कल एक दुख भरी खबर आई । हरिओम शरण जी का देहान्त हो गया । वो भजन के अपने कार्यक्रमों के सिलसिले में न्यूयॉर्क गये हुए थे । हरिओम शरण--भजनों की दुनिया की एक बेहद लोकप्रिय और दिव्य आवाज़ थे, धक्का लगा, आपको बता दूं कि पिछले कई वर्षों से मैं उनसे इंटरव्यू करने का प्रयास कर रहा था पर उनकी अस्वस्थता की वजह से मामला हर बार टलता जा रहा था । उनकी निजी जिंदगी के बारे में लोग ज्यादा जानते नहीं ।
कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं होगा, जिसकी सुबह में हरिओम शरण शामिल ना रहे हों । मुझे याद है कि बचपन में चाहे जिस रेडियो चैनल को लगा लें, चाहे शहर के किसी भी हिस्से से गुजरें, अगर मंदिर है तो भजन हरिओम शरण जी के ही स्वर में बज रहा होता था । मुझे हरिओम शरण भजन की दुनिया का एक दिव्य स्वर लगते हैं । उनसे पहले भजनों के संसार में इतनी लोकप्रिय आवाज़ कोई नहीं थी ।
विविध भारती पर सुबह छह बजे से साढ़े छह बजे तक भक्ति रचनाओं का कार्यक्रम वंदनवार प्रसारित किया जाता है । हरिओमशरण जी भजनों के बिना ये कार्यक्रम हमेशा अधूरा सा लगता है । उनकी कई रचनाएं मुझे प्रिय रही हैं और इसका कोई कारण बताना ज़रा मुश्किल है । उनकी गायकी खालिस शास्त्रीय नहीं है, कलाबाज़ी भी नहीं है उनकी गायकी में । लेकिन एक चीज है जो हमें लुभाती है और वो है हरिओम शरण की गायकी की सादगी । यूं लगता है जैसे गांव के किसी मंदिर में कोई पुजारी एकदम मगन होकर अपने सुर छेड़ रहा है । मेरी पत्नी रेडियोसखी ममता बताती हैं कि इलाहाबाद में जमना बैंक रोड पर रहते हुए उनकी हर सुबह हरिओम शरण के सुरों से भीगी हुआ करती थी । और उस वक्त ये भजन उन्हें बहुत प्रिय हुआ करता था ।
उनकी वेबसाईट से उनके बारे में कुछ नयी बातें पता चली हैं । वो शायद सन्यास लेकर हिमालय पर चले गये थे जहां उनकी भेंट अपने गुरू स्वामी हरिगिरी जी महाराज से हुई । शास्त्रीय संगीत की तालीम उन्होंने स्वामी अमरनाथ और स्वामी दर्शनानंद जी से ली । पंडित हरिओम शरण ने कबीर, तुलसी और मीराबाई की रचनाओं को अपनी तरह से प्रस्तुत किया । संभवत: प्रेमांजली पुष्पांजली उनका पहला मशहूर एलबम था । इसके बाद उनके चालीस से ज्यादा एलबम रिलीज़ हुए । अपने कई भजन उन्होंने स्वयं ही रचे हैं ।
आज रेडियोवाणी पर ई स्निप्स से हरिओम शरण की कुछ बेहद लोकप्रिय रचनाएं चढ़ाई जा रही हैं । ये वो रचनाएं हैं जो शायद हमारे रक्त में घुली हैं । जिनसे हमारे पुराने दिनों की यादें जुड़ी हैं । हरिओमशरण जी को हम हार्दिक श्रद्धांजली अर्पित करते हैं । हम आभारी हैं उनके कि जीवन की कठिनाईयों और विकटताओं के बीच उनका स्वर हमारे मन को असीम शांति से भरता रहा है और भरता रहेगा ।
हरिओमशरण की आवाज़ में सुनिए रामचरित मानस की कुछ चौपाईयां
मुझे हरिओमशरण की आवाज़ में ये हनुमान चालीस बहुत प्रिय है
तेरा रामजी करेंगे बेड़ा पार उदासी मन काहे को डरे
हरिओमशरण की तस्वीर--उनकी वेबसाईट से साभार
20 comments:
स्मरणांजलि अच्छी लगी । रेडियो पर ही सुना था।
हरि ओम शरण की भक्ति प्रशांत और पवित्र समर्पण की भक्ति रही. मेरे बचपन की सुबहें उनकी मधुर गायकी से भरी गुज़रीं. साईं तेरी याद महासुखदाई में जो अबोध और निर्दोष भाव हैं वो अब दुर्लभ हैं. एक दौर ऐसा गुज़रा है कि जब वे भजन और भक्ति संगीत के पर्याय रहे. लोकप्रिय और जन साधारण की भक्ति इच्छा को साकार करने वाले हरि ओम शरण ने शायद ख़ुद पिछले कई वर्षों से गुमनामी की चादर से ढँक लिया लिया था. शायद मैली की जा रही चादर ओढकर उन्हें "उसके" द्वार जाना न सुहा रहा हो. उनको शत शत नमन.
सुबह सुबह आपकी पोस्ट से हरिओम शरण के निधन का समाचार मिला. उनकी आवाज में अनोखी आध्यात्मिकता थी. वे हमारी यादों में हमेशां रहेंगे. उन्हें श्रद्धांजलि
16 साल गाँवे के मंदिर और फिर उतने ही साल माघ मेले के आस-पास हरिओम शरण को सुन कर सुबह होती रही है....उनके लिए हार्दिक श्रद्दांजलि...
