सांझ ढले गगन तले- कवि वसंत देव की याद.
हिंदी-सिनेमा में सबसे कम 'क्रेडिट' अगर किसी कलाकार को मिलता है तो वो गीतकार ही हैं। सन 1984 में जब गिरीश कार्नाड के निर्देशन में फिल्म 'उत्सव' आई तो सारी प्रशंसा ख़ुद निर्देशक ले गए या रेखा और थोड़ी बहुत शेखर सुमन। हां निर्माता शशि कपूर के हिस्से में भी थोड़ी प्रशंसा तो आई ही। पर सबसे कम ध्यान अगर किसी का गया तो वो इस फिल्म के गीतकार वसंत देव पर।
मैं खोजने चला तो मुझे ना तो वसंत देव का ठीक-ठाक प्रोफाइल मिला और ना ही उनकी कोई तस्वीर मिली। हां ये ज़रूर पता चला कि श्याम बेनेगल के प्रसिद्ध धारावाहिक 'भारत एक खोज' के लिए ऋग्वेद के दशम मंडल के नासदीय सूक्त का हिंदी रूप उन्होंने तैयार किया था--'सृष्टि से पहले सत नहीं था'। इसे आप यहां सुन सकते हैं। वसंत देव अन्य प्रमुख गीतों की सूची--
अंधियारा गहराया सूनापन घिर आया-- फिल्म 'सारांश'
हर घड़ी ढल रही शाम है जिंदगी-- फिल्म 'सारांश'
कान्हा रे पीर सही ना जाए--फिल्म 'आक्रोश'
मन आनंद आनंद छायो--फिल्म 'विजेता'
बहरहाल...'उत्सव' का ये गाना इतना ललित और अद्भुत है कि जब भी सुनें ये देर तक ज़ेहन में गूंजता रहता है। आज भी इस गीत को खोजा और सुना जाता है। नई पीढ़ी के बच्चे अगर इस गीत में इस्तेमाल किये गये शब्दों के अर्थ खोजते और पूछते हैं तो ये अच्छी बात है।
इस गाने को सुनने से पहले कुछ दिलचस्प तथ्य--
-फिल्म 'उत्सव' भास के नाटक 'चारूदत्त' पर आधारित थी। जिस पर छठी सदी में शूद्रक ने अपना नाटक 'मृच्छकटिकम्' लिखा था।
-इस फिल्म के संवाद हिंदी के प्रसिद्ध व्यंग्यकार शरद जोशी ने लिखे थे।
-फिल्म में लता मंगेशकर और आशा भोसले ने एक युगल गीत गाया था--'मन क्यों बहका आधी रात को'।
-'उत्सव' के गाने 'मेरे मन बाजे मृदंग' के लिए अनुराधा पौड़वाल को 1985 का फिल्मफेयर पुरस्कार मिला था।
song: saanjh dhale gagan tale
singer: suresh wadkar
lyrics: vasant dev
music: laxmikant pyarelal
duration: 4:54
सांझ ढले गगन तले हम कितने एकाकी
छोड़ चले नयनों को किरणों के पाखी
पाती की जाली से झांक रही थीं कलियां
गंध भरी गुनगुन में मगन हुई थीं कलियां
इतने में तिमिर धंसा सपनीले नयनों में
कलियों के आंसू का कोई नहीं साथी
छोड़ चले नयनों को किरणों के पाखी
सांझ ढले।।
जुगनू का पट ओढ़े आयेगी रात अभी
निशिगंधा के सुर में कह देगी बात सभी
कांपता है मन जैसे डाली अंबुआ की
छोड़ चले नयनों को किरणों के पाखी
सांझ ढले।
यू-ट्यूब पर यहां देखिए।
-----
अगर आप चाहते हैं कि 'रेडियोवाणी' की पोस्ट्स आपको नियमित रूप से अपने इनबॉक्स में मिलें, तो दाहिनी तरफ 'रेडियोवाणी की नियमित खुराक' वाले बॉक्स में अपना ईमेल एड्रेस भरें और इनबॉक्स में जाकर वेरीफाई करें।
12 comments:
Yunus ji, vasant Dev ji ne Ek Chidiya Anek Chidiya wale animation ke liye bhi Sangeet diya tha...unka janm Sindhudurg ke ek gaon mein hua tha, aur 17 saal ki chhoti umra se hi wo filmon mein active rahe hain...Unhone Prabhat Films ki Khooni Khanjar sahit kayi filmon mein acting ki hai...Deval Club mein bade bade sangeetkaron ke liye paan laane ka kaam mila tha unhein aur wahin Paan laate laate wo in ustaadon ki sangat mein baithne lage aur apne zamane ke prasiddh sangeetkaron - Govindrao Tembe, Krishnarao, Bhole wagairah ke assistant reh kar unhone music seekha...Ayodhyecha Raja aur Amar Jyoti jaisi movies mein Actor-Singer rahe...baad mein unhone V.Shantaram sahab ki Shakuntala mein music diya aur lambe waqt tak V.Shantaram ki movies mein music dete rahe...
