रांझा मेरा रांझा: रूपेश कुमार राम का बेमिसाल गीत।
इन दिनों की फिल्मों में भी कभी-कभी बेहद जज्बाती गीत मिल जाते हैं।
हम उन लोगों से सहमत नहीं, जो मौजूदा दौर के संगीत को सिरे से खारिज कर दें।
हमें लगता है कि लगातार बदलते इस परिदृश्य में भी कुछ बेहतर रचा जा रहा है। भले ही उसकी तादाद कम हो। पॉपुलर संगीत के बीच कुछ प्रतिभाएं बेहतर रचनाएं भी परोसती हैं। ये अलग बात है कि बहुधा वो चार्ट-बस्टर नहीं होतीं। इसलिए हमें उन्हें खोजकर सुनना पड़ता है।
हम जब इस दौर की चर्चित फिल्म ‘क्वीन’ देखने गए, तो शुरूआत ही ‘लंदन ठुमकता’ से हुई। गाना थिरकाने लायक़ था। पर फिल्म के दौरान जिस बेहद जज़्बाती गाने ने फ़ौरन ज़ेहन में जगह बना ली, वो था ‘रांझा’। एक तो ये आवाज़ पहले सुनी हुई नहीं लग रही थी। दूसरे गाना फिल्म पर थोपा गया नहीं था। वो कहानी के साथ ‘सुर’ में था। ज़ाहिर है कि फिल्म के बाद भी गाने की गूंज कायम रही। और इंटरनेटी खोजबीन में हमें पता लगा कि इसे गायक रूपेश कुमार राम ने गाया है। जो अपने आप को गायक नहीं कहलवाना पसंद करते। कोलकाता के रहने वाले रूपेश तकरीबन दस साल पहले मुंबई आए थे संघर्ष करने के मक़सद से। थोड़े दिन वो संगीतकार प्रीतम के सहायक रहे। फिर एडवर्टाइजिंग की दुनिया में सक्रिय हो गये। और बाद में उन्होंने अपने पंजाबी अलबम पर काम शुरू किया। गीत ‘रांझा’ इसी पंजाबी अलबम का हिस्सा था।
रूपेश चाहते थे कि ये गाना श्रेया जैसी कोई गायिका गाए। लेकिन जाने-माने निर्देशक अनुराग कश्यप ने जब ये गाना सुना तो फिल्म ‘क्वीन’ के निर्देशक विकास बहल को सुझाया। और विकास को रूपेश कुमार की आवाज़ की सादगी और कच्चापन पसंद आया। इस तरह ये गाना रूपेश की आवाज़ में ही रख लिया गया। अगर आपने अब तक ये गाना नहीं सुना और आज सुनेंगे तो आपको भी अहसास होगा कि विकास बहल का ये फैसला कितना सही था।
रूपेश खुद को कंपोज़र मानते हैं और उनके मुताबिक़ गाना संगीत तैयार करने से ज्यादा मुश्किल काम है। अफ़सोस की बात ये रही कि ‘क्वीन’ के अलबम में रूपेश को ठीक से क्रेडिट नहीं दिया गया। इसलिए बहुत लोग मानते हैं कि ये गाना भी अमित त्रिवेदी ने ही कंपोज़ किया है। गाना रघु नाथ ने लिखा है। जिनके बारे में फिलहाल हमें भी ज्यादा कुछ नहीं पता।
हमें यक़ीन है कि दो मिनिट उन्नीस सेकेन्ड के इस गाने को आप एक बार ही सुनकर नहीं रूकेंगे। और ये गीत आपके ज़ेहन में ठहर जाएगा। आंखें नम कर जाएगा। आपको जज़्बाती बना देगा।
Song: Ranjha
Film: Queen (2014)
Singer: Rupesh Kumar Ram
Lyrics: Raghu Nath
Music: Rupesh Kumar Ram
Duration: 2 19
किन्ना सोणा यार हीरे वेखदी नज़ारा
रांझा मेरे रांझा, रांझा मेरे रांझा
मज्झा चरदा बिचारा
रांझा मेरा रांझा।।
मैं हीर हां तेरी, मैं पीड़ हां तेरी
जे तू बद्दल काला, मैं नीर हां तेरी
कर जाणिए रांझे, हो डर जाणिए रांझे
ऊपरों तेरियां सोचां, मर जाणिए रांझे
मेरा रांझा मैं रांझे दी, रांझा है चितचोर
जे करके वो मिल जाए ता, की चाहिदा है होर
हो मेरा मेरा रांझा।।
तेरी आन हां रांझे, तेरी शान हां रांझे
दिल विच मय्यों धड़का, तेरी जान हां रांझे
की करां सुक्खाण लागियां, उमरां मुक्कण लगियां
हो मैनु मिल गया रांझा, नबजां रूक्कण रांझा
मेरा रांझा मैं रांझे दी, रांझा है चितचोर
हुण तां मैंनु मिल गया रांझा, की चाहिदा है होर।
मेरा मेरा रांझा, रांझा मेरा रांझा।।
हालांकि इस गाने को समझना इतना मुश्किल नहीं। पर कहीं से खोजकर इसका अंग्रेज़ी तरजुमा भी दिया जा रहा है। इसे आप रेडियोवाणी के दूसरे पन्ने पर यहां क्लिक करके पढ़ सकते हैं।
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हम उन लोगों से सहमत नहीं, जो मौजूदा दौर के संगीत को सिरे से खारिज कर दें।
