लीजिये पेश है मदनमोहन पर केंद्रित मेरा पॉडकास्ट, उन गानों पर जो आप ही ने सुझाये थे ।
दोस्तो आपको याद होगा कि पच्चीस जून को मदनमोहन के जन्मदिन पर मैंने उनके गीतों पर आधारित एक पोस्ट लिखी थी और उसमें पूछा था कि मदनमोहन के स्वरबद्ध किये आपके पसंदीदा गीत कौन से हैं । अच्छा लगा कि बड़ी तादाद में आपने अपनी सूची प्रस्तुत की और उससे भी दिलचस्प बात थी उड़नतश्तरी का ये कहना कि आप इस पर अपना पॉडकास्ट प्रस्तुत कर दीजिये ।
मामला रोचक पर कठिन बन गया था । इसलिये मैंने अपने एक लेख में आपकी भेजी तमाम सूचियों को समेट कर ये कह दिया था कि जल्दी से जल्दी आपना पॉडकास्ट आप तक पहुंचाऊंगा । तभी मुझे याद आया कि चौदह जुलाई को मदनमोहन की पुण्यतिथि है, इसलिये मैंने पॉडकास्ट तैयार होने के बावजूद रोक लिया । ताकि सही मौक़े पर उसे आप तक पहुंचाया जाये ।
तो लीजिये पेश है आपके पसंद किये गीतों पर आधारित पॉडकास्ट जिसमें मैं मदनमोहन की स्मृति को नमन कर रहा हूं ।
ये रहा पहला पॉडकास्ट जिसमें लता जी और मदनमोहन की जोड़ी की चर्चा है ।
ये रहा दूसरा पॉडकास्ट जिसमें मदनमोहन और रफी के साथ की चर्चा है, साथ ही कुछ अन्य कलाकारों के गानों की भी बातें हैं ।
मुझे यक़ीन है कि पॉडकास्ट आपको अच्छा लगेगा । चलते चलते आपसे बस यही कहना है कि मदनमोहन को उनके जीवन में जो ‘नाम’ और शोहरत नहीं मिली, वो उनके जाने के बाद मिली । 1975 में वो इस संसार से चले गये थे । उस साल ‘मौसम’ और ‘दिल की राहें’ जैसी फिल्में आईं थीं । उनके जाने के बाद उनकी कुछ और फिल्में आईं । उनकी धुनें इस भागमदौड़ जिंदगी में हमें ट्रान्स में ले जाती हैं । हम उन्हें बहुत शिद्दत से याद करते हैं ।
मामला रोचक पर कठिन बन गया था । इसलिये मैंने अपने एक लेख में आपकी भेजी तमाम सूचियों को समेट कर ये कह दिया था कि जल्दी से जल्दी आपना पॉडकास्ट आप तक पहुंचाऊंगा । तभी मुझे याद आया कि चौदह जुलाई को मदनमोहन की पुण्यतिथि है, इसलिये मैंने पॉडकास्ट तैयार होने के बावजूद रोक लिया । ताकि सही मौक़े पर उसे आप तक पहुंचाया जाये ।
तो लीजिये पेश है आपके पसंद किये गीतों पर आधारित पॉडकास्ट जिसमें मैं मदनमोहन की स्मृति को नमन कर रहा हूं ।
ये रहा पहला पॉडकास्ट जिसमें लता जी और मदनमोहन की जोड़ी की चर्चा है ।
ये रहा दूसरा पॉडकास्ट जिसमें मदनमोहन और रफी के साथ की चर्चा है, साथ ही कुछ अन्य कलाकारों के गानों की भी बातें हैं ।
मुझे यक़ीन है कि पॉडकास्ट आपको अच्छा लगेगा । चलते चलते आपसे बस यही कहना है कि मदनमोहन को उनके जीवन में जो ‘नाम’ और शोहरत नहीं मिली, वो उनके जाने के बाद मिली । 1975 में वो इस संसार से चले गये थे । उस साल ‘मौसम’ और ‘दिल की राहें’ जैसी फिल्में आईं थीं । उनके जाने के बाद उनकी कुछ और फिल्में आईं । उनकी धुनें इस भागमदौड़ जिंदगी में हमें ट्रान्स में ले जाती हैं । हम उन्हें बहुत शिद्दत से याद करते हैं ।
1 comments:
Yunusbhai,
Bada maza aaya Madan Mohan wala aapka podcast sunte huve !Abhi Part III kab sunvayenge?
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if you want to comment in hindi here is the link for google indic transliteration
http://www.google.com/transliterate/indic/