ये रातें ये मौसम ये हंसना हंसाना: पंकज मलिक की सोंधी आवाज़
बरसों पहले की बात है । लता मंगेशकर का अलबम श्रद्धांजली जारी हुआ था । शायद 1992 में । वो कैसेटों का दौर था । हमने फ़ौरन ही अपना जेब-ख़र्च इस कैसेट के हवाले कर दिया था । और उसके बाद बरसों-बरस तक लता जी की आवाज़ में ये नग़्मे गूंजते रहे थे हमारे स्टीरियो पर । जिनमें लता जी पहले हर कलाकार के बारे में कुछ बोलतीं और उसके बाद उनके गाने गातीं । श्रद्धांजली का दूसरा भाग भी आया और वो भी अच्छा
लगा । श्रद्धांजली सुनकर कुछ लोगों ने कहा कि ये 'कवर वर्जन' का ही सजीला रूप है । इसकी आलोचना भी की गई । पर फिल्म-संगीत के प्रति दीवानगी रखने वाले हम लोगों को ये बड़ा ही अदभुत लगता था कि किस और कलाकार के प्रति अपने जज्बात का इज़हार करते हुए लता जी उसके गानों को स्वयं गाएं । दिलचस्प बात ये भी हुई कि श्रद्धांजली सुनने के बाद कुछेक गानों के मूल संस्करणों को हमने खोजा और सुना ।
ऐसे गानों में से एक था ये गीत । पंकज मलिक की आवाज़ में विविध भारती पर इसके सुने होने की हल्की सी याद थी हमारे मन में । लेकिन ये वो दिन थे जब अपने शहर में फिल्म-संगीत खोजना आसान काम नहीं होता था । दुकानें होती थीं कैसेट की । जो आपकी पसंद के गाने भी रिकॉर्ड करके दे सकती थीं । पर उनके पास मशहूर गाने ही होते थे । पंकज मलिक के गानों का एच.एम.वी. वाला कैसेट मिलना बड़ा ही मुश्किल था उन छोटे शहरों में ।
पंकज मलिक के गानों से प्रेम होता चला गया । चाहे डॉक्टर (1941) का 'आई बहार' हो या फिर 'नर्तकी' 1939 का 'ये कौन आज आया सबेरे सबेरे' और 'मद भरी रूत जवान है' अधिकार 1943 का 'बरखा की रात' । हमारा सबसे प्रिय गीत है माय सिस्टर का 'पिया मिलन को जाना' या फिर गैर-फिल्मी गीत--'तेरे मंदिर का हूं दीपक जल रहा' । ये सब गाने इंटरनेट पर आज आसानी से खोजे जा सकते हैं । पर उस दौर में उन छोटे शहरों में इनके सिर्फ सपने देखे जा सकते थे या फिर रेडियो सीलोन और विविध-भारती पर इनकी बाट जोहनी पड़ती थी ।
बाद में ये भी पता चला कि आकाशवाणी के कोलकाता स्टूडियो से पंकज मलिक हर साल दुर्गापूजा पर 'महालया' या 'महिषासुरमर्दिनी' प्रस्तुत करते रहे । जब तक जीवित रहे ये सिलसिला जारी रहा । इसमें बीरेंद्र कृष्ण भद्र मंत्रोच्चार करते थे । उस सीरीज़ के रिकॉर्डों को हाथ में पकड़ा तो लगा कि जिंदगी की बहुत बड़ी साध पूरी हो गयी । उन्हें सुना तो लगा कि 'निर्मल-आनंद' तो यही है । आप भी इस आनंद को प्राप्त कर सकते हैं यूट्यूब पर यहां से ।
पंकज मलिक के बहाने कितनी-कितनी बातें याद आ गयीं । चलिए पंकज मलिक का ये गीत सुना जाए ।
song: ye raatein ye mausam
singer: pankaj mullik
lyrics: unknown
music:pankaj mullik
duration: around 3 30
एक और प्लेयर ताकि सनद रहे ।
ये रातें ये मौसम ये हंसना हंसाना
मुझे भूल जाना इन्हें ना भुलाना
ये बहकी निगाहें ये बहकी अदाएं
ये आंखों के काजल में डूबी घटाएं
फिज़ा के लबों पर ये चुप का फसाना
मुझे भूल जाना इन्हें ना भुलाना
चमन में जो मिलके बनी है कहानी
हमारी मुहब्बत तुम्हारी जवानी
ये दो गर्म सांसों का इक साथ आना
ये बदली का चलना ये बूंदों की रूमझुम
ये मस्ती का आलम ये खोए से हम-तुम
तुम्हारा मेरे साथ ये गुनगुनाना
मुझे भूल जाना, इन्हें ना भुलाना ।।
इसी गाने का वो संस्करण जो लता जी ने श्रद्धांजली में गाया था । यूट्यूब वाली खिड़की । जब तक वहां तब तक यहां । उसके बाद जै रामजीकी ।
