बरसे घन सारी रात--रघुवीर सहाय का लिखा गीत, लता मंगेशकर की आवाज। रेडियोवाणी के दस बरस।
'रेडियोवाणी' को अचानक ही नौ अप्रैल 2007 को शुरू किया था। यानी कल हमने बाक़ायदा ब्लॉगिंग के दस बरस पूरे कर लिए। ब्लॉगिंग की दुनिया उन दिनों हरी भरी हुआ करती थी।तब ‘ब्लॉग-वाणी’ जैसा बेमिसाल
एग्रीगेटर हुआ करता था। ब्लॉगिंग की इस यात्रा ने बेमिसाल दोस्त दिये। परिचय का दायरा बढ़ाया।
रचनात्मकता को नये आयाम दिये।
बरसे घन सारी रात,
संग सो जाओ
आओ रे,
प्रिय आओ रे
संग सो जाओ।।
नहलाओ साँसों से तन मेरा
शीतल पानी याद आए
सागर नदिया याद आए
शबनम धुला सवेरा,
होंठों से तपन बुझाओ,
प्रियतम आओ,
आओ रे संग सो जाओ।।
कुम्हलाया उजियारा मेरे मन में
अँधियारा घिर आया दर्पन में
क्यों तन सिहरे
छाया डोले
क्या तुम आए
बाहें खोले
नींद आई मधुर समर्पन में
अंतिम सिसकी
चुम्बन से चुप कर जाओ
प्रियतम आओ,
आओ रे प्रियतम आओ
संग सो जाओ।।
और उस छटपटाहट को कम किया जो हमारे भीतर हमेशा से थी संगीत पर लिखने की। इधर के कुछ
सालों में ब्लॉगिंग पर ध्यान कुछ कम हुआ है। ऐसा केवल हमारे संग नहींं हुआ, तकरीबन सभी समकालीनोंं के साथ हुआ है।
ऐसा नहीं है कि गानों से हमारा प्यार खत्म हो गया हो। या गानों पर लिखना खत्म हो गया हो। आज रेडियोवाणी की सालगिरह पर हम लेकर आए हैं एक बहुत ही दुर्लभ और अनमोल गाना। हम चाहते हैं कि रेडियोवाणी इसी तरह के अनमोल गानों के लिए जाना जाए।
बहुत बरस पहले ये गाना मैंने संगीतकार वनराज भाटिया से लिया था। इत्तेफाक ये है कि मित्र और लेखक पंकज सुबीर के यू-ट्यूब चैनल पर यह बरामद हुआ। आपमें से कुछ साथियों को ये जानकर हैरत हो सकती है कि ये गीत हिंदी के सुप्रसिद्ध कवि रघुवीर सहाय ने कुमार शाहनी की फिल्म ‘तरंग’ के लिए लिखा था। ये फिल्म सन 1984 में आयी थी। लता जी इसे अपने बहुत ही अनमोल गीतों में शामिल करती हैं।
इस गाने में अद्भुुुत मादकता है। और लता जी ने उसे किस तरह निभाया है। इस अभिव्यक्ति के बहुत ही दुर्लभ और अमूल्य गीतों में से एक।
रेडियोवाणी की दसवीं सालगिरह हम सभी को मुबारक।
Song: Barse Ghan Saari Raat Film-Tarang
Singer- Lata Mangeshkar Lyrics: Raghuveer sahay
Music: Vanraj Bhatia
Year: 1984
ऐसा नहीं है कि गानों से हमारा प्यार खत्म हो गया हो। या गानों पर लिखना खत्म हो गया हो। आज रेडियोवाणी की सालगिरह पर हम लेकर आए हैं एक बहुत ही दुर्लभ और अनमोल गाना। हम चाहते हैं कि रेडियोवाणी इसी तरह के अनमोल गानों के लिए जाना जाए।
बहुत बरस पहले ये गाना मैंने संगीतकार वनराज भाटिया से लिया था। इत्तेफाक ये है कि मित्र और लेखक पंकज सुबीर के यू-ट्यूब चैनल पर यह बरामद हुआ। आपमें से कुछ साथियों को ये जानकर हैरत हो सकती है कि ये गीत हिंदी के सुप्रसिद्ध कवि रघुवीर सहाय ने कुमार शाहनी की फिल्म ‘तरंग’ के लिए लिखा था। ये फिल्म सन 1984 में आयी थी। लता जी इसे अपने बहुत ही अनमोल गीतों में शामिल करती हैं।
इस गाने में अद्भुुुत मादकता है। और लता जी ने उसे किस तरह निभाया है। इस अभिव्यक्ति के बहुत ही दुर्लभ और अमूल्य गीतों में से एक।
रेडियोवाणी की दसवीं सालगिरह हम सभी को मुबारक।
Song: Barse Ghan Saari Raat Film-Tarang
Singer- Lata Mangeshkar Lyrics: Raghuveer sahay
Music: Vanraj Bhatia
Year: 1984
बरसे घन सारी रात,
संग सो जाओ
आओ रे,
प्रिय आओ रे
संग सो जाओ।।
नहलाओ साँसों से तन मेरा
शीतल पानी याद आए
सागर नदिया याद आए
शबनम धुला सवेरा,
होंठों से तपन बुझाओ,
प्रियतम आओ,
आओ रे संग सो जाओ।।
कुम्हलाया उजियारा मेरे मन में
अँधियारा घिर आया दर्पन में
क्यों तन सिहरे
छाया डोले
क्या तुम आए
बाहें खोले
नींद आई मधुर समर्पन में
अंतिम सिसकी
चुम्बन से चुप कर जाओ
प्रियतम आओ,
आओ रे प्रियतम आओ
संग सो जाओ।।
8 comments:
बढ़िया गीत है। रेडियोवाणी की दसवीं सालगिरह मुबारक।
बहुत शुक्रिया शाहनाज़ आपका।
गज़ब की चीज।अनमोल।
यात्रा के पहले दशक के पड़ाव तक पहुँचने की हार्दिक बधाई और आगे के अनेक दशकों के लिए शुभकामनाएँ !
गीत के बारे में क्या कहें ? "रेडियोवाणी" के हर गीत की तरह ही अनमोल...... शब्दों की सीमा से परे !!
waah waah aur bss kuchchh bi nahin
सभी दोस्तों का शुक्रिया। रेडियोवाणी पर संगीत का सिलसिला जारी है।
बहुत बहुत बधाई आप को ....
अरे भइया, आज 11 बरस भी पूरे हो गये !
तब से कुल जमा दो पोस्ट्स आयी हैं अब तक !!
बधाई !!!
☺️
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