'अम्मा मेरे बाबा को भेजो री' : रेडियोवाणी की सातवीं सालगिरह पर विशेष.
'रेडियोवाणी' हमारे लिए सिर्फ एक ब्लॉग नहीं. एक शग़ल, एक जुनून है।
और इस जुनून का सफ़र आज से सात बरस पहले शुरू हुआ था। शुक्र है कि 'डाक-साब' ने 'रेडियोवाणी' की सालगिरह याद दिलायी, वरना जीवन की आपाधापी में हम तो ये दिन भी बिसरा चुके थे।
अगर आप 'रेडियोवाणी' की शुरूआती पोस्टें देखें तो पायेंगे कि उस वक्त ये ब्लॉग अपने 'फ़ॉर्म' की तलाश में था। फिर धीरे-धीरे 'रेडियोवाणी' पर सुनने सुनाने का नियमित सिलसिला शुरू हुआ। और कई बरस तक 'रेडियोवाणी' हम बेहद नियमित रहे।
इधर के कुछ वर्षों में पारिवारिक और पेशेवर व्यस्तताओं, कुछ हद तक सोशल नेटवर्किंग वग़ैरह ने 'रेडियोवाणी' की नियमितता पर असर डाला है। हालांकि कोशिश यही रही कि हम फिर नियमित हो जाएं।
आज सातवीं सालगिरह के मौक़े पर हम 'रेडियोवाणी' की रवायत को निभाते हुए लाये हैं, अमीर ख़ुसरो की एक रचना। बहुत बरस पहले मुरली मनोहर स्वरूप के संगीत निर्देशन में हज़रत अमीर ख़ुसरो की रचनाओं का एक अलबम आया था। ये रचना उसी का हिस्सा है। इसे गाया है सुधा मल्होत्रा, कृष्णा कल्ले, पुष्पा पागधरे और दिलराज कौर ने। तकरीबन चार मिनिट का ये गीत ज़ेहन पर हमेशा के लिए अंकित हो जाता है। हम इसकी गिरफ़्त से बाहर नहीं निकल पाते। आज 'रेडियोवाणी' की सातवीं सालगिरह पर हमारा मक़सद यही है कि आप इस सुरीली गिरफ्त में बने रहें।
Song: Amma mere baba ko bhejo ri
Singers: Sudha malhotra, Krishna kalle, Puspa pagdhare, Dilraj kaur
Lyrics: Hazrat Amir Khusro
Music : Murli Mnaohar Swarup.
Duration: 3 48
अम्मा मेरे बाबा को भेजो री,
कि सावन आया।
बेटी तेरा बाबा तो बूढ़ा री,
कि सावन आया।
अम्मा मेरे भाई को भेजो री,
कि सावन आया।
बेटी तेरा भाई तो बाला री,
कि सावन आया।
अम्मा मेरे मामू को भेजो री,
कि साबन आया।
बेटी तेरा मामू तो बांका री,
कि सावन आया।
रेडियोवाणी पर गीत-संगीत का सुरीला सफ़र जारी है। मुमकिन है कि हम अब हर सप्ताह में कम से कम एक बार ज़रूर हाजिर हों। रेडियोवाणी पर सात साल से हमारा साथ निभा रहे हमसफ़र शुक्रिया के हक़दार है। शुक्रिया। शुक्रिया।
अगर आप चाहते हैं कि 'रेडियोवाणी' की पोस्ट्स आपको नियमित रूप से अपने इनबॉक्स में मिलें, तो दाहिनी तरफ 'रेडियोवाणी की नियमित खुराक' वाले बॉक्स में अपना ईमेल एड्रेस भरें और इनबॉक्स में जाकर वेरीफाई करें।
और इस जुनून का सफ़र आज से सात बरस पहले शुरू हुआ था। शुक्र है कि 'डाक-साब' ने 'रेडियोवाणी' की सालगिरह याद दिलायी, वरना जीवन की आपाधापी में हम तो ये दिन भी बिसरा चुके थे।
अगर आप 'रेडियोवाणी' की शुरूआती पोस्टें देखें तो पायेंगे कि उस वक्त ये ब्लॉग अपने 'फ़ॉर्म' की तलाश में था। फिर धीरे-धीरे 'रेडियोवाणी' पर सुनने सुनाने का नियमित सिलसिला शुरू हुआ। और कई बरस तक 'रेडियोवाणी' हम बेहद नियमित रहे।
इधर के कुछ वर्षों में पारिवारिक और पेशेवर व्यस्तताओं, कुछ हद तक सोशल नेटवर्किंग वग़ैरह ने 'रेडियोवाणी' की नियमितता पर असर डाला है। हालांकि कोशिश यही रही कि हम फिर नियमित हो जाएं।
आज सातवीं सालगिरह के मौक़े पर हम 'रेडियोवाणी' की रवायत को निभाते हुए लाये हैं, अमीर ख़ुसरो की एक रचना। बहुत बरस पहले मुरली मनोहर स्वरूप के संगीत निर्देशन में हज़रत अमीर ख़ुसरो की रचनाओं का एक अलबम आया था। ये रचना उसी का हिस्सा है। इसे गाया है सुधा मल्होत्रा, कृष्णा कल्ले, पुष्पा पागधरे और दिलराज कौर ने। तकरीबन चार मिनिट का ये गीत ज़ेहन पर हमेशा के लिए अंकित हो जाता है। हम इसकी गिरफ़्त से बाहर नहीं निकल पाते। आज 'रेडियोवाणी' की सातवीं सालगिरह पर हमारा मक़सद यही है कि आप इस सुरीली गिरफ्त में बने रहें।
Song: Amma mere baba ko bhejo ri
Singers: Sudha malhotra, Krishna kalle, Puspa pagdhare, Dilraj kaur
Lyrics: Hazrat Amir Khusro
Music : Murli Mnaohar Swarup.
