ज्ञान जी की फरमाईश पर 'चना जोर गरम' वाले तीन गाने
कल ज्ञान जी ने 'चना जोर गरम' पर अपनी एक दिलचस्प पोस्ट 'ठेली' थी । और साथ में हमें भी ठेल दिया था कि कहीं से ऐसे फिल्मी-गीत लाएं जिनमें चना जोर गरम का जिक्र हो ।
रेडियोवाणी पर हमें चुनौतियों से प्यार रहा है । रेडियोवाणी को शुरू करना ही हमारे लिए किसी चुनौती से कम नहीं था । बहरहाल ज्ञान जी की दिलचस्प पोस्ट और दिलचस्प फरमाईश का जवाब तो देना ही था । जब हमने अपने दिमाग़ की हार्ड डिस्क पर ज़ोर डाला तो याद आया कि फिल्म क्रांति के अलावा भी हमने 'चना जोर गरम वाला' एक गीत सुना है । लेकिन ये याद नहीं आया कि कौन सा गीत है वो । बहरहाल खोजबीन का सिलसिला चल पड़ा और फिर जब हमें तीन गीत मिल गये तो ज्ञान जी के ब्लॉग पर अपनी इस पोस्ट का ऐलान भी कर दिया गया ।
तो मित्रो । आपको बता दें कि सिर्फ फिल्म क्रांति में ही 'चना जोर गरम' वाला गीत आया हो ऐसा नहीं था । ना ही क्रांति में पहली बार ये गीत आया था । जितने पुराने चना जोर गरम वाले हैं उससे कम पुराना नहीं है उनके गीतों के फिल्म में आने का इतिहास । जी हां इस तरह का पहला गीत सन 1940 में आया था । हैरत की बात ये है कि हमारी फिल्मों में गीत आने का सिलसिला ही सन 1931 में शुरू हुआ था । यानी ठीक नौ साल बाद ही 'चना जोर गरम' को फिल्मी गीतों में जगह मिल गयी । इससे 'चना जोर गरम' वालों के सामाजिक और सांगीतिक महत्त्व का अंदाज़ा लगता है । सन 1940 के ज़माने में तीन बड़ी फिल्में आई थीं अशोक कुमार यानी दादा मुनी और लीला चिटणीस की जोड़ी की । कंगन, बंधन और झूला । इनमें से ये गीत फिल्म बंधन का है । आईये इसे सुन लिया जाये । आवाज़ है अरूण कुमार की । और ठीक ठीक तो नहीं पता पर संभवत: ये वही अरूण कुमार आहूजा हैं जिनकी पत्नी प्रख्यात गायिका निर्मला देवी थीं और जिनके बेटे हैं चर्चित अभिनेता गोविंदा । इस बात की तफ्तीश की जानी चाहिए । सुनिए ये गीत- जो भारत का पहला फिल्मी चना जोर गरम गीत है ।
चने जोर गरम बाबू मैं लाया मजेदार चने जोर गरम
मेरे चने हैं चटपटे भैया और बड़े लासानी
और कैसे चाव से खाते देखो और रमजानी
और चुन्नू मुन्नू की जबान भी हो गयी पानी पानी
और कहें कबीर सुनो भई साधो सुनो गुरू की बानी ।।
पढ़ें मदरसे काजी बन तो चंद दिनों का ठाट
और पढ़ लिख कर सब चल दोगे तुम अपनी अपनी बाट
फिर कोई तुममें अफसर होगा कोई गवरनर लाट
फिर मैं आऊंगा दफ्तर घूमने लिये चने की चाट
चने जोर गरम ।।
मेरा चना बना है आला
इसमें डाला गरम मसाला
चखते जाना जी तुम लाला
कहता हूं मैं दिल्ली वाला
इसका स्वाद है बड़ा निराला ।।
आई चने की बहार
खाते जाना जी सरकार
मेरे चने जायकेदार ।
अगर तुमको ना होय एतबार
मैं कहता हूं ललकार ।।
देख लो मेरा ये दरबार
जहां पर खड़े सिलसिलेवार
रियासत भर के सरदार
एक से एक सभी हुसियार
ये देखो मेरे सूबेदार
ये देखो मेरे तहसीलदार
ये हैं मेरे थानेदार
और ये बड़े सिपहसालार
वानर सेना के सरदार
चने जोर गरम बाबू
मैं लाया मजेदार चने जोर गरम ।।
फिल्म बंधन 1940 अरूण कुमार
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दूसरा गीत सन 1956 में आई फिल्म 'नया अंदाज' का है । के. अमरनाथ ने इस फिल्म को निर्देशित किया था । किशोर कुमार, मीनाकुमारी, कुमकुम और प्राण इस फिल्म के सितारे थे । इस फिल्म के संगीतकार थे ओ.पी.नैयर । अगर आप पुराने फिल्मी गीतों के क़द्रदान हैं तो आपको इस फिल्म को वो कालजयी गीत ज़रूर याद होगा जो अपनी नाज़ुकी के लिए याद किया जाता है--बोल थे--मेरी नींदों में तुम मेरे ख्वाबों में तुम । याद आया ना ।
इसी फिल्म में एक गाना था 'चना जोर गरम' । मज़े की बात ये है कि इसे भी किशोर कुमार और शमशाद बेगम ने गाया है, 'मेरी नींदों में तुम मेरे ख्वाबों में तुम' की तरह । तो आईये इस गाने का भी लुत्फ उठाएं ।
और चना जोर गरम वाला सबसे मशहूर गीत ये रहा । जो सन 1981 की फिल्म क्रांति का है । मनोज कुमार की फिल्म थी ये । इसके बारे में ज्यादा बताने की जरूरत नहीं है । आपने ये गीत बहुत सुना है । तो लगे हाथों ये गीत भी सुन लीजिए ।
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ज्ञान जी, कहिए कैसी रही । आपने चना ज़ोर गरम की याद दिला के वाक़ई मज़े ला दिये । देखिए ना हमें खुद ही नहीं पता था कि इतने गाने भी इस विषय पर खोजे जा सकते हैं । अब ये आयडिया भी आया है कि कहीं कोई चना जोर गरम वाला मिले तो उसके गाने को रिकॉर्ड कर लिया जाए । मुंबई में इसकी संभावनाएं ना के बराबर है । क्या दूसरों शहरों से कोई ये काम करेगा ।
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14 comments:
तीनों गीत मैने और मेरे सह-ऑफीसर श्री उपेन्द्र कुमार सिंह ने दोपहर के भोजन के दौरान पूरा मजा लेकर सुने। बहुत चर्चा हुई। हमें पहला गीत - बन्धन फिल्म का - सही मयने में चना जोर गरम वाले का लगा।
पर तीनों ही सुनने में हम दोनो गदगद हो गये।
शाम को पत्नी जी भी महा प्रसन्न होंगी यह सुन कर!
