संगीत का कोई मज़हब, कोई ज़बान नहीं होती। 'रेडियोवाणी' ब्लॉग है लोकप्रियता से इतर कुछ अनमोल, बेमिसाल रचनाओं पर बातें करने का। बीते नौ बरस से जारी है 'रेडियोवाणी' का सफर।

Tuesday, July 17, 2007

आईये आज एक मांझी गीत सुनें


मुंबई में पिछले दस सालों से हूं, मराठी खूब समझ में आती है । थोड़ी थोड़ी बोल भी लेता हूं । मराठी संगीत खूब सुना है, पर केवल वही जो अच्‍छा लगा । जैसे कुछ लोकगीत, कुछ अभंग और ज्‍यादातर कोळी गीत । ये गीत सबसे पहले मैंने म.प्र. में अपने एक मराठी मित्र के घर पुराने ज़माने के रिकॉर्ड प्‍लेयर पर सुना था । फिर बरसों बाद विविध भारती में सुना । अब अकसर सुनता हूं ।

आपको बता दूं कि इसे सुनने के लिए मराठी का ज्ञान होना आवश्‍यक नहीं है । बल्कि कोई भी भाषा ना आती हो तो भी चलेगा । संगीत की यही ख़ासियत है कि वो अकसर भाषाओं के परे चले जाता है । हां ये अलग बात है कि अच्‍छे गीतों की कविता को समझे बिना हम गीत का रसास्‍वादन नहीं कर पाते । लेकिन ये तो मांझी गीत है और इसका मतलब समझना भी बहुत आसान है ।

मांझी गीतों के साथ बंगाल का नाम बिल्‍कुल चस्‍पां हो गया है । सचिन देव बर्मन ने हिंदी फिल्‍मों में कई मांझी गीत दिये और इन पर कभी अलग से इसी चिट्ठे पर बात होगी । बंगाल के कई बेहतरीन लोकगीत भी हैं । भटियाली परंपरा के । पर आज इस मराठी लोकगीत की तरंग में खो जाईये ज़रा ।


जब मैंने अपने इस लेख को छापा, तो इस मराठी गीत का अर्थ नहीं दिया था, अगले ही दिन अमेरिका से लावण्‍या जी ने इसका अर्थ इन पंक्तियों के साथ भेजा, जिसे यहां जोड़ा जा रहा है । उन्‍हें ये अर्थ किन्‍हीं सीताराम चंदावरकर ने बताया है । लावण्‍या जी के योगदान से अब इसे सुनने का मज़ा दोगुना हो जायेगा ।



इस गीत को कई कई बार सुना है -बेहद लुभावना है --प्रस्तुति के लिये शुक्रिया युनूस भाई साहब !
इसका भाव... ये रहा..~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

लावण्या जीमराठी के इस प्रसिद्ध 'कोळीगीत' (मछुआरों का गीत) के लिए धन्यवाद! जो सदस्यमराठी से वाक़िफ़ नहीं हैं, उन के लिये इस गीत का सरल रूपान्तर करने की चेष्टा कीहै :

(पुरुष) चलाओ पतवार, रे मांझी, चलाओ पतवारमैं 'डोलकर'*,
डोलकर दरिया का राजा
पानी में है घर मेरा,
बंदर पर आता जाता ...मैं डोलकर
स्त्री) मांबाबू की मैं हूं छोरी लाडली
पीली चोली पहनी है अंजीरी साडी
बालों में डाला है फूला चंपा
खुशबू से हवा करती झकझोरी
नाक में नाज़ुक नथनी,
गले सोने के मणी
कोलीवाडे की मैं रानी
पुनमी रात में नाचती करती मज़ा
पुरुष) मैं डोलकर, डोलकर दरिया का राजा(
पुरुष) इस दरिया की प्रतिष्ठा है महान
कभी उठती हैं मौजें पहाड समान
कभी मिल जाता है नाव को आस्मान
स्त्री) बाट जोहता है जब प्यार
तब आती है दरिया में बाढ
पानी से भीगती है धरती
आएगा मिलने भ्रतार मेरा
पुरुष) मैं डोलकर, डोलकर दरिया का राजा
पुरुष) पूनम की रात पी रही चांदनी
देखो मच्छी भी चांदी की बनी
खुद ही मेरे जालों में आ गयी
ले जाऊंगा बाजार मछली ताज़ा
मैं डोलकर, डोलकर दरिया के राजा
*मछली पकडने के ज़हाज़ को मराठी में कहते हैं.
सस्नेह
सीताराम चंदावरकर



कल रेडियोवाणी पर आप सुन सकेंगे साहिर लुधियानवी के कुछ अशआर खुद उनकी आवाज़ में । बहुत दुर्लभ रिकॉर्डिंग्‍स । मेरे मित्र शिरीष कोयल के सौजन्‍य से ।

9 comments:

Anonymous,  July 17, 2007 at 11:28 AM  

Apne school ke dino ka ek saanskritik kaaryakram yaad aa gayaa jahaan stage par naukaa main kucchh saathiyon ne perform kiya tha aur background main maine group main gayaa tha yeh geet -

Ab machal oota hai dariya
aur bahane lagi hai nadiya
onchaas pavan dole
jhanjha ki baje bansuriya
O naaiyya paar laga de
O re O maajhi paar laga de.