Duration: 3 48
अम्मा मेरे बाबा को भेजो री,
कि सावन आया।
बेटी तेरा बाबा तो बूढ़ा री,
कि सावन आया।
अम्मा मेरे भाई को भेजो री,
कि सावन आया।
बेटी तेरा भाई तो बाला री,
कि सावन आया।
अम्मा मेरे मामू को भेजो री,
कि साबन आया।
बेटी तेरा मामू तो बांका री,
कि सावन आया।
रेडियोवाणी पर गीत-संगीत का सुरीला सफ़र जारी है। मुमकिन है कि हम अब हर सप्ताह में कम से कम एक बार ज़रूर हाजिर हों। रेडियोवाणी पर सात साल से हमारा साथ निभा रहे हमसफ़र शुक्रिया के हक़दार है। शुक्रिया। शुक्रिया।
अगर आप चाहते हैं कि 'रेडियोवाणी' की पोस्ट्स आपको नियमित रूप से अपने इनबॉक्स में मिलें, तो दाहिनी तरफ 'रेडियोवाणी की नियमित खुराक' वाले बॉक्स में अपना ईमेल एड्रेस भरें और इनबॉक्स में जाकर वेरीफाई करें।
8 comments:
भई, याददाश्त हो, तो हमारे जैसी हो ;
नहीं तो ना हो !
:-D
आज की इतनी शानदार बर्थ-डे पार्टी का शुक्रिया !
प्यारी “रेडियोवाणी” को जन्मदिन की हार्दिक बधाई और ढेरों शुभकामनायें !
....साथ में उसके “पापा” को भी !!
:-)
यूनुस भाई छोटी छोटी पोस्ट्स का कोई तो सिलसिला शुरू करना होगा। सबसे अच्छा ज़रिया श्रोता बिरादरी है जिसमें अपन चार पांच लोग एक हफ्ते या पंद्रह दिन में एक पोस्ट लिखें। न कोई थीम और न कोई सीक्वेंस। आज़ाद खयाली से सिलसिला चक सकेगा। प्रमोशन एफबी और ट्विटर से करेंगे। विचारें और बताएं।
यूनुस भाई छोटी छोटी पोस्ट्स का कोई तो सिलसिला शुरू करना होगा। सबसे अच्छा ज़रिया श्रोता बिरादरी है जिसमें अपन चार पांच लोग एक हफ्ते या पंद्रह दिन में एक पोस्ट लिखें। न कोई थीम और न कोई सीक्वेंस। आज़ाद खयाली से सिलसिला चक सकेगा। प्रमोशन एफबी और ट्विटर से करेंगे। विचारें और बताएं।
waah Yunusji... badhiyaa composition... aanandam...
शानदार पोस्ट युनुस भाई ,धन्यवाद
धन्यवाद यूनुस भाई, यह अनमोल गीत सुनाने के लिए।
संजय भ्ााई, विचार अच्छा लग रहा है। छोटी छोटी पोस्टों से शायद नियमितता आ सके।
आपस में विमर्श करते हैं। बतियाते हैं और रास्ते निकालते हैं।
रेडियोवाणी के जन्मदिन की बहुत बहुत बधाई .... यूँ ही इस रेडियो की संगीतमय वाणी गूँजती रहे...यही कामना है... संजय भाई के सुझाव से सहमत ...
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if you want to comment in hindi here is the link for google indic transliteration
http://www.google.com/transliterate/indic/