One of his most memorable song was Bole Re Papihara from Guddy...I must be having one of his very old pics too
युनुस जी, मैं बहुत दिनों से इस भारत एक खोज के टाइटिल इस वेद मन्त्र को सुनना चाह रही थी. आपका बहुत-बहुत धन्यवाद इसका लिंक देने के लिए. मैं नहीं जानती थी कि इसका हिन्दी अनुवाद किसने किया है? वसंतदेव के बारे में जानकारी के लिए भी हार्दिक आभार. कितनी अजीब सी बात है कि कभी-कभी इतने महत्त्वपूर्ण कलाकार गुमनाम से रह जाते हैं.
'उत्सव' का ये गीत भी मुझे बेहद पसंद है.
मैं भी उनका मुरीद हूँ.. बहुत सुन्दर रचनाएं हैं सब.. युनूस, उन्हे याद करने और कराने के लिए बहुत शुक्रिया..
टूनफ़ैक्ट्री साहब से निवेदन है कि वसन्तदेव जी की तस्वीर नेट पर मुहैय्या करायें.. मेहरबानी..!
अंधियारा गहराया सूनापन घिर आया,
मन आनंद आनंद छायो--ये दोनो लाजवाब हैं
बहुत सुंदर गीत. भास की कृति स्वप्नवासवदत्ता ही अधिक प्रसिद्ध है लेकिन 'दरिद्र चारुदत्त' नामक नाटक के रचयिता पर शायद मतैक्य नहीं है.
गीतकार वसंत देव जी के बारे में
इतना कुछ जान कर बहुत ख़ुशी हासिल हुई
ये सब हैरान कर देने वाला रहा कि
उन्होंने वी शांताराम की फिल्मों के लिए संगीत निर्देशन भी किया
(जैसा कि Toonfactory साहब ने फ़रमाया है)
क्या वाणी जयाराम का गाया गीत "बोले रे पपीहरा..."
भी इन्होने लिखा है..??
एक बहुत अच्छी यादगार प्रस्तुति के लिए आभार .
मुझे शक है कि 'गुड्डी' का गीत वसंत देव का है। हां संगीत वसंत देसाई का ज़रूर है। पर जहां तक मुझे याद आ रहा है ये गीत गुलज़ार का है। पर कल रिकॉर्ड देखकर पुष्िट की जाएगी।
आलोक तुम्हारी भेजी जानकारियां कमाल की हैं। वसंत देव की तस्वीर जारी की जाए।
सुन्दर गीत के लिये धन्यवाद
इस पोस्ट के माध्यम से इस महान फनकार से जुडी कई बातें सामने आईं. धन्यवाद.
पक्का हो गया। गुड्डी के गाने गुलज़ार ने लिखे हैं।
जी शुक्रिया ....
यहाँ शायद वसंत देसाई और वसंत देव में
कोई मुग़ालता रहा
Good post Yunus. Enjoyed.
Post a Comment
if you want to comment in hindi here is the link for google indic transliteration
http://www.google.com/transliterate/indic/