संगीत का कोई मज़हब, कोई ज़बान नहीं होती। 'रेडियोवाणी' ब्लॉग है लोकप्रियता से इतर कुछ अनमोल, बेमिसाल रचनाओं पर बातें करने का। बीते नौ बरस से जारी है 'रेडियोवाणी' का सफर।
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Thursday, January 1, 2009

ख्‍वाब बुनिए ज़रा, गीत सुनिए ज़रा

नए साल की सुबह शुभकामनाओं के तौर पर गीत ऐसा होना चाहिए जो इस भीनी भोर को यादगार बना दे । रेडियोवाणी पर पिछले साल के आखिरी दिनों में अनेक कारणों से हमारी रफ्तार थोड़ी कम रही । लेकिन उम्‍मीद करते हैं कि इस साल हम सब मिलकर नियमित रूप से गीत सुनेंगे, गुनेंगे और बुनेंगे । जिदंगी में अगर सुर ना हों तो वो बेमानी हो जाती है । और हम जिंदगी को बेमानी नहीं होने देना चाहते ।

साल 2009 की शुरूआत की जा रही है जावेद अख़्तर के लिखे गीत से । इसके संगीतकार हैं शंकर अहसान लॉय और शायद कुछ सुधी लोगों को याद हो कि ये गीत फिल्‍म 'rock on' का है । पिछले कुछ दिनों से ये गीत मेरे ज़ेहन और होठों पर छाया हुआ है । नए साल की पहली भोर में ये गीत आपको कुछ दे जायेगा । केवल गिटार पर इसे स्‍वरबद्ध किया गया है ।  इसकी एक-एक पंक्ति दिल में उतर जाती है । 'खुश है वही जो थोड़ा बेताब है' । 'जिंदगी में कोई आरज़ू कीजिए फिर देखिए' । ये सब ऐसे जुमले हैं जो किसी 'अमृत-वचन' से कम नहीं हैं । बेबाकी से मानना होगा कि बहुत दिनों बाद जावेद अख़्तर की कलम की धार नज़र आई है ।


इस गाने को CARALISA MONTEIRO ने गाया है । इस युवा गायिका को हम पहले भी 'सलाम नमस्‍ते' जैसी कई फिल्‍मों में सुन चुके हैं ।


तो चलिए 'ख़्वाब बुनिए ज़रा गीत सुनिए ज़रा'...........फिर देखिए ।


 FLOWER
रेडियोवाणी पर सभी को नव-वर्ष मुबारक हो ।।

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Friday, November 28, 2008

ईश्‍वर अल्‍ला तेरे जहां में नफ़रत क्‍यों है जंग है क्‍यों: 1947 earth

                      blood_spatter

ये किसका लहू है कौन मरा
ऐ रहबर मुल्‍क़ो-क़ौम बता
ये किसका लहू है कौन मरा ।।


ईश्‍वर अल्‍ला तेरे जहां में नफ़रत क्‍यों है जंग है क्‍यों
तेरा दिल तो इतना बड़ा है इंसां का दिल तंग है क्‍यों
क़दम-क़दम पर सरहद क्‍यों है सारी ज़मीं तो तेरी है
सूरज के फेरे करती है, फिर क्‍यों इतनी अंधेरी है
इस दुनिया के दामन पर इंसां के लहू का रंग है क्‍यों
ईश्‍वर अल्‍ला तेरे जहां में ।।
गूंज रही हैं कितनी चीख़ें, प्‍यार की बातें कौन सुने
टूट रहे हैं कितने सपने इनके टुकड़े कौन चुने
दिल के दरवाज़ों पर ताले, तालों पर ये ज़ंग है क्‍यों
ईश्‍वर अल्‍ला तेरे जहां में ।।

दीपा मेहता की फिल्‍म '1947 Earth' का गीत ।
गीत: जावेद अख्तर
संगीत: ए.आर.रहमान

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