आईये सुनें 'चल उड़ जा रे पंछी'- रफ़ी नहीं तलत की आवाज़ में
गानों की खोजबीन का सिलसिला ऐसा है कि ये अकसर आपको हैरत में डाल देता है । आज हम आपको जो गाना सुनवाने जा रहे हैं वो तकरीबन तीन-चार महीने पहले ही 'इंटरनेटी-यायावरी' में हमारे सामने अचानक आ गया था और हम 'ठिठक' गए थे । हुआ यूं कि एक दिन रेडियो पर हम फ़रमाईशों का 'फोन-इन' कार्यक्रम 'हैलो फ़रमाईश' कर रहे थे तो एक सुधि-श्रोता ने अजीब-सी फ़रमाईश की, जो 'बाउंसर' जैसी लगी । बोले--'चल उड़ जा रे पंछी' सुनवा दीजिए । लेकिन हमें ये गाना रफ़ी साहब की आवाज़ में नहीं बल्कि तलत महमूद की आवाज़ में सुनना है ।
उन्हें लगा था कि या तो वो गाना विविध-भारती के पास होगा, या फिर हम बग़लें झांकने लगेंगे, क्योंकि फिल्म के रिकॉर्ड पर ये गीत है नहीं और बहुत ही चुनिंदा लोगों को इस संस्करण के बारे में पता है । जब मैंने उनसे कहा कि भाईसाहब ये गाना फिल्म के रिकॉर्ड पर नहीं है...तो वो अड़ गये कि हमने तो बहुत बार सुना है । आपने ठीक से देखा नहीं होगा, ज़रा फिर से 'चेक' कीजिए । तब मजबूर होकर हमें उन्हें इस गीत की कहानी सुनानी पड़ी । जो आप भी सुन लीजिए । ये कहानी मुझे फिल्म-संसार के एक मशहूर संगीत-निर्देशक ने बताई थी ।
तकरीबन साठ के दशक की शुरूआत की बात है । एच.एम.वी. को अचानक आयडिया आया कि क्यों ना इस दौर के मशहूर गीतों के 'कवर-वर्शन' तैयार किए जाएं । यानी एक मशहूर गायक के गीतों को दूसरे मशहूर गायक से गवाया जाए । मिसाल के लिए हेमंत कुमार गाएं मन्ना डे के गीत । मन्ना डे गाएं रफी साहब के गीत । तलत गाएं रफी के गीत और रफी़ गाएं तलत के गीत । शायद यही वजह है कि कहीं से मुझे मन्ना डे की आवाज़ में 'जिंदगी ख्वाब है' मिल गया । फिल्म जागते रहो साल 1956 । और हां मन्नाडे का गाया 'ये कूचे ये नीलामघर जिंदगी के' यानी 'जिन्हें नाज़ है हिंद पर वो कहां है' मिल गया । ऐसे ही कुछ और गीत है जो हमारे या हमारे मित्रों और परिचितों के संग्रह की शोभा बढ़ा रहे हैं । ये 'उल्टा-पुल्टा' देखकर ही हमने खोजबीन की और पता किया कि ऐसा कैसे हुआ । तब जाकर ये कहानी सामने आई ।
अब इसमें कित्ता सच है और कितनी किंवदंती है...ये तो ऊपर वाला जाने । हां ये ज़रूर है कि फिल्म-संसार में कई बार गाने तैयार होने के बाद ऐन मौक़े पर किसी दूसरे गायक से गवा लिए जाते हैं । जैसा कि फिल्म 'आदमी' के गानों के साथ हुआ था । तलत महमूद के गीत महेंद्र कपूर से गवा लिए गए थे । कहते हैं कि मनोज कुमार के कहने पर ऐसा हुआ थे । इसके अलावा 'लाइव-कंसर्ट' करते समय किशोर कुमार भी अन्य गायकों के गीत गाते थे । इसलिए कोई ऐसी रिकॉर्डिंग अचानक प्रकट हो जाए, तो उसे सुनना भी दिलचस्प हो सकता है ।
बहरहाल...ये गाना सचमुच का कवर-वर्शन है । फिल्म है 'भाभी' । फिल्म में ये रफ़ी साहब की आवाज़ में था । किस तरह से........खुद देख लीजिए ।