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अगर आप चाहते हैं कि 'रेडियोवाणी' की पोस्ट्स आपको नियमित रूप से अपने इनबॉक्स में मिलें, तो दाहिनी तरफ 'रेडियोवाणी की नियमित खुराक' वाले बॉक्स में अपना ईमेल एड्रेस भरें और इनबॉक्स में जाकर वेरीफाई करें।
लगा । श्रद्धांजली सुनकर कुछ लोगों ने कहा कि ये 'कवर वर्जन' का ही सजीला रूप है । इसकी आलोचना भी की गई । पर फिल्म-संगीत के प्रति दीवानगी रखने वाले हम लोगों को ये बड़ा ही अदभुत लगता था कि किस और कलाकार के प्रति अपने जज्बात का इज़हार करते हुए लता जी उसके गानों को स्वयं गाएं । दिलचस्प बात ये भी हुई कि श्रद्धांजली सुनने के बाद कुछेक गानों के मूल संस्करणों को हमने खोजा और सुना ।
ऐसे गानों में से एक था ये गीत । पंकज मलिक की आवाज़ में विविध भारती पर इसके सुने होने की हल्की सी याद थी हमारे मन में । लेकिन ये वो दिन थे जब अपने शहर में फिल्म-संगीत खोजना आसान काम नहीं होता था । दुकानें होती थीं कैसेट की । जो आपकी पसंद के गाने भी रिकॉर्ड करके दे सकती थीं । पर उनके पास मशहूर गाने ही होते थे । पंकज मलिक के गानों का एच.एम.वी. वाला कैसेट मिलना बड़ा ही मुश्किल था उन छोटे शहरों में ।
पंकज मलिक के गानों से प्रेम होता चला गया । चाहे डॉक्टर (1941) का 'आई बहार' हो या फिर 'नर्तकी' 1939 का 'ये कौन आज आया सबेरे सबेरे' और 'मद भरी रूत जवान है' अधिकार 1943 का 'बरखा की रात' । हमारा सबसे प्रिय गीत है माय सिस्टर का 'पिया मिलन को जाना' या फिर गैर-फिल्मी गीत--'तेरे मंदिर का हूं दीपक जल रहा' । ये सब गाने इंटरनेट पर आज आसानी से खोजे जा सकते हैं । पर उस दौर में उन छोटे शहरों में इनके सिर्फ सपने देखे जा सकते थे या फिर रेडियो सीलोन और विविध-भारती पर इनकी बाट जोहनी पड़ती थी ।
बाद में ये भी पता चला कि आकाशवाणी के कोलकाता स्टूडियो से पंकज मलिक हर साल दुर्गापूजा पर 'महालया' या 'महिषासुरमर्दिनी' प्रस्तुत करते रहे । जब तक जीवित रहे ये सिलसिला जारी रहा । इसमें बीरेंद्र कृष्ण भद्र मंत्रोच्चार करते थे । उस सीरीज़ के रिकॉर्डों को हाथ में पकड़ा तो लगा कि जिंदगी की बहुत बड़ी साध पूरी हो गयी । उन्हें सुना तो लगा कि 'निर्मल-आनंद' तो यही है । आप भी इस आनंद को प्राप्त कर सकते हैं यूट्यूब पर यहां से ।
पंकज मलिक के बहाने कितनी-कितनी बातें याद आ गयीं । चलिए पंकज मलिक का ये गीत सुना जाए ।
song: ye raatein ye mausam
singer: pankaj mullik
lyrics: unknown
music:pankaj mullik
duration: around 3 30
एक और प्लेयर ताकि सनद रहे ।
ये रातें ये मौसम ये हंसना हंसाना
मुझे भूल जाना इन्हें ना भुलाना
ये बहकी निगाहें ये बहकी अदाएं
ये आंखों के काजल में डूबी घटाएं
फिज़ा के लबों पर ये चुप का फसाना
मुझे भूल जाना इन्हें ना भुलाना
चमन में जो मिलके बनी है कहानी
हमारी मुहब्बत तुम्हारी जवानी
ये दो गर्म सांसों का इक साथ आना
ये बदली का चलना ये बूंदों की रूमझुम
ये मस्ती का आलम ये खोए से हम-तुम
तुम्हारा मेरे साथ ये गुनगुनाना
मुझे भूल जाना, इन्हें ना भुलाना ।।
इसी गाने का वो संस्करण जो लता जी ने श्रद्धांजली में गाया था । यूट्यूब वाली खिड़की । जब तक वहां तब तक यहां । उसके बाद जै रामजीकी ।
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अगर आप चाहते हैं कि 'रेडियोवाणी' की पोस्ट्स आपको नियमित रूप से अपने इनबॉक्स में मिलें, तो दाहिनी तरफ 'रेडियोवाणी की नियमित खुराक' वाले बॉक्स में अपना ईमेल एड्रेस भरें और इनबॉक्स में जाकर वेरीफाई करें।
14 comments:
सुबह सुबह इस सुंदर गीत को सुनवाने के लिए आभार!
