हम तो ऐसे हैं भैया--आईये सुनें फिल्म 'लागा चुनरी में दाग़' का ये शानदार गीत
आमतौर पर रेडियोवाणी पर हम नये गाने कम ही सुनते हैं । लेकिन आज सोचा कि कोई नया गीत सुनवाया जाये ।
इन दिनों मैं प्रदीप सरकार की आगामी फिल्म 'लागा चुनरी में दाग़' फिल्म के गीत सुन रहा हूं । इस फिल्म का एक गीत मुझे पसंद आया है । तो चलिए इसे सुना जाए ।
जहां तक मेरी जानकारी है ये गीत लिखा है स्वानंद किरकिरे ने । और इसे स्वरबद्ध किया है शांतनु मोईत्रा ने ।
आवाज़ें हैं सुनिधि चौहान और श्रेया घोषाल की । अरे हां याद आया आपको ये भी बता दूं कि सब कुछ ठीक रहा तो कल सुनिधि विविध भारती आ रही हैं, उनसे बातचीत की जिम्मेदारी मुझे ही सौंपी गयी है ।
बहरहाल ये गीत छोटी शहर की स्पिरिट का गीत है । बिल्कुल वैसा ही जैसा कुछ साल पहले 'बंटी और बबली' फिल्म में आया था--धड़क धड़क सीटी बजाये रेल । ज़रा इसके बोलों पर ध्यान दीजिए--
जेब में हमारी दुई रूपैया
दुनिया को रखें ठेंगे पे भैया
इक इक को खूंटी पे टांगे
और पाप पुण्य चोटी से बांधे
नाचे हैं ताता थैया
हम तो ऐसे हैं भैया
ये अपना पैशन/टश्न है भैया ।।
एक गली बम बम भोले
दूजी गली में अल्ला-मियां
एक गली में गूंजें अज़ानें
दूजी गली में बंसी रे भैया ।।
सबकी रगों में लहू बहे है
अपनी रगों में गंगा मैया
सूरज और चंदा भी ढलता
अपने इशारों पे चलता
दुनिया का गोल गोल पहिया ।। हम तो ऐसे हैं भैया ।।
आजा बनारस में रस चख ले आ
गंगा में जाके तू डुबकी लगा
रबड़ी के संग तू चबा ले उंगली
माथे पे भांग का रंग चढ़ा
चूना लगई ले,पनवा चबई ले
उसपे तू ज़र्दे का तड़का लगई ले
पटना से अईबे, टैरेस पे अईबे
गंगा की नहर कोई नंगा नहइबे
जीते जी तो कोई काशी ना आए
चार चार कांधों पे वो चढ़के आए ।।
हम तो ऐसे हैं भईया
ये अपनी नगरी है भईया ।।
दीदी अगर तुझको होती जो मूंछ
मैं तुझको भईया बुलाती तू सोच
अरे छुटकी अगर तुझको होती जो पूंछ
मैं तुझको गैया बुलाती तू सोच
दीदी ने ना जाने क्यों छोड़ी पढ़ाई
घर बैठे अम्मां संग करती है लड़ाई
अम्मां बेचारी बीच में है आई
रात दिन सुख दुख की चलती सलाई
घर बैठे बैठे बाप जी हमारे
लॉटरी में ढूंढते हैं किस्मत के तारे
मंझधार में हमरी नैया
फिर भी देखो मस्त हैं हम भैया ।।
हम तो ऐसे हैं भैया ।।
दिल में आता है यहां से
पंछी बनके उड़ जाऊं
शाम ढले फिर दाना लेकर
लौटके अपने घर आऊं ।।
हम तो ऐसे हैं भैया ।।
हम तो ऐसे हैं भैया ।।
मेरा मानना है कि ऐसा ठेठ मध्यवर्गीय गीत आज के ज़माने में आना वाक़ई कमाल की बात है । इसके लिए हमें स्वानंद किरकिरे और शांतनु मोईत्रा की टीम को बधाई देनी चाहिये । इस गाने को सुनने के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं । म्यूजिक मज़ा के इस पेज में फिल्म लागा चुनरी में दाग के सारे गीत हैं ।
हम जिस गीत की बात कर रहे हैं वो आखिरी नंबर पर है । वहां क्लिक करके आप ये गीत सुन सकते हैं ।
मुझे तो ये गीत बहुत पसंद है । बताईये आपको पसंद आया क्या ।
तस्वीर यशराज फिल्म्स की वेबसाईट से साभार
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7 comments:
लागा चुनरी में दाग सुनकर मजा आ गया। यूनुस भाई शुक्रिया।
वैसे इससे पहले हमने पूरा गाना नही सुना था। सुनवाने का शुक्रिया।
ऐसे गाने बनते रहने चाहिऐ ।
स्वानंद किरकिरे और शांतनु मोइत्रा की जोड़ी ने परिणिता में अपने संगीत से मुझे बेहद प्रभावित किया था। ये गीत भी मैंने टीवी पर सुना है. अच्छा है
नाचे हैं हम तो ता थैय्या..
बहुत पसंद आया, आभार.
मुझे ये गीत बहुत पसंद आया। यूनुस भाई शुक्रिया।
ऐसे गीत संगीत को जिलाए रखते हैं युनूस भाई.
स्वानंद किरकिरे मेरे अपने शहर इन्दौर के है और आपने ठीक कहा कि उनका ये गीत मध्यमवर्ग की नुमाइंदगी करता है.अच्छे गीत वाक़ई किसी फ़िल्म की सफ़लता के लिये ज़मीनी काम करते हैं.
वाहा! आपके पोस्ट किये गाना सुनकर खूब मजा लेता हूं. आपको पता है?
अतुल
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