भई--यूट्यूब के परदे पर जब तक ये गीत टंगा रहेगा । यहां दिखता रहेगा । इसके बाद खाली खिड़की नज़र आए तो हमसे मत कहिएगा । टाइटल्स में आपको संवाद लेखक और गीतकार दोनों के रूप में राजेंद्र कृष्ण का नाम नज़र आएगा । राजेंद्र कृष्ण बहुधा संवाद और गीत दोनों ही लिखने पर ज़ोर देते थे ।
फिलहाल इस गाने के बोल ये रहे:
उन्हें लगा था कि या तो वो गाना विविध-भारती के पास होगा, या फिर हम बग़लें झांकने लगेंगे, क्योंकि फिल्म के रिकॉर्ड पर ये गीत है नहीं और बहुत ही चुनिंदा लोगों को इस संस्करण के बारे में पता है । जब मैंने उनसे कहा कि भाईसाहब ये गाना फिल्म के रिकॉर्ड पर नहीं है...तो वो अड़ गये कि हमने तो बहुत बार सुना है । आपने ठीक से देखा नहीं होगा, ज़रा फिर से 'चेक' कीजिए । तब मजबूर होकर हमें उन्हें इस गीत की कहानी सुनानी पड़ी । जो आप भी सुन लीजिए । ये कहानी मुझे फिल्म-संसार के एक मशहूर संगीत-निर्देशक ने बताई थी ।
तकरीबन साठ के दशक की शुरूआत की बात है । एच.एम.वी. को अचानक आयडिया आया कि क्यों ना इस दौर के मशहूर गीतों के 'कवर-वर्शन' तैयार किए जाएं । यानी एक मशहूर गायक के गीतों को दूसरे मशहूर गायक से गवाया जाए । मिसाल के लिए हेमंत कुमार गाएं मन्ना डे के गीत । मन्ना डे गाएं रफी साहब के गीत । तलत गाएं रफी के गीत और रफी़ गाएं तलत के गीत । शायद यही वजह है कि कहीं से मुझे मन्ना डे की आवाज़ में 'जिंदगी ख्वाब है' मिल गया । फिल्म जागते रहो साल 1956 । और हां मन्नाडे का गाया 'ये कूचे ये नीलामघर जिंदगी के' यानी 'जिन्हें नाज़ है हिंद पर वो कहां है' मिल गया । ऐसे ही कुछ और गीत है जो हमारे या हमारे मित्रों और परिचितों के संग्रह की शोभा बढ़ा रहे हैं । ये 'उल्टा-पुल्टा' देखकर ही हमने खोजबीन की और पता किया कि ऐसा कैसे हुआ । तब जाकर ये कहानी सामने आई ।
अब इसमें कित्ता सच है और कितनी किंवदंती है...ये तो ऊपर वाला जाने । हां ये ज़रूर है कि फिल्म-संसार में कई बार गाने तैयार होने के बाद ऐन मौक़े पर किसी दूसरे गायक से गवा लिए जाते हैं । जैसा कि फिल्म 'आदमी' के गानों के साथ हुआ था । तलत महमूद के गीत महेंद्र कपूर से गवा लिए गए थे । कहते हैं कि मनोज कुमार के कहने पर ऐसा हुआ थे । इसके अलावा 'लाइव-कंसर्ट' करते समय किशोर कुमार भी अन्य गायकों के गीत गाते थे । इसलिए कोई ऐसी रिकॉर्डिंग अचानक प्रकट हो जाए, तो उसे सुनना भी दिलचस्प हो सकता है ।
बहरहाल...ये गाना सचमुच का कवर-वर्शन है । फिल्म है 'भाभी' । फिल्म में ये रफ़ी साहब की आवाज़ में था । किस तरह से........खुद देख लीजिए ।
भई--यूट्यूब के परदे पर जब तक ये गीत टंगा रहेगा । यहां दिखता रहेगा । इसके बाद खाली खिड़की नज़र आए तो हमसे मत कहिएगा । टाइटल्स में आपको संवाद लेखक और गीतकार दोनों के रूप में राजेंद्र कृष्ण का नाम नज़र आएगा । राजेंद्र कृष्ण बहुधा संवाद और गीत दोनों ही लिखने पर ज़ोर देते थे ।
फिलहाल इस गाने के बोल ये रहे:
चल उड़ जा रे पंछी के अब ये देश हुआ बेगाना
भूल जा अब वो मस्त हवा, वो उड़ना डाली-डाली
