संगीत का कोई मज़हब, कोई ज़बान नहीं होती। 'रेडियोवाणी' ब्लॉग है लोकप्रियता से इतर कुछ अनमोल, बेमिसाल रचनाओं पर बातें करने का। बीते नौ बरस से जारी है 'रेडियोवाणी' का सफर।

Thursday, January 26, 2012

आ इक नया शिवाला इस देस में बना दें: अल्‍लामा इकबाल की रचना। रब्‍बानी ब्रदर्स की आवाज़।


अकसर यू-ट्यूब पर ग़ोता लगाने से कुछ अनमोल गाने हाथ लग जाते हैं।
और इस बार भी यही हूआ है।

इस बार हमें मिली है अल्‍लामा इक़बाल की रचना 'एक नया शिवाला'।
इसे एक निजी कंपनी ने अपनी सीरीज़ 'म्‍यूजिक का तड़का' के लिए तैयार करवाया है। और आवाज़ें हैं रब्‍बानी ब्रदर्स की। रब्‍बानी ब्रदर्स कहने से तो वैसे भी समझ नहीं आता। पर अगर हम कहें कि इसे मुर्तज़ा, क़ादिर और रब्‍बानी मुस्‍तफा ने गाया है, तो शायद कुछ लोग इन गायकों को फौरन समझ जायेंगे। असल में ये तीनों रामपुर-सहसवान घराने के नामी गायक पद्म-भूषण उस्‍ताद गुलाम मुस्‍तफ़ा ख़ां के बेटे हैं। ज़ाहिर है कि उन्‍हीं के शिष्‍य भी हैं। यहां ये बता देना ज़रूरी लगता है कि इन भाईयों में से मुर्तज़ा और क़ादिर ने ए.आर.रहमान के निर्देशन में कई फिल्‍मों में गाया है। जिनमें 'पिया हाजी अली' (फिज़ां), 'नूर-उन-अल्‍लाह' (फिल्‍म मीनाक्षी), 'चुपके से' (फिल्‍म साथिया) और 'तेरे बिना बेस्‍वादी रतियां' (फिल्‍म गुरू) शामिल हैं। मुर्तज़ा आजकल रहमान की म्‍यूजिक अकादमी में गायकी सिखाते हैं।

ज़ाहिर है कि जब ये तीनों भाई एक प्रोजेक्‍ट के लिए जमा हुए तो इनके सामने अपने परिवार और घराने की विरासत का ख्‍याल रखने की चुनौती तो रही ही होगी।

आज के ज़माने में गैर फिल्‍मी देशभक्ति रचनाएं ज्‍यादा नहीं आ रहीं। यही हाल फिल्‍मों का भी है। साल दो साल में एकाध गाना आता है, और अकसर वो भी असरदार नहीं होता। ऐसे में रब्बानी ब्रदर्स की ये रचना अगर आपको रोक ले तो इसमें उनकी गायकी और अल्‍लामा इकबाल की लेखनी दोनों का योगदान माना जाए।


इक़बाल की ये रचना वाक़ई क्रांतिकारी और साहसी है। पढिए और सुनिए।
गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं

song: aa ek naya shivala
lyrics: allama iqbaal
singer: rabbani brothers (murtaza, qadir, rabbani)
duration: 2 mints.



