मदर्स डे पर सुनिए जगजीत सिंह और एस0सी0बर्मन के गाए दो अनमोल नग्मे
आज मैं आपको एक गीत सुनवाने और दूसरा पढ़वाने जा रहा हूं । आप सोच सकते हैं कि भला दूसरा भी सुनवा देते, सिर्फ पढ़वाने की ज़रूरत क्या थी । मुद्दा ये है कि दूसरा गीत इंटरनेट पर कहीं भी मिल नहीं रहा है । बहरहाल इस बारे में बातें बाद में होंगी ।
फिलहाल जगजीत सिंह का ये गीत सुनिए, जिसकी फिल्म का नाम मैं आपको फिलहाल नहीं बताऊंगा । पर ये इतना इन्टेन्स गाना है और जगजीत सिंह ने इसे इतनी शिद्दत से गाया है कि सीधे दिल में उतर जाता है ।
पहले ये गीत सुनिए और सुनते सुनते पढिये ।
जो गिर गया उस जहां की नज़र से
देखो उसे कभी इक मां की नजर से ।।
ऐ मां तुझे सलाम, ओ मां तुझे सलाम
अपने बच्चे तुझको प्यारे रावण हो या राम
बच्चे तुझे सताते हैं, बरसों तुझे रूलाते हैं
दूध तो क्या अंसुअन की भी क़ीमत नहीं चुकाते हैं
हंसकर माफ तू कर देती है उनके दोष तमाम ।।
ऐ मां तुझे सलाम ।।
ऐसा नटखट था घनश्याम, तंग था सारा गोकुलधाम
मगर यशोदा कहती थी, झूठे हैं ये लोग तमाम
मेरे लाल को करते हैं सारे यूं ही बदनाम
ओ मां तुझे सलाम ।।
तेरा दिल तड़प उठा, जैसे तेरी जान गई
इतनी देर से रूठी थी, कितनी जल्दी मान गयी
अपने लाडले के मुंह से सुनते ही अपना नाम
ओ मां तुझे सलाम ।।
सात समंदर सा तेरा, इक इक आंसू होता है
कोई मां जब रोती है, तो भगवान भी रोता है
प्यार ही प्यार है, दर्द ही दर्द है, ममता जिसका नाम
ओ मां तुझे सलाम ।।
अब चूंकि आपने गीत पढ़ और सुन लिया है, इसलिये बता दूं कि ये खलनायक फिल्म का गीत है, आनंद बख्शी ने इसे लिखा है और लक्ष्मीकांत प्यारेलाल का संगीत । इस गाने में वो भव्यता है जो सुभाष घई की फिल्मों के संगीत में होती है । गीत सरल, सादा और अच्छा है । पर मदर्स डे के मौक़े पर ये आपको अपनी मां के प्रति अगाध-प्रेम से सराबोर कर देगा ।
दरअसल मदर्स डे जैसी परंपरा भले पश्चिम से आई हो, पर मुझे ये आइडिया अच्छा लगा । क्योंकि आजकल नौकरी-धंधे के सिलसिले में बच्चों को मां से दूर जाना पड़ता है और कई बार मां की बहुत बहुत याद आती है । पिछले कई सालों से मदर्स डे पर मैं उनको फोन करके बताता हूं । एक साल किसी वजह से फोन नहीं कर पाया तो वो बोलीं, क्या बात है तुमने फोन नहीं किया मदर्स डे पर, यानी उन्हें भी अपने बेटे की भावनाओं से अवगत होने का इंतज़ार रहता है । चलिये थोड़ा विषयांतर हो गया ।
अब जो गीत आपको पढ़वाने जा रहा हूं, वो सिर्फ पढ़वा रहा हूं क्योंकि इंटरनेट पर वो कहीं मिला नहीं । मां से जुड़े गीतों में ये मुझे चोटी का गीत लगता है । फिल्म तलाश का ये गीत मजरूह साहब ने लिखा है और इसे खुद सचिन देव बर्मन ने गाया है । क्या बताऊं, अगर ये गीत आप यहीं सुन पाते तो बात ही और होती, क्योंकि सचिन देव बर्मन की बांग्ला छुअन वाली आवाज ने इस गाने का असर बहुत बढ़ा दिया है । अपनी तरह का अनूठा गीत, कविताई में भी उत्तम और गायकी के तो कहने ही क्या,
सिर्फ पढ़कर संतोष कर लीजिये ।
मेरी दुनिया है तेरे आंचल में
शीतल छाया दो दुख के जंगल में
मेरी राहों के दीप, तेरी दो अंखियां
मुझे से गीता से लगी, तेरी दो बतियां
युग में मिलता है जो, सो मिलता पल में
मेरी दुनिया है मां तेरे आंचल में ।
मैंने आंसू भी दिये पर तू रोई ना
मेरी निंदिया के लिए बरसों तू सोई ना
ममता गाती रही, गम की हलचल में
मेरी दुनिया है मां तेरे आंचल में
काहे ना धोके तेरे ये चरण तेरे मां
देवता प्याला लिए दर पे खडे मां
अमृत सबका है इस गंगा जल में
मेरी दुनिया है मां तेरे आंचल में
11 comments:
युनस जी , khalnayak फिल्म के इस गीत कि अच्छी याद दिलायी ... फिल्म के बाक़ी विवादस्पद गीत ज्यादा चले और ये गीत इतना मधुर होने के बावजूद अधिक प्रचलित नही हो पाया.....बहरहाल धन्यवाद आपका जो ये मोती हमारे लिए चुने... माँ के लिए मेरे सबसे पसंदीदा गीत है फिल्म रजा और रंक का जिसे लता ने एक बची कि आवाज़ मे ऐसा गाया है है कि सुनते ही ऑंखें नम हो जाती है... यह गीत भी lp का है... यूनुस जी क्या अपको नही लगता कि आज कि जेनरेशन लक्ष्मीकांत प्यारेलाल को वह मान नही देती जो उन्हें मिलना चाहिऐ....