जग की आंख का कांटा बन गयी चाल तेरी मतवाली
कौन भला उस बाग़ को पूछे हो ना जिसका माली
तेरी किस्मत में लिखा है जीते जी मर जाना
चल उड़ जा रे पंछी ।
ख़तम हुए दिन उस डाली के जिस पर तेरा बसेरा था
आज यहां और कल वहां ये जोगी वाला फेरा था
सदा रहा है इस दुनिया में किसका आब-ओ-दाना
चल उड़ जा रे पंछी ।
तूने तिनका तिनका चुनकर नगरी एक बसाई
बारिश में तेरी भीगी आंखें धूप में गर्मी खाई
ग़म ना कर जो मेहनत तेरे कोई काम ना आई
अच्छा है कुछ ले जाने से देकर ही कुछ जाना
चल उड़ जा रे पंछी ।
रोते हैं वो पंख-पखेरू साथ तेरे जो खेले
जिनके साथ लगाए तूने अरमानों के मेले
भीगी अंखियों से ही उनकी आज दुआएं ले ले
किसको पता अब इस नगरी में कब हो तेरा आना
चल उड़ जा रे पंछी ।
इसका 'कवर-वर्शन' तलत महमूद ने गाया था । आईये इसे भी सुन लिया जाए, क्योंकि इसी के लिए हमें इस 'पोस्ट' को लिखने का 'टिटिम्मा' करना पड़ा है । song:chal ud ja re panchi sung by talat mahmood. lyrics:rajendra krishna music:chitragupta film:bhabhi(1957) जब भी ऐसे गीत 'डिस्कवर' होते हैं तो हम एक ग़लती कर बैठते हैं । और वो सहज ग़लती है । हम फ़ौरन मूल गीत से ऐसे गानों की तुलना करते हैं । आप इस गाने को सुनकर रफ़ी की आवाज़ की कल्पना करेंगे और नतीजा निकालेंगे कि रफ़ी साहब ने बेहतर गाया । लेकिन अगर रफ़ी साहब ने ये कवर-वर्शन गाया हो तो आपको मूल गायक की आवाज़ उनसे बेहतर लगती । ज़रा सोचिए कि इस तरह हमें ये जानने का मौक़ा मिलता है कि कोई दूसरा गाता तो इसे कैसे गाता । तो बताईये कैसा गाया है तलत महमूद ने इसे ।
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photo courtesy:www.talatmahmood.net
23 comments:
युनुस भाई, इस गीत को तलत साहब की आवाज में सुनना एक अलग ही अनुभव है। क्या आप और भी ऐसे कवर वर्शन सुनवाएँगे?
अरे गज़ब!
एक अलग अनुभव।
द्विवेदी जी के अनुरोध पर ध्यान दिया जाए :-)
बी एस पाबला
िस लाजवाब तोहफे के लिये धन्यवाद्
िस लाजवाब तोहफे के लिये धन्यवाद्
गज़ब ... गज़ब ! ये कमाल सिर्फ़ आप ही कर सकते हैं.
ये तो कमाल की जानकारी हो गयी. ऐसे कवर-वर्ज़न्स भी हैं, कभी नहीं सोचा था.
पर तलत वाला गीत हम सुन नहीं पा रहे हैं. प्लेयर चल नहीं रहा. यू-ट्यूब वाला चल रहा है. :-(
यूट्यूब के परदे पर जब तक ये गीत टंगा रहेगा । यहां दिखता रहेगा ।
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यह मेरी भी समझ में नहीं आता कि यू ट्यूब पुराने पत्ते झाड़ क्यों देता है! :(
सुखद
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Carbon Nanotube As Ideal Solar Cell
ठीक एक साल पहले भी
बहुत सुंदर। सुनकर बहुत अच्छा लगा। पुराने गानों की फैन होने के नाते तलत की भी फैन हूं। और उनकी कांपती सी आवाज़ में गीत सुनने का अलग ह आनंद है। धन्यवाद, यह गाना सुनवाने के लिए।
तलत अजीज की लरजती आवाज में इस गाने को सुनकर एक अलग ही अनुभूति हुई..आभार ..!!
