियोवाणी' पर लेकर आये हैं जो सुनने, देखने और पढ़ने तीनों में आपको अद्भुत लगेगा। और ज्यादा सुनाई भी नहीं देता ये गाना। बाईं ओर जो तस्वीर आप देख रहे हैं उसमें मोहम्मद रफ़ी और जाने-माने मुक्केबाज़ मोहम्मद अली एक दूसरे पर मुक्के ताने नज़र आ रहे हैं। तस्वीर फ्लिकर के इस यूज़र-अकाउंट से साभार है।
सन 1963 में नरेश सहगल की फिल्म आई थी--'प्यार का बंधन'। कलाकार थे राजकुमार, निशी, नाज़, जॉनी वॉकर, हेलेन वग़ैरह। इस फिल्म के गाने नक्श लायलपुरी ने लिखे थे और संगीतकार थे रवि। दिलचस्प बात ये है कि इस फिल्म के जिस गाने का आज जिक्र है--उसमें फिल्म के हीरो राजकुमार शानदार अंदाज़ में तांगा चला रहे हैं। तांगे वालों के गीत सिनेमा में और भी आए हैं। 'नया दौर' को याद करें जिसमें दिलीप साहब खांटी तांगा-वाले लगे थे। यहां राजकुमार भी खांटी तांगावाले ही लग रहे हैं। इस गाने में रफ़ी साहब के गाने का पंजाबी टोन बड़ा ख़ूबसूरत लगता है। अफ़सोस कि अब फिल्मों में ऐसे गानों की गुंजाईश नहीं रही।
एक ज़माने में अनगिनत ऐसे गीत आए जिनमें 'तांगा-रिदम' था। और कुछ गीत तो ऐसे हैं जो तांगा-रिदम के बावजूद फिल्माए तांगे पर नहीं गए हैं । तांगा-गीतों पर मैंने 'भास्कर' में यहां एक लेख लिखा है। वैसे रफ़ी साहब के बारे में एक दिलचस्प बात ये है कि उन्होंने जिंदगी के कुछ ज़रूरी काम करने वाले मेहनती लोगों के कई गाने गाए। छोटी-सी फेहरिस्त--
मैं एक रिक्शा-वाला (फिल्म छोटी बहन) रिक्शा वाले का गीत
मूलीराम और भिंडीमल (फिल्म दुल्हन) सब्ज़ी वाले का गीत
बरतन क़लई करा लो (फिल्म गर्ल्स हॉस्टल) बर्तन क़लई कराने वाले का गीत
मालिश तेल मालिश (प्यासा) चंपी-वाले का गीत
ले लो चूडियां (घर की लाज) चूड़ी वाले का गीत
तो आईये आज रफ़ी साहब की पुण्यतिथि वाले दिन रफ़ी का ये अलबेला गाना सुनें।
यहां सुनिए।
song:ghoda pishori mera
singer:: mohd rafi
lyrics:
music:ravi
film: pyar la bandhan
year: 1963
घोड़ा पिशौरी मेरा, तांगा लाहौरी मेरा,
बैठो मियांजी बैठो लाला मैं हूं अलबेला तांगे वाला।
टांगें थकेंगी यारो, टांगे में आओ
गर्मी बड़ी है यारो पैदल ना जाओ
होगा गुलाबी रंग काला, गुलाबी रंग काला
मैं हूं अलबेला तांगेवाला।
बचना ओ जाने वाले मैं तुझपे वारी
टकरा ना जाए कहीं शाही सवारी
रोता फिरेगा घर वाला
मैं हूं अलबेला तांगेवाला।
मेहनत मजूरी करूं, झुकना ना जानूं
आंधी तूफान में भी रूकना ना जानूं
अपना साईं है रखवाला, साईं है रखवाला
मैं हूं अलबेला तांगेवाला।
यहां देखिए ।
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18 comments:
वाह !!! बचपन की याद दिला दी......
...सुबह-सुबह इतना मस्त गीत...
रफ़ी जी को कभी भूल ही नहीं पायेंगे हम........
मेरा भी सलाम --मेहनती लोगों को......
.......धन्यवाद
महान गायक को नमन। बड़ा सुन्दर गीत।
रफ़ी के गए बेशुमार खूबसरत गानों में से चुन कर लाया यह गीत भी अनमोल है ..
इस अमर गायक को नमन ...!
३१ जुलाई .....
महान गायक
मुहोमद रफ़ी साहब की पुण्य तिथि पर
मैं ,
आपके इस अनुपम ब्लॉग के माध्यम से
अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करता हूँ ...
गीत सच-मुच बहुत रोचक है ... !
वाह मजा आ गया, रफ़ी साहब को नमन !!
पहली बार यह गीत सुना . रफ़ी साहिब को नमन
रफ़ी साहब मेरे सबसे प्रिय गायक हैं. अंतर्मुखी व्यक्तित्व, बहुमुखी प्रतिभा. सबसे बड़ी बात कि उन्होंने हर तरह ए गाने गाये हैं... उन्हें श्रद्धांजलि और आपको धन्यवाद ! ये गाना मैंने भी पहले नहीं सुना था.
वाह वाह! अद्भुत गीत, आज शायद २५ साल बाद सुन रहा हूं. आपने इस महान गायक की पुण्यतिथी पर लाजवाब गीत पेश किया है. नमन.
रामराम
achchhaa giit, bahut din se vbs par nahi suna.
rafi saahab kaa ek taangaa giit film laatsaahab me bhii hain -
jaane meraa dil kise dhoondh rhaa hain
annapurna
one of my favs....rafi sahab,,aapki bahut yaad aa rahi hai....aaj aap hote to hume aise hi kai or geet sun-ne ko milte...aap ke gaane sun kar insaan ban ne ki prerna hamesha logon ko milti rahegi....aap ko ashrupurn shraddhanjali.....
लाजवाब गीत, वैसे मैंने तो पहली बार ही सुना। पर अच्छा लगा।
…………..
प्रेतों के बीच घिरी अकेली लड़की।
साइंस ब्लॉगिंग पर 5 दिवसीय कार्यशाला।
Waah Yunus Bhai Bahot Pyaara Geet Hai Rafi Ji Ko Shat Shat Naman
Waah Yunus Bhai Bahot Pyaara Geet Hai Rafi Ji Ko Shat Shat Naman
अरे वाह!! आज एक लम्बे अरसे बाद यह गीत सुना..आनन्द आ गया. आभार.
इस ज़माने में तांगा और इक्का गुज़रे ज़माने की चीज़ें जैसी नज़र आतीं हैं पर रफ़ी साहब की आवाज़ आज भी ताज़ा तरीन और कल, परसों... भी वैसी ही मनमोहक रहेगी |
यक़ीन है कि आने वाली पीढ़ी उनके गाये कालजयी गीत वैसे ही आनन्द के साथ सुनेगी जैसे हम और आप सुनते हैं |
आपने जो आज के गीतों में पंजाबी टोन(की गुंजाइश )पर विचार व्यक्त किये उनसे पूरी सहमति है |
मुझे बहुत पसंद आया आपका ये सकल सफल प्रयास
दिल्ली से तो टाँगे की विदाई हो गयी है बस यही याद बाकी रह जायेगी
शानदार. युनूस भाई
yah pyara sa geet India's got Talent show ke 21 Aug ke program me ek 84 year old & blind person Mr Shankar Rao Kadam dwara ga kar sunaya gaya.
Gana Sun Kar Blog Yad Aa Gaya.
Bahut Pyara geet hai.
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