संगीत का कोई मज़हब, कोई ज़बान नहीं होती। 'रेडियोवाणी' ब्लॉग है लोकप्रियता से इतर कुछ अनमोल, बेमिसाल रचनाओं पर बातें करने का। बीते नौ बरस से जारी है 'रेडियोवाणी' का सफर।
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Friday, November 28, 2008

ईश्‍वर अल्‍ला तेरे जहां में नफ़रत क्‍यों है जंग है क्‍यों: 1947 earth

                      blood_spatter

ये किसका लहू है कौन मरा
ऐ रहबर मुल्‍क़ो-क़ौम बता
ये किसका लहू है कौन मरा ।।


ईश्‍वर अल्‍ला तेरे जहां में नफ़रत क्‍यों है जंग है क्‍यों
तेरा दिल तो इतना बड़ा है इंसां का दिल तंग है क्‍यों
क़दम-क़दम पर सरहद क्‍यों है सारी ज़मीं तो तेरी है
सूरज के फेरे करती है, फिर क्‍यों इतनी अंधेरी है
इस दुनिया के दामन पर इंसां के लहू का रंग है क्‍यों
ईश्‍वर अल्‍ला तेरे जहां में ।।
गूंज रही हैं कितनी चीख़ें, प्‍यार की बातें कौन सुने
टूट रहे हैं कितने सपने इनके टुकड़े कौन चुने
दिल के दरवाज़ों पर ताले, तालों पर ये ज़ंग है क्‍यों
ईश्‍वर अल्‍ला तेरे जहां में ।।

दीपा मेहता की फिल्‍म '1947 Earth' का गीत ।
गीत: जावेद अख्तर
संगीत: ए.आर.रहमान

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