“सुलझा लेंगे उलझे रिश्तों का मांझा”
2014 हम सबकी जिंदगी में सोलह दिन पुराना भी हो गया। पर रेडियोवाणी पर अनेक कारणों से इसकी शुरूआत नहीं हो सकी थी।
ज़ाहिर है कि नये साल की शुरूआत हम नये इरादों और नये सपनों के साथ करना चाहते हैं। नयी उम्मीदों के साथ। इसलिए 'रेडियोवाणी' पर नये साल का आग़ाज़ 2013 के हमारे एक बेहद पसंदीदा गाने से की जा रही है। रेडियोवाणी पर इधर के दिनों में हमने गानों के सिर्फ बोलों पर भी ध्यान खींचना शुरू किया है। यानी रेडियोवाणी की परंपरा के मुताबिक़ गाने का ऑडियो, उसके बोल और फिर उसके पूरे ढांचे पर बातचीत से इतर सिर्फ बोलों पर फ़ोकस शुरू किया है। ये सिलसिला इस बरस भी जारी रहेगा। बल्कि ज्यादा बढ़ेगा।
जिस गाने का हम जिक्र कर रहे हैं वो 2013 की एक महत्वपूर्ण फिल्म 'काय पो चे' से है। 'काय पोचे' का मतलब होता है 'वो काटा'। दरअसल ये फिल्म चेतन भगत के उपन्यास The 3 Mistakes of My Life पर आधारित थी। और बदलते वक्त के साथ युवा मित्रता की बदलती परतों के बारे में थी। गाने स्वानंद किरकिरे ने लिखे थे। ख़ासतौर पर ये गाना रेडियोवाणी पर हमें नए साल के आग़ाज़ के लिए बिलकुल मुफ़ीद लगा। ये बताते चलें कि इस गीत के लिए स्वानंद इसी हफ्ते 'स्क्रीन अवॉर्ड' हासिल कर चुके हैं। स्वानंद को बधाई।
(तस्वीर साभार स्वानंद की फेसबुक से)
उम्मीद है कि ये साल आपके लिए उलझे रिश्तों का मांझा सुलझाने का साल हो।
रूठे ख्वाबों को मना लेने का ख्वाब हो।
अम्बर झुकाने का साल हो।। शुभकामनाएं।
Song: Manjha
Singer: Amit Trivedi
Lyrics: Swannad Kirkire
Film: Kai Po Che.
Video Duration: Abt 2 Min.
रूठे ख़्वाबों को मना लेंगे
कटी पतंगों को थामेंगे
है जज़्बा, सुलझा लेंगे उलझे रिश्तों का मांझा
सोयी तकदीरें जगा देंगे
कल को अम्बर भी झुका देंगे
है जज़्बा, सुलझा लेंगे उलझे रिश्तों का मांझा
बर्फीली आँखों में
पिघला सा देखेंगे हम कल का चेहरा
पथरीले सीने में उबला सा देखेंगे हम लावा गहरा
अगन लगी, लगन लगी टूटे ना टूटे ना जज़्बा ये टूटे ना
मगन लगी, लगन लगी कल होगा क्या, कह दो किसको है परवाह
रूठे ख़्वाबों को मना लेंगे..
अगर आप चाहते हैं कि 'रेडियोवाणी' की पोस्ट्स आपको नियमित रूप से अपने इनबॉक्स में मिलें, तो दाहिनी तरफ 'रेडियोवाणी की नियमित खुराक' वाले बॉक्स में अपना ईमेल एड्रेस भरें और इनबॉक्स में जाकर वेरीफाई करें।
ज़ाहिर है कि नये साल की शुरूआत हम नये इरादों और नये सपनों के साथ करना चाहते हैं। नयी उम्मीदों के साथ। इसलिए 'रेडियोवाणी' पर नये साल का आग़ाज़ 2013 के हमारे एक बेहद पसंदीदा गाने से की जा रही है। रेडियोवाणी पर इधर के दिनों में हमने गानों के सिर्फ बोलों पर भी ध्यान खींचना शुरू किया है। यानी रेडियोवाणी की परंपरा के मुताबिक़ गाने का ऑडियो, उसके बोल और फिर उसके पूरे ढांचे पर बातचीत से इतर सिर्फ बोलों पर फ़ोकस शुरू किया है। ये सिलसिला इस बरस भी जारी रहेगा। बल्कि ज्यादा बढ़ेगा।
जिस गाने का हम जिक्र कर रहे हैं वो 2013 की एक महत्वपूर्ण फिल्म 'काय पो चे' से है। 'काय पोचे' का मतलब होता है 'वो काटा'। दरअसल ये फिल्म चेतन भगत के उपन्यास The 3 Mistakes of My Life पर आधारित थी। और बदलते वक्त के साथ युवा मित्रता की बदलती परतों के बारे में थी। गाने स्वानंद किरकिरे ने लिखे थे। ख़ासतौर पर ये गाना रेडियोवाणी पर हमें नए साल के आग़ाज़ के लिए बिलकुल मुफ़ीद लगा। ये बताते चलें कि इस गीत के लिए स्वानंद इसी हफ्ते 'स्क्रीन अवॉर्ड' हासिल कर चुके हैं। स्वानंद को बधाई।
(तस्वीर साभार स्वानंद की फेसबुक से)
उम्मीद है कि ये साल आपके लिए उलझे रिश्तों का मांझा सुलझाने का साल हो।
रूठे ख्वाबों को मना लेने का ख्वाब हो।
अम्बर झुकाने का साल हो।। शुभकामनाएं।
Song: Manjha
Singer: Amit Trivedi
Lyrics: Swannad Kirkire
Film: Kai Po Che.
Video Duration: Abt 2 Min.
रूठे ख़्वाबों को मना लेंगे
कटी पतंगों को थामेंगे
है जज़्बा, सुलझा लेंगे उलझे रिश्तों का मांझा
सोयी तकदीरें जगा देंगे
कल को अम्बर भी झुका देंगे
है जज़्बा, सुलझा लेंगे उलझे रिश्तों का मांझा
बर्फीली आँखों में
पिघला सा देखेंगे हम कल का चेहरा
पथरीले सीने में उबला सा देखेंगे हम लावा गहरा
अगन लगी, लगन लगी टूटे ना टूटे ना जज़्बा ये टूटे ना
मगन लगी, लगन लगी कल होगा क्या, कह दो किसको है परवाह
रूठे ख़्वाबों को मना लेंगे..
अगर आप चाहते हैं कि 'रेडियोवाणी' की पोस्ट्स आपको नियमित रूप से अपने इनबॉक्स में मिलें, तो दाहिनी तरफ 'रेडियोवाणी की नियमित खुराक' वाले बॉक्स में अपना ईमेल एड्रेस भरें और इनबॉक्स में जाकर वेरीफाई करें।
4 comments:
One of my favorite song. :)
song was listen few times earlier also.But this time after reading block it's beauty can be realy observed..good Yunus ji..
बहुत अच्छी फिल्म और उतना ही प्यारा गाना।
nice song..such an inspiration
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