Annapurna

Sagar Chand Nahar July 17, 2007 at 8:05 PM  

हेमंतदा को अब तक हिन्दी- बंगाली में ही सुना था पर आज मराठी में सुनना अच्छा लगा।

आपने एक बहुत अच्छी बात कही आज कि संगीत की कोई भाषा नहीं होती और मैं अक्सर रातों को देर तक जाग कर भारतीय भाषाओं की पुरानी फिल्म उनके मधुर गाने सुनने के लिये देखते रहता हूँ।

Udan Tashtari July 17, 2007 at 10:19 PM  

मराठी में मांझी गीत सुनना एक बेहतरीन अनुभव रहा. मैं भी बम्बई में कई साल रहा. कभी ऐसा मौका नहीं आया कि मराठी मांझी गीत सुन सकें.आभार.

VIMAL VERMA July 17, 2007 at 11:06 PM  

इलाहाबाद में एक नाट्य प्रतियोगिता होती है, उसमें रात में जब कैम्प फ़ायर हुआ करता था तब मैने ये गीत सुना था.पर अब तो यहां मुम्बई मे अक्सर त्योहारों मे सुनने को मिल ही जाता है, इसका अर्थ अभी भी मुझे पता नहीं है,फिर भी इसे सुनने का अलग ही मज़ा है .

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` July 18, 2007 at 1:47 AM  

इस गीत को कई कई बार सुना है -बेहद लुभावना है --प्रस्तुति के लिये शुक्रिया युनूस भाई साहब !
इसका भाव... ये रहा..
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

लावण्या जी
मराठी के इस प्रसिद्ध 'कोळीगीत' (मछुआरों का गीत) के लिए धन्यवाद! जो सदस्य
मराठी से वाक़िफ़ नहीं हैं, उन के लिये इस गीत का सरल रूपान्तर करने की चेष्टा की
है :(पुरुष) चलाओ पतवार, रे मांझी, चलाओ पतवार
मैं 'डोलकर'*, डोलकर दरिया का राजा
पानी में है घर मेरा, बंदर पर आता जाता ... मैं डोलकर

(स्त्री) मांबाबू की मैं हूं छोरी लाडली
पीली चोली पहनी है अंजीरी साडी
बालों में डाला है फूला चंपा
खुशबू से हवा करती झकझोरी
नाक में नाज़ुक नथनी,
गले सोने के मणी
कोलीवाडे की मैं रानी
पुनमी रात में नाचती करती मज़ा
(पुरुष) मैं डोलकर, डोलकर दरिया का राजा

(पुरुष) इस दरिया की प्रतिष्ठा है महान
कभी उठती हैं मौजें पहाड समान
कभी मिल जाता है नाव को आस्मान
(स्त्री) बाट जोहता है जब प्यार
तब आती है दरिया में बाढ
पानी से भीगती है धरती
आएगा मिलने भ्रतार मेरा
(पुरुष) मैं डोलकर, डोलकर दरिया का राजा

(पुरुष) पूनम की रात पी रही चांदनी
देखो मच्छी भी चांदी की बनी
खुद ही मेरे जालों में आ गयी
ले जाऊंगा बाजार मछली ताज़ा
मैं डोलकर, डोलकर दरिया के राजा

*मछली पकडने के ज़हाज़ को मराठी में कहते हैं.

सस्नेह
सीताराम चंदावरकर

अनुराग श्रीवास्तव July 18, 2007 at 7:13 AM  

"मांझी गीतों के साथ बंगाल का नाम बिल्‍कुल चस्‍पां हो गया है । सचिन देव बर्मन ने हिंदी फिल्‍मों में कई मांझी गीत दिये..."

बंगाली मूल के निर्देशकों और संगीतकारों ने हिंदी फिल्मों में बहुत लम्बी और सफल भूमिका निभाई है. बिमल रॉय, हृषिकेश मुखर्जी, बासू दा, असित सेन, पंचम, हेमंत कुमार, सचिन देव बर्मन... और इन्होंने इतनी सुंदर फिल्में और संगीत हमें दिये हैं जिनकी अमिट छाप उससे हट कर सोचने ही नहीं देती है. आपने मराठी माँझी गीत सुनाया - साधुवाद.

debashish July 18, 2007 at 8:01 AM  

युनूस भाई आपने बचपन की याद दिला दी। मेरे माता पिता दोनों ही संगीत बेहद पसंद करते हैं, मेरा सारा बचपन रेडियो की खुराक पर बीता है। ये गीत तो न जाने कितनी बार सुना। बहुत शुक्रिया!

Anonymous,  August 13, 2007 at 10:38 AM  

आता मराठीत ल्हिवना सोप्पा आहे...ही साईट पहा www.quillpad.in/marathi हेच्यात तुम्ही मराठीत ल्हिव शकतया...हेच्यात ना तुम्ही ज़ार मराठी लिपीत ल्हिवल्या तर ते त्याला मरही लिपीत बदलते...वापरुन पहा तुम्ही..फार सोप्पा आहे...

Anita kumar March 8, 2008 at 3:24 PM  

युनुस जी ये मेरे भी पंसदीदा गानों में से एक है। सच है शब्दों के अर्थ जाने बिना भी ये गाना इतना मधुर लगता है, अब तो इसे सुनने का मजा ही कुछ और होगा, लावण्या जी ने अर्थ जो बता दिया।
गीत चुरा कर ले जा रही हूँ, आशा है आप बुरा नहीं मानेगें

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http://www.google.com/transliterate/indic/

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