बहुत धन्यवाद यूनुस!
मजा आ गया. गाने सुनकर बचपन के स्कूल वाला वो चने वाला याद आ गया जो इस तरह के गाने बना बना के सुनाया करता था. :) आधे से अधिक लोग तो सिर्फ़ उसका गाना सुनने उसके पास जाया करते थे. :)
धन्यवाद ऐसे गीत के लिए. :)
बहुत ही जानदार पोस्ट, गीत भी बहुत है अच्छे है।
मै भी एक चुनौती जल्द दूँगा :)
चना जोरगरम की तरह ही तीनों गीत ज़ोरदार है और ज़ोरदार है रेडियोवाणी का नया आवरण।
सबसे अच्छी बात ये हुई कि आपने अपनी पुरानी तस्वीर हटा ली, अब मैं रेडियोवाणी पर आराम से क्लिक कर सकूंगी वरना पहले क्लिक करने से पहले इधर-उधर देखना पड़ता था कि लोग क्या सोचेंगें कि…
यह गीत कवि प्रदीप का लिखा हुआ है जिसे आधी सदी से चने बेचने वाले पूरे हिंदुस्तान मे गा रहे हैं. इस गीत ने प्रदीप की याद दिला दी. कैसे सुंदर गीत लिखे थे इस गीतकार ने. दे दी हमें आज़ादी बिना खड़क बिना ढाल, टूट गयी है माला मोती बिखर चले रे, कितना बदल गया इंसान, और सबसे बढ़कर- ए मेरे वतन के लोगों ज़रा आँख में भर लो पानी.
हिंदुस्तानी फ़िल्मों के शायरों की तो बहुत बात होती है मगर प्रदीप और भारत व्यास जैसे हिंदी गीतकार चर्चा में काम ही आते हैं.
Yunusbhai
Since I can not write in Hindi, I am compelled to write in English.I have been enjoying your blog since long. Today's blog of Chana Jor Garam is excellent and joyful. First two songs are rare. You are running a very interesting blog sir, Hats Off to you. Thanx.
-Harshad Jangla
Atlanta, USA
November 13, 2007
arun kumar ahuja(govinda ke papa)nahin is geet mein balki arun kumar mukharjee hain jo dada muni ke cousin brother the--purani film parineeta ke sangeetkar bhee.
unki aawaaz dada muni se bahut milti thee.isliye anil biswas ne film kismat ka geet--dheere dheere aa re baadal -- hmv ke 78rpm record ke liye unse gawaya tha jabki film mein ye geet dada muni ki aawaaz mein hee aayaa thaa.
dr.k.k.goel
सभी का बहुत बहुत शुक्रिया । इस पोस्ट का श्रेय सीधे ज्ञान जीको ही जाता है । वो चना जोर गरम की याद ना दिलाते तो मैं ये गीत प्रस्तुत भी ना करता ।
>अन्नपूर्णा जी, क्या पुरानी तस्वीर इतनी ख़राब थी
राजेंद्र जी, आपने सही कहा इसे प्रदीप जी ने लिखा है ।
हर्षद जी बहुत शुक्रिया । कमेन्ट्स हिंदी में ही हों ऐसा कोई आग्रह नहीं है ।
डॉ गोयलआपकी जानकारी वाकई ठोस है । ये बातें मुझे पता ही नहीं थीं । कृपया मेल पर अपने बारे में और बतायें और संपर्क सूत्र भी दें ।
यूनूस भाई
पहले दो गाने सुने तीसरा मुझे खास पसन्द नहीं। पर अरुण कुमारजी की आवाज में गाये गाने में जो मजा है किसी और में नहीं।
बहुत बढ़िया गाना( पहलावाला) सुनवाने के लिये बहुत बहुत धन्यवाद
Really first song is excellent.
मैं माउस दबा-दबाकर हैरान हूं पर गाना है कि बजने का नाम ही नहीं लेता। मान लूं कि मेरी किस्मत में गाना नहीं लिखा है, या कुछ तरीका हो सकता है इसे सुनने का। और हां, गाना सुनने के चक्कर में कम्प्यूटर में कीटाणु (वायरस) तो नहीं आ जाएंगे। सब डराते हैं, इसलिए पूछा।
युनुस जी बहुत दिनों बाद आपकी पोस्ट पढ़ी . गाने सूनने का मौका नहीं मिला लेकिन पढ़कर मज़ा आ गया। अभी आपकी आवाज विविध भारती पर सुनने को नहीं मिल रहा है.
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