मन्ना दा का गाया गीत ऊपर गगन विशाल ।। 58 साल पुराना नग़मा
अहमदाबाद की यात्रा की वजह से रेडियोवाणी पर पिछले कई दिनों से कुछ जारी नहीं किया जा सका । अब गीतों का सिलसिला दोबारा शुरू किया जा रहा है । पिछले कुछ दिनों से मैं मन्ना दा के गीत सुन रहा हूं । शायद रेडियोवाणी पर पहले भी बताया है कि मन्ना दा को सुनने का शौक़ बचपन से ही लग गया था । वो पहले गायक थे जिनके गाने हम सभी मित्र ढूंढ ढूंढकर सुनते थे । और इसी खोज में मन्ना डे की गायी 'मधुशाला' हासिल हुई और बहुत आगे चलकर मिले मन्ना दा के गाये ग़ैर-फिल्मी गीत और ग़ज़लें । फिर मन्ना दा के गाए बांगला गीत भी मिले और एक पूरा ख़ज़ाना हमारे सामने आ गया ।
आज जो गीत रेडियोवाणी के ज़रिए आप तक पहुंचाया जा रहा है ये मन्ना दा का पहला हिट गीत था ।
आप जानते होंगे कि मन्ना डे का असली नाम था प्रबोधचंद्र डे । वो अपने ज़माने के प्रख्यात गायक के.सी.डे के भतीजे थे । सन 1940 में जब के.सी.डे बंबई आए तो मन्ना डे भी उनके साथ चले आये । और संगीतकार एच पी दास के सहायक बन गये । फिल्म 'रामराज्य' में उन्होंने अपना पहला गीत गाया और उसके बाद उन्हें लंबा स्ट्रगल करना पड़ा । उन्होंने वापस लौटने पर भी विचार किया । लेकिन इसी बीच उन्हें 'मशाल' फिल्म का ये गीत मिला ।
इस गाने से जुड़ी एक कथा सचिन देव बर्मन के बारे में भी है । सचिन देव बर्मन ने 'शिकारी' और 'आठ दिन' जैसी फिल्मों से अपनी संगीत यात्रा शुरू की थी । ये सन 1946 की बात है । इसके बाद उन्होंने 'दो भाई' फिल्म का बेहतरीन गीत ' मेरा सुंदर सपना बीत गया' भी दिया । जो गीता रॉय का पहला फिल्मी गाना था । लेकिन सचिन दा को कामयाबी नहीं मिल रही थी । निराश होकर सचिन देव बर्मन ने कोलकाता वापस लौटने का मन बना लिया था । उन दिनों सचिन देव बर्मन फिल्मिस्तान की फिल्म 'मशाल' में संगीत दे रहे थे । फिल्मिस्तान के पार्टनर अशोक कुमार सचिन देव बर्मन के क़द्रदान थे । उन्होंने सचिन दा को समझाया कि इस फिल्म का काम पूरा करके ही आगे के बारे में सोचें । सन 1950 की बात है ये । ख़ैर इस फिल्म के गाने 'ऊपर गगन विशाल' ने ना सिर्फ मन्ना डे की कि़स्मत बदल दी बल्कि सचिन देव बर्मन को भी मुंबई में स्थापित कर दिया ।
ये गीत कवि प्रदीप ने लिखा है । यू ट्यूब पर छानबीन करने से मुझे इसका वीडियो भी मिल गया है । तो चलिए सुनें 'ऊपर गगन विशाल' ।
ये गाना जैसे जैसे आगे बढ़ता है, इसके सुर ऊपर होते जाते हैं । ख़ासतौर पर इसका कोरस बड़ा ही विकल और उत्साहित करने वाला है ।
Subscribe Free Add to my Page
ऊपर गगन विशाल नीचे गहरा पाताल
बीच में धरती वाह मेरे मालिक तू ने किया कमाल
को: अरे वाह मेरे मालिक क्या तेरी लीला
तू ने किया कमाल
म: ऊपर गगन विशाल
म: एक फूँक से रच दिया तू ने
सूरज अगन का गोला
एक फूँक से रचा चन्द्रमा
लाखों सितारों का टोला
तू ने रच दिया पवन झखोला
ये पानी और ये शोला
ये बादल का उड़न खटोला
जिसे देख हमारा मन डोला
सोच सोच हम करें अचम्भा
नज़र न आता एक भी खम्बा
फिर भी ये आकाश खड़ा है
हुए करोड़ो साल मालिक
तू ने किया कमाल
ऊपर गगन विशाल
को: आ हा आ हा आ आ आ
म: तू ने रचा एक अद्भुत् प्राणी
जिसका नाम इनसान - २
इसकी नन्ही प्राण है लेकिन
भरा हुआ तूफ़ान
इस जग में इनसान के दिल को
कौन सका पहचान
इस में ही शैतान बसा है
इस में ही भगवान
बड़ा ग़ज़ब का है ये खिलौना - २
इसका नहीं मिसाल
मालिक तू ने किया कमाल ...
ऊपर गगन विशाल
को: आ आ आ आ आ आ।।