हमें लगता है कि लगातार बदलते इस परिदृश्य में भी कुछ बेहतर रचा जा रहा है। भले ही उसकी तादाद कम हो। पॉपुलर संगीत के बीच कुछ प्रतिभाएं बेहतर रचनाएं भी परोसती हैं। ये अलग बात है कि बहुधा वो चार्ट-बस्टर नहीं होतीं। इसलिए हमें उन्हें खोजकर सुनना पड़ता है।
हम जब इस दौर की चर्चित फिल्म ‘क्वीन’ देखने गए, तो शुरूआत ही ‘लंदन ठुमकता’ से हुई। गाना थिरकाने लायक़ था। पर फिल्म के दौरान जिस बेहद जज़्बाती गाने ने फ़ौरन ज़ेहन में जगह बना ली, वो था ‘रांझा’। एक तो ये आवाज़ पहले सुनी हुई नहीं लग रही थी। दूसरे गाना फिल्म पर थोपा गया नहीं था। वो कहानी के साथ ‘सुर’ में था। ज़ाहिर है कि फिल्म के बाद भी गाने की गूंज कायम रही। और इंटरनेटी खोजबीन में हमें पता लगा कि इसे गायक रूपेश कुमार राम ने गाया है। जो अपने आप को गायक नहीं कहलवाना पसंद करते। कोलकाता के रहने वाले रूपेश तकरीबन दस साल पहले मुंबई आए थे संघर्ष करने के मक़सद से। थोड़े दिन वो संगीतकार प्रीतम के सहायक रहे। फिर एडवर्टाइजिंग की दुनिया में सक्रिय हो गये। और बाद में उन्होंने अपने पंजाबी अलबम पर काम शुरू किया। गीत ‘रांझा’ इसी पंजाबी अलबम का हिस्सा था।
रूपेश चाहते थे कि ये गाना श्रेया जैसी कोई गायिका गाए। लेकिन जाने-माने निर्देशक अनुराग कश्यप ने जब ये गाना सुना तो फिल्म ‘क्वीन’ के निर्देशक विकास बहल को सुझाया। और विकास को रूपेश कुमार की आवाज़ की सादगी और कच्चापन पसंद आया। इस तरह ये गाना रूपेश की आवाज़ में ही रख लिया गया। अगर आपने अब तक ये गाना नहीं सुना और आज सुनेंगे तो आपको भी अहसास होगा कि विकास बहल का ये फैसला कितना सही था।
रूपेश खुद को कंपोज़र मानते हैं और उनके मुताबिक़ गाना संगीत तैयार करने से ज्यादा मुश्किल काम है। अफ़सोस की बात ये रही कि ‘क्वीन’ के अलबम में रूपेश को ठीक से क्रेडिट नहीं दिया गया। इसलिए बहुत लोग मानते हैं कि ये गाना भी अमित त्रिवेदी ने ही कंपोज़ किया है। गाना रघु नाथ ने लिखा है। जिनके बारे में फिलहाल हमें भी ज्यादा कुछ नहीं पता।
हमें यक़ीन है कि दो मिनिट उन्नीस सेकेन्ड के इस गाने को आप एक बार ही सुनकर नहीं रूकेंगे। और ये गीत आपके ज़ेहन में ठहर जाएगा। आंखें नम कर जाएगा। आपको जज़्बाती बना देगा।
Song: Ranjha
Film: Queen (2014)
Singer: Rupesh Kumar Ram
Lyrics: Raghu Nath
Music: Rupesh Kumar Ram
Duration: 2 19
किन्ना सोणा यार हीरे वेखदी नज़ारा
रांझा मेरे रांझा, रांझा मेरे रांझा
मज्झा चरदा बिचारा
रांझा मेरा रांझा।।
मैं हीर हां तेरी, मैं पीड़ हां तेरी
जे तू बद्दल काला, मैं नीर हां तेरी
कर जाणिए रांझे, हो डर जाणिए रांझे
ऊपरों तेरियां सोचां, मर जाणिए रांझे
मेरा रांझा मैं रांझे दी, रांझा है चितचोर
जे करके वो मिल जाए ता, की चाहिदा है होर
हो मेरा मेरा रांझा।।
तेरी आन हां रांझे, तेरी शान हां रांझे
दिल विच मय्यों धड़का, तेरी जान हां रांझे
की करां सुक्खाण लागियां, उमरां मुक्कण लगियां
हो मैनु मिल गया रांझा, नबजां रूक्कण रांझा
मेरा रांझा मैं रांझे दी, रांझा है चितचोर
हुण तां मैंनु मिल गया रांझा, की चाहिदा है होर।
मेरा मेरा रांझा, रांझा मेरा रांझा।।
हालांकि इस गाने को समझना इतना मुश्किल नहीं। पर कहीं से खोजकर इसका अंग्रेज़ी तरजुमा भी दिया जा रहा है। इसे आप रेडियोवाणी के दूसरे पन्ने पर यहां क्लिक करके पढ़ सकते हैं।
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4 comments:
आपकी इस पोस्ट को आज के ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है...
फिल्म देखते समय ये गीत कब निकल गया पता नहीं चला। शुक्रिया इससे रूबरू कराने के लिए। नए गीतों के बारे में मेरी राय भी वही रही है।
आनंद प्राप्ति। धन्यवाद्
Good knowledge
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