सच कह दूं ऐ बिरहमन गर तू बुरा ना माने
तेरे सनमक़दों के बुत हो गए पुराने

अपनों से बैर रखना तूने बुतों से सीखा
जंग-ओ-जदल सिखाया वाइज़ को भी ख़ुदा ने

तंग आके मैंने आखिर दैर-ओ-हरम को छोड़ा
वाइज़ का वाज़ छोड़ा, छोड़े तेरे फ़साने

पत्‍थर की मूरतों में समझा तू ख़ुदा है
ख़ाक-ए-वतन का मुझको हर ज़र्रा देवता है

आ ग़ैरियत के परदे एक बार फिर उठा दे
बिछड़ों को फिर मिला दे, नक्‍श-ए-दुई मिटा दे

सूनी पड़ी हुई है मुद्दत से दिल की बस्‍ती
आ इक नया शिवाला इस देस में बना दें

दुनिया के तीरथों से ऊंचा हो अपना तीरथ
दामान-ए-आस्‍मां से इसका कलस मिला दे

हर सुबह उठ के गायें मंतर वो मीठे मीठे
सारे पुजारियों को मय पीत की पिला दे

शक्ति भी शांति भी भक्‍तों के  गीत में है
धरती के वासियों की मुक्ति पिरीत में है



मुमकिन है कि उर्दू के कई अलफ़ाज़ के मायने समझ ना आएं। इसलिए इस नज़्म का अंग्रेज़ी अनुवाद। जो मुझे इस ब्‍लॉग से मिला। जिसने भी अनुवाद किया है बढिया काम किया है।

I’ll tell you truth, oh Brahmin, if I may make so bold!
These idols in your temples—these idols have grown old,

To hate your fellow‐mortals is all they teach you, while
Our God too sets his preachers to scold and to revile;


Sickened, from both your temple and our shrines I have run,
Alike our preachers’ sermons and your fond myths I shun.


In every graven image you fancied God: I see
in each speck of my country’s poor dust, divinity.


Come, let us lift suspicion’s thick curtains once again,
Unite once more the sundered, wipe clean division’s stain.


Too long has lain deserted the heart’s warm habitation—
Come, build here in our homeland an altar’s new foundation,


And rise a spire more lofty than any of this globe,
With high pinnacle touching the hem of heaven’s robe!


And there at every sunrise let our sweet chanting move
The hearts of all who worship, pouring them wine of love:


Firm strength, calm peace, shall blend in the hymns the votary sings—
For from love comes salvation to all earth’s living things.

यहां देखिए


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16 comments:

Anonymous,  January 27, 2012 at 12:06 AM  

is sundar si rachna aur usse judi jankariyon ke liye shukriya-niharika

daanish January 27, 2012 at 8:13 AM  

aa ik nayaa shivaala,
iss desh meiN banaa deiN

bahut khoob rachnaa
bahut bahut khoob prastuti ...

प्रवीण पाण्डेय January 27, 2012 at 8:57 AM  

सबका चिन्तन, अपना चिन्तन...

बहुत सुन्दर गीत..

Smart Indian January 27, 2012 at 10:44 AM  

बहुत सुन्दर गीत! आभार!

Puneet Bhardwaj January 28, 2012 at 12:05 PM  

ये ग़ज़ल पढ़के लगा कि बहुत दिनों बाद कुछ अच्छा पढ़ा और सीखा...बहुत-बहुत शुक्रिया इस बेहतरीन रचना से रूबरू करवाने के लिए....

अभिषेक मिश्र February 1, 2012 at 12:12 AM  

बहुत-बहुत धन्यवाद इस रचना को हम तक पहुँचाने का...

internet marketing belgium February 1, 2012 at 12:36 PM  

Beautiful Thanks for sharing this information

Anonymous,  February 14, 2012 at 1:14 AM  

At the first sight, & when not listened to carefully, this has been admired as a patriotic & secular song. But my question is, why write such a song addressing Hindus in India? Why has no one around the world reciprocated to the Hindus? They are insulted & abused even today. And why has no islamic place ever offered Hindus to build a temple in their area? Also, why do the existing temples have to be demolished to build the muslim mosques? Look around you, remove the talva chaating ki aadat & the need to "look good" & you will see what this whole song is all about. If I write or you write something like this about building a Hindu site in a muslim or christian area, I don't have to tell u what happens. Are you also blind to this deception that they keep building right next to existing Hindu temples & then keep forcing the Hindu temples to stop their celebration for it is offensive to islam? When will the stupid Hindus & intellectuals see the facts? Sorry, when you recognize the stench beneath the superficial & shallow fragrance, you cannot help saying the truth.

Yashwant R. B. Mathur February 19, 2012 at 10:07 AM  

आज 19/02/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर (सुनीता शानू जी की प्रस्तुति में) लिंक की गयी हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!

Ashish February 27, 2012 at 7:44 PM  

Bahut badhiya geet aur bahut achchi peshkash.

Ashish

hindi shayari June 28, 2012 at 1:54 AM  

bahut sundar post , kafi accha geet .

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