वाणी गीत आपसे बस यही कहना है कि ये तलत अज़ीज़ नहीं हैं तलत महमूद हैं ।
गाने में ऐसए खोये कि कॉलेज के लिए लेट हो गये , सब मेरे पसंददीदा गाने डालते हैं आप
Han pahli baar talat ji ki aawaj men bhi sun liya.
Ek baat yadi aap dhyan den to -- kya hum ise aapki site se seedhe down load kar sakte hain?, Mujhe nahin aata.
Aisi vyavstha ho to you tube ke parde per tanga ho ya nahin ho, internet khula ho ya nahin ho, ise kabhi bhi suna jaa sakata hai.
Gyan Shringi
Kota
सुरत निवासी श्री हरीश रघुवंशी (मूकेश गीत कोष ) के सौजन्य से मेरे पास ऐसे कुछ कवर वर्झन (जिसमें यह भी तथा जिन्दगी ख़्वाब है का मन्ना डे वाला वर्झन भी शामिल है ) अपने निज़ी संग्रहमें करीब 10 12 सालोंसे शामिल हुए है ।
पियुष महेता ।
सुरत-395001.
एक तो आपके धन्यवाद जो आपने ये सुनवाया रफ़ी साहब के गीत को तलतजी की मखमली आवाज़ में. प्रस्तुत गीत को मैंने दो तीन महिने पहले अपने ब्लोग पर सुनवाया था(दोनो का वर्शन गीत मेरी आवाज़ में !!)
मगर आश्चर्य की खबर ये है, की मन्ना दा के भी कवर वर्शन्स है. आपसे अनुरोध है, कि उन्हे ज़रूर सुनवायें, किसी भी सूरत में...
OMG!!! Yunusji,this is a rarest gem!!simply mesmerizing!!!many thanks.
पुनश्च :
एच एम व्ही को इस ”उठापटक’ से क्या कमर्शियल माईलेज या रेटर्न मिला ये तो पता नहीं. हमें तो इन दोनों महान गायकों की अपनी आवाज़ के टिंबर की गुणवत्ता, रेन्ज , और अंदाज़े बयां का वस्तुनिष्ठ वजूद और वका़र समझ में आता है और सर सजदे में झुक जाता है.
युनुस जी,
बहुत दिनों से आपके ब्लॉग पर आना चाहता था लेकिन समय की कमी की वजह से नहीं आ पाया, दो दिन पहले आपके ब्लॉग पर आया हूँ. अभी कुछ ही पोस्ट पढ़ पाया हूँ लेकिन बड़ा ही अच्छा लगता है उन गानों के इतिहास को जानकर जिनको बचपन से सुनता आया हूँ. कभी समय मिले तो फिल्म नाम के गीत चिठ्ठी आई है....... के बारे में लिखिए मुझे बहुत अच्छा लगेगा.
सुभाष यादव
बहुत उम्दा तोहफा ,दोनों महान आवाजे गाने के मान को बडा रही है
वाह युनुस साहब,
बहुत अच्छा लगा ये ये गाना यहाँ पर देखकर और सुनकर. वैसे इस गाने की फरमाइश मैंने भी की थी लेकिन आपने वोह शायद पढ़ा ही नहीं :(
ये देखिये आपकी इस पोस्ट पर मेरा comment. इसमें मैंने youtube का लिंक भी दिया था. :-)
हैरी भाई, आपका लिंक मिला था । हालांकि ये गाना और इस तरह के कुछ और वर्शन मेरे संग्रह में कुछ वर्षों से हैं । मित्रों के पास तो इनका ख़ज़ाना ही है ।
बहुत-बहुत शुक्रिया ।
लाजवाब संग्रह है. मैने कभी सोचा भी नहीं था कि इस गीत को तलत महमूद की आवाज में सुनुंगा.अगर इसी तरह के कुछ और गीत सुनने को मिल जाएं तो सचमुच मजा आ जाये.मुझे आपके इसी तरह के अन्य गीतो के लिंक का इंतजार रहेगा.
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