पंकज मलिक के गायन में बहुत जादू है।
क्या बात है भाई .... सुबह की इस से अच्छी शुरुआत और क्या हो सकती थी. बहुत शुक्रिया.
http://manoshichatterjee.blogspot.com/2008/09/blog-post_11.html
कभी मैंने भी ये पोस्ट किया था। आपने तो पुराने दिनों की याद दिला दी।
@ "..बाद में ये भी पता चला कि आकाशवाणी के कोलकाता स्टूडियो से पंकज मलिक हर साल दुर्गापूजा पर 'महालया' या 'महिषासुरमर्दिनी' प्रस्तुत करते रहे । जब तक जीवित रहे ये सिलसिला जारी रहा । इसमें बीरेंद्र कृष्ण भद्र मंत्रोच्चार करते थे । उस सीरीज़ के रिकॉर्डों को हाथ में पकड़ा तो लगा कि जिंदगी की बहुत बड़ी साध पूरी हो गयी ।"
क्या रिकॉर्डों की सी डी उपलब्ध करा पाएँगे? हम जैसे भी हो मँगा लेंगे।
बहुत आभारी रहेंगे आप के।
गिरिजेश जी आपके लिए कुछ इंटरनेटी लिंक भेजे हैं आपके ईमेल आईडी पर
कुछ इंटरनेटी लिंक मेरे ईमेल आईडी पर पर भी भेजिए ....... कलकत्ता में बैठा हूँ, किसी काम आ जाएँ शायद.
amianut@yahoo.com
amianut@gmail.com
MEET
mann khush ho gaya
अभी अभी सहगल साहब को सुन ही रहे थे तो ये बदली का चलना, ये बूंदों की रुमझुम ये नस्ती का आलम.... बस मज़्ज़ आ गया.
इसे अपने जन्मदिन पर आपका गिफ़्ट मान लेता हूं।
Yunusji
If you can oblige me by sending those links also to me I will be extremely thankful plzz.
-Harshad Jangla
Atlanta USA
htjangla@gmail.com
htjangla@hotmail.com
Thanks Yunus.
I love Pankaj Mullik's voice and collect his songs.His composition the Mahishasurmardini album, would get played in our house on both chaitra and shaardiya navratri occasions.
After listening to Lataji's beautiful Shrddhanjali album I too was in search of another PM track. Finally a friend found it for me.
Its always a delight to read your thoughts.
Yunusji
Recd yr reply. Thank you v much.
-Harshad Jangla
Atlanta, USA
धन्यवाद आपको भूल सकता हू लेकिन इस पृष्ठ को बुकमार्क करना नही भूलुंगा
युनूस जी,
सादर प्रणाम,
होली की शुभकामनायें.
"....ये रातें..." के अन्तर्गत आपने जो कुछ भी लिखा है,वह सोलह आने सच है.श्रद्धांजलि के दो भाग निकले थें.वह दोनों मैंने भी ख़रीदे थें.और पंकज मलिक को फिर ढूंढ-ढूंढकर सुना था. अभी भी कुछ सलेक्टेड गानों का वह कैसेट मेरे पास है.सचमुच वो दौर एकदम अलग था जब गानों के लिए मेहनत करनी पड़ती थी,आज तो नेट पर सब उपलब्धहै.
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if you want to comment in hindi here is the link for google indic transliteration
http://www.google.com/transliterate/indic/