मेरी ओर भी हार्दिक श्रृद्धाजली, मुझे आपकी पोस्ट से ही खबर मिली। यह एक दु:ख का क्षण है।
दुखदायी, यह जानना कि वे नहीं रहे एक तरह की रिक्तता भरता है। उनकी आवाज जीवन में एक आयाम को पुष्ट करती थी।
श्रद्धांजलि।
बहुत दुःख हुआ जानकर !
मैनें रेडियोनामा पर वन्दनवार से संबधित चिट्ठे पर हरिओम शरण की चर्चा की थी। उनके रामभक्ति गीत मुझे बहुत अच्छे लगते है।
96-97 के आसपास आकाशवाणी के हैद्राबाद केन्द्र से प्रसारण के लिए रामनवमी पर मैनें एक रूपक लिखा था। वास्तव में योजना संगीत रूपक की थी लेकिन मुझे हरिओम शरण के रामभक्ति गीत इतने पसन्द है कि मैनें सोचा कि मैं भजन नहीं लिखूंगी और हरिओम शरण के ही भक्ति गीत रखूंगी। रूपक कितना पसन्द किया गया यह लिखने की आवश्यकता हीं नहीं।
वास्तव में न जुतिका राय की तरह आज तक कोई मीरा भजन गा पाया और न ही हरिओम शरण की तरह कोई राम भक्ति गीत गा पाएगा।
दिवंगत को मेरे परिवार का शत-शत नमन !
अन्नपूर्णा
यूनुस भाई,
ये क्या समाचार सुना दिया आपने. मेरा ह्रदय विदीर्ण हो गया. धिक्कार है मुझे कि मैं नेट का प्रयोग करता हूँ. मेरे प्रिय गायक का देहांत कल हो गया और मैं ये आज जान रहा हूँ. भगवान् हम सबों को इस दुःख की घड़ी में शक्ति दें.
अत्यंत दुखदायी समाचार.
क्या कहें?
उनके भजन रेडियों पर सुन कर ही बचपन बीता है। "साईं तेरी याद..." और "तेरा रामजी करेंगे बेड़ा पार..." जैसे भजन व गीत तो ज़ेहन में चिरस्थाई रूप से अंकित हैं। मुझे उनके नाम में ही सादगी और समर्पण की झलक दिखाई देती है। उनकी आवाज़ का साम्य न जाने क्यों मुझे यसुदास से करना भी भाता है, बड़ी ही भिन्न और मनमोहक आवाज़ के स्वामी हैं दोनों। ईश्वर उनकी दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करे।
जब से यह समाचार मिला है,यही सोच रहा हूँ कि क्या कहूं,क्या लिखूँ । सभी की तरह मेरे जीवन में भी कितना कुछ तो है उनके बारे में कहने-लिखने को; पर दिमाग पर जैसे एक संज्ञाशून्यता सी तारी हो गयी है।
अभी भी समाचार की सत्यता पर विश्वास नहीं हो पा रहा है।
मेरे जीवन के कुछ महानतम दुःख भरे क्षणों में से हैं ये क्षण ।
कुछ कहने की हिम्मत नहीं रही...आज मन बहुत दुखी है।
विश्वास नहीं हो रहा कि हरिओम जी हमारे बीच नहीं रहे।
युनुस भाई,
‘तेरा रामजी करेंगे बेड़ा पार उदासी मन काहे को डरे’
इसके सिवा और क्या कहे।
ईश्वर उनकी दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करे।
- डॉ.श्रीकृष्ण राऊत
बहुत ही दु:ख हुआ और धक्का लगा जान कर कि हरिओम जी हमारे बीच नहीं रहे।
बहुत दुख पहुंचा,और कुछ कहते बन नहीं रहा हमारे बीच वे नही रहे, पर उनकी आवाज़ तो सदैव हमारे साथ रहेगी !!
बचपन में रोज सुबह छः बजे हरिओम शरण के भजन की कैसेट लगा दी जाती थी ताकि हम लोग शोर से उठ जाएँ।
वैसे आज ही पता चला कि हरिओम शरम किसी व्यक्ति का नाम है। और वह भी तब जब वह व्यक्ति चल बसा। खेद की बात है मेरे लिए।
यूनुस भाई!
सचमुच आनंद आ गया. ऎसी ही अच्छी चीजें सुनवाते रहिए.
वे ईश्वर और आस्था को बचपन से जोड़ने की एक बहुत मज़बूत कड़ी थे. लगभग छः वर्षों तक श्री हरिओम शरण हमारे दिनों का आरंभ रहे. स्कूली छात्रावास की मेस का लाउडस्पीकर उनकी गर्म गुदगुदी आवाज़ से सुबह भरता था - अभी भी "नंदलाला हरि का प्यारा नाम है ... " गूँज गया - ईश्वर उनकी संत सुजान स्मृति और भजन चिरायु रखे
यूनुस भाई साहब दिल बैठ गया इस खबर को पढ़कर। हरिओमशरण मेरे लिए कितने मायने रखते हैं इसका अंदाजा सिर्फ इस बात से लगाया जा सकता है कि जब मैने सीडी प्लेयर खरीदा तो सबसे पहले हरिओम के गाए भजनों की सीडी खरीदी थी। छात्र जीवन से सुनता आ रहा हूं उनको। आज भी बोझिल और थके मेरे मन को उनके भजनों से ही सुकून मिलता है। दिल को समझा नहीं पा रहा हूं कि मेरे अजीज भजन गायक परिओम नहीं रहे। ईश्वर उनके परिजनों को इस दुख से उबरने की शक्ति प्रदान करे।
mujhe bada dukh hua mujhe aj 2011 rat 1:20 per pata chala ki harion saran ji nahi rahe . bhagwan unki atma ko shanti de .
Post a Comment
if you want to comment in hindi here is the link for google indic transliteration
http://www.google.com/transliterate/indic/