यूनूस जी
आपको किस तरह धन्यवाद दिया जाय शब्द नहीं है। मैने आज तक खलनायक का यह गाना नहीं सुना था, आपके इस गाने ने आंखे नम कर दी। यह टिप्प्णी लिखने के तुरंत बाद में अपनी मम्मीजी को फोन करने वाला हूँ।
दूसरी बात एस डी बर्मन जी का वह गाना आपको नहीं मिला कोई बात नहीं मैं आपको और सभी पाठकों को सुनवाये देता हूँ बस नीचे दी लिंक पर एक क्लिक करिए।
वैसे तो आप आकाशवाणी में है और गीतों का खजाना आपके पास होगा पर फिर भी अगली बार अगर आपको कोई गाना नहीं मिले तो बताईये मैं कोशिश करूंगा कि आपके पाठकों तक पहुंचा सकूं।
माफ कीजिये लिंक गलत जगह लग गया है, मैने प्रीव्यू देखा तब सही था पर पब्लिश पर क्लिक करने के बाद गड़बड़ हो गया। एक बार फिर से लिंक दे रहा हूँ
मेरी दुनिया हे माँ तेरे आँचल में
धन्यवाद यूनुस जी इतने अच्छे गाने सुनाने के लिए। आज के ज़माने के गीतकार और संगीतकार भला क्या बराबरी करेंगे पुराने गीतकार और संगीतकारों की।
टू गुड है भाईसाहब।
यूनुस जी - बहुत बहुत धन्यवाद!
नाहर भाईसा - बहुत बहुत धन्यवाद, बहुत सालों से ये गीत तलाश कर रहा था, इसका कैसेट मेरे पास भारत में था जो अमरीका लाना भूल गया था।
शुक्रिया युनूस भाई पहला गीत तो कल सुना और आज सागर जी की मदद से दूसरा भी सुनने को मिलेगा।
Mujhe purani film Batwara ka geet yaad Aa gaya -
Aie Maa teri soorat se alag Bhagvaan ki soorat kya hogi
jisko nahi dekha hamne kabhi
Annapurna
यूनुस भाई,
बहुत ही बढिया गीत छाँट लाये हो, वाकई यह गाना खलनायक जैसी हिट फ़िल्म का होने के बावजूद कम सुनाई देता है, मजा आ गया, और सागर जी ने उसमें चार चाँद लगा दिये..
प्रिय सजीव भाई,
आपने बिल्कुल सही फरमाया कि आज की जनरेशन एल0पी0 को वो मान नहीं देती जिसके वो हक़दार हैं ।
दरअसल इस मिर्ची जनरेशन ने उन्हें ठीक से सुना ही नहीं है ।
आपकी इस बात से मुझे लगा कि क्यों ना लक्ष्मी प्यारे की हिट संगीत यात्रा पर कुछ लिखा जाए ।
आप इंतजार कीजिये मेरे नजरिये से एक लंबी श्रृंखला का । जिसमें होंगे एल0पी0 के शानदार गाने और उनका विश्लेषण ताकि ये नये बच्चे जानें कि क्या दिया है इस जोड़ी ने फिल्म संगीत को ।
सागरचंद नाहर जी
कैसे आपका शुक्रिया अदा करूं, ये गीत जाने कैसे और कहां से खोज लाए आप । आनंद आ गया ।
अन्नपूर्णा जी
जिस गीत का आपने जिक्र किया है वो संभवत: दादी मां फिल्म का है ।
अभिनव, नितिन,मनीष, ममता और सुरेश भाई बहुत बहुत शुक्रिया ।
Yunus ji...Aaj pehli baar aapka blog dekha aur mere paas shabd nahin hain aapke prati aabhaar vyakt karne ke liye ki hum jaise film aur gaane ke premiyon ke liye aapne itna kuch likha aur bhavnaaon ka varnan kiya. Sach much mein bahut achcha laga man ko aapki postings pad kar...bahut-bahut dhanyavaad.
Ek guzaarish hai...chooki aap to udgoshak hain Vividh Bharati par, to zaahir hai ki geeton wagarh se jude jo tathya aur khatti-meethi baatein hain, agar un sabka bhi aap varnan kar sake, to chaar chaand lag jayenge.
Meri sirf ye prarthna hai....aapka blog hain...jo sahi lage aapkjo.
Haardik shubkamaaon sahit!
Amitabh
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