जगजीत कौर के सुनहरे नग्मे---देख लो आज हमको जी भरके--फिल्म बाज़ार का गीत
रेडियोवाणी पर मैंने पहले भी गायिका जगजीत कौर का जिक्र किया है । जगजीत कौर ने बहुत गाने नहीं गाए, लेकिन उनके ये मुट्ठी भर गीत फिल्म-संगीत के क़द्रदानों के लिए उनके गाने अनमोल दौलत की तरह हैं । जहां तक मुझे याद आ रहा है, हाल ही में महफिल वाले भाई सागर चंद नाहर ने जगजीत कौर का एक गीत अपने ब्लॉग पर चढ़ाया था । आज मैं आपके लिए जगजीत कौर का बेमिसाल गीत लेकर आया हूं ।
इस तस्वीर हैं संगीतकार खैयाम, उनकी पत्नी और गायिका जगजीत कौर और गीतकार साहिर लुधियानवी ।
सन 1982 में सागर सरहदी ने एक फिल्म बनाई 'बाज़ार' । फारूख़ शेख़, नसीरउद्दीन शाह, स्मिता पाटील और सुप्रिया पाठक जैसे कलाकारों के अभिनय से सजी थी ये फिल्म । इस फिल्म के संवाद भी कमाल के थे । अगर आप इस फिल्म का कैसेट या सी.डी. ख़रीदते हैं तो पायेंगे कि गानों से पहले कुछ संवाद भी सुनाई देते हैं । मैं कोशिश करूंगा कि आगे चलकर आपको 'बाज़ार' के कुछ सीन दिखाऊं । फिल्हाल तो इस गाने की बातें ।
ये मशहूर शायर मिर्ज़ा शौक़ ने लिखा है । दरअसल ये उनकी एक मशहूर रचना है । मेरी जानकारी के मुताबिक़ मिरज़ा शौक़ का ताल्लुक़ लखनऊ के किसी नवाबी ख़ानदान से था । बहरहाल, उनकी इस रचना का इस्तेमाल किया सागर सरहदी ने फिल्म 'बाज़ार' में ।
फिल्म 'बाज़ार' का संगीत ख़ैयाम का था । ये ख़ैयाम के सर्वश्रेष्ठ काम में से एक है । और आगे चलकर मैं इस फिल्म के सभी गीत एक-एक करके आपको सुनवाऊंगा । ख़ैयाम ने इस गाने के लिए अपनी शरीके-हयात जगजीत कौर का इंतख़ाब किया । और जगजीत कौर ने इसका हक़ भी बड़ी खूबसूरती से अदा किया । हिंदी फिल्म संगीत संसार का एक अदभुत गीत । कुल जमा चार मिनिट में ये गीत आप पर ऐसा जादू कर देगा कि इसे आप बार बार सुनना चाहेंगे ।
सुनिये और पढि़ये ये गीत--
देख लो आज हमको जी भरके
कोई आता नहीं है फिर मरके ।।
हो गये तुम अगरचे सौदाई
दूर पहुंचेगी मेरी रूसवाई ।। देख लो
आओ अच्छी तरह से कर लो प्यार
के निकल जाए कुछ दिल का बुख़ार ।। देख लो
फिर हम उठने लगे बिठालो तुम
फिर बिगड़ जायें हम मनालो तुम ।। देख लो
याद इतनी तुम्हें दिलाते जायें
आग कल के लिये लगाते जायें ।। देख लो
यहां देखिए--
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7 comments:
युनुसजी,
बाजार फ़िल्म के इस गीत में नाकाम मोहब्बत की जो कसक है उसको शब्दों में बयान करना बहुत मुश्किल है । जगजीत कौर के बारे में जानकारी देने के लिये बहुत बहुत धन्यवाद ।
बाज़ार फ़िल्म की पृष्ठ्भूमि हैदराबाद है। इसके महत्वपूर्ण सीनस की शूटिंग भी हैदराबाद में हुई।
यह गीत फ़िल्म का केन्द्र बिन्दु है और जगजीत कौर की आवाज़ बिल्कुल सही चुनाव है।
गीत सुनने में शायद यह बात पूरी तरह से सच न लगे लेकिन फ़िल्म देखते हुए गीत को देखने और सुनने पर लगेगा कि अगर इस गीत से जगजीत कौर की आवाज़ हटा ली जाए तो गीत और सीन की जान ही निकल जाएगी।
अन्नपूर्णा
अभी हाल ही में यह फ़िल्म फ़िर से देखी , पता नहीं कितनी बार देख चुका हूँ । एक एक गीत हीरा है ।
जगजीत कौर जी नें बहुत ही खूबसूरती से गाया है , एक एक शब्द में भावनाएं उँढेली हैं । पता नहीं था उन के और खैय्याम साहब के रिश्ते के बारे में । जानकारी के लिये धन्यवाद।
यूनुस, मैं सामान्यत: आपके पोस्ट पर गीत लिखे से ही ग्रहण करता था. पर आज यह गीत:
"देख लो आज हमको जी भरके
कोई आता नहीं है फिर मरके ।।"
पढ़ने में साधारण लगा और सुनने में अप्रतिम.
आज मेरी संगीत के प्रति औरंगजेबियत (मुझे बताया गया है कि औरंगजेब मेरी तरह संगीत समझता नहीं था) शर्मा गयी!
धन्यवाद जगजीत कौर को यहाँ लाने के लिए .मुझे उनकी ग़ज़ल "तुम अपना रंजो गम अपनी निगेबानी मुझे दे दो " भी बहुत पसंद है.
बाजार का ये गीत मुझे दिलो जान से प्यारा है , यहाँ पेश करने का शुक्रिया.
miss kaur ur a beautiful singer faisal
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