संगीत का कोई मज़हब, कोई ज़बान नहीं होती। 'रेडियोवाणी' ब्लॉग है लोकप्रियता से इतर कुछ अनमोल, बेमिसाल रचनाओं पर बातें करने का। बीते नौ बरस से जारी है 'रेडियोवाणी' का सफर।

Sunday, September 28, 2008

आज सुनिए स्‍वर-कोकिला लता मंगेशकर से मेरी बातचीत ।

आज लता जी का जन्‍मदिन है ।

लता जी से मिलने का सौभाग्‍य प्राप्‍त हो चुका है मुझे ।

फोन पर उनसे कई बार बातें हुईं हैं । hp_lata_mangeshkar_56414

इसलिए सोचा कि आज उनसे क़रीब दो वर्ष पहले हुई टेलीफोनिक बातचीत वैसी की वैसी सुनवा दी जाए ।

तो लता जी के जन्‍मदिन पर आपके लिए रेडियोवाणी का तोहफा ।

लता जी का ऑडियो इंटरव्‍यू । जिसमें गाने के अलावा बाक़ी मुद्दों पर ज्‍यादा बातें हुई हैं ।

ध्‍यान रहे इस बातचीत की अवधि पच्‍चीस मिनिट के आसपास है । इसलिए उतना समय लेकर ही सुनियेगा । लता जी को जन्‍मदिन की शुभकामनाएं ।

डाउनलोड कड़ी ।

कल रात जब मैं विविध भारती पर प्रसारण कर रहा था उसी समय खबर mahedra kapoor आई कि जाने माने पार्श्‍वगायक महेंद्र कपूर नहीं रहे । उनसे कई बार मुलाक़ात करने का मौक़ा मिला था । ऐसे मृदुभाषी और सहज गायक कम ही हुए हैं । महेंद्र कपूर के योगदान को कम करके नहीं आंका जा सकता । हालांकि मुझे अफ़सोस है कि उन्‍हें केवल देशभक्ति के खांचे में ही क़ैद कर दिया गया, लेकिन गहराई से सोचें तो महेंद्र कपूर ऐसी एकमात्र आवाज़ हैं जो हमें देशभक्ति गीतों में खूब रूचती है । रेडियोवाणी की ओर से उन्‍हें सादर श्रद्धांजली । उनके गीतों पर शीघ्र ही विस्‍तार से चर्चा होगी ।


14 comments:

PD September 28, 2008 at 9:51 AM  

सर आपकी आवाज ताजा हो गई.. सच में बहुत बढिया इंटरव्यू है यह..

लता जी को ढेर सारी बधाईयां..

रवि रतलामी September 28, 2008 at 10:55 AM  

इसकी डाउनलोड कड़ी भी दें, ताकि फुरसत में डाउनलोड कर अपने मोबाइल प्लेयरों में सुन सकें

Ashok Pande September 28, 2008 at 11:21 AM  

लता मंगेशकर को जनमदिन मुबारक.

जहाजी कउवा September 28, 2008 at 11:29 AM  

यूनुस भाई बहुत बहुत धन्यवाद लता जी और आपकी आवाज एक साथ सुनकर आनंद आ गया. मैं यह भी कहूँगा कि आपने बड़े ही प्रासंगिक प्रश्न पूछे है. कोशिश कीजिये कि एक और ताज़ी बातचीत हो जाए लताजी से

पारुल "पुखराज" September 28, 2008 at 12:17 PM  

ye post to radiovani ke ilavaa kahin milney se rahi !!bahut badhiyaa....

Ghost Buster September 28, 2008 at 12:28 PM  

पच्चीस मिनिट का इंटरव्यू है तो शायद बड़ी फाइल होगी. कल सुबह फ्री टाइम में डाउन लोड करूंगा. कंटेंट का अंदाजा तो लगाया ही जा सकता है.

महेंद्र कपूर को श्रद्धांजलि. वे उस सुनहरी दौर में अपनी अलग पहचान बनने में कामयाब हुए जब रफी, किशोर, मुकेश, मन्ना दे आदि बड़े दिग्गज छाये हुए थे. उनके कई गीत बेहद शानदार हैं.

रंजन राजन September 28, 2008 at 2:23 PM  

लता दीदी को जन्म दिन पर अनंत शुभकामनाएं।
आपने बड़े ही प्रासंगिक प्रश्न पूछे है. कोशिश कीजिये कि एक और ताज़ी बातचीत हो जाए लताजी से

नितिन | Nitin Vyas September 28, 2008 at 6:01 PM  

लताजी को जन्मदिन की शुभकामनायें। बडी ही रोचक बातचीत थी, सुनवाने के लिये धन्यवाद! लता जी के इतने शौक है ये जानकर आश्चर्य हुआ।

महेंद्र कपूर जी को श्रद्धांजलि।

siddheshwar singh September 28, 2008 at 10:00 PM  

भाई,
आज सुबह इसे सुनन शुरू किया था कि काम आन पड़ा और बाजार की दौड़ लगानी पड़ी. अभी इत्मीनान से सुना गया. इस तरह के कारनामे आप ही कर सकते है मित्र.
बहुत बढ़िया.इसका लिखित रूप भी किसी पत्र-पत्रिका में आये.
आज का इतवार बहुत उम्दा और उदात्त रहा.

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` September 28, 2008 at 10:02 PM  

लता दीदी को "शतम्` जीवेन शरद: "
ये आलेख + प्रविष्टी बहुत ही उम्दा हए हैँ दीदी और आपका स्वर बहुत भाया :-)
है इसे यहाँ प्रस्तुत करने के लिये आपका आभार युनूस भाई
सस्नेह्, सादर,
-लावण्या

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` September 29, 2008 at 2:34 AM  

आज महभारत टी.वी, सीरीज़ के निर्माण के दौरान स्व. सँगीत दिग्दर्शक राजकमलजी के साथ खडे होकर, दोहे
गाते हुए महेन्द्र कपूर जी की छवि याद आ गई ..मेरे १६ दोहे, श्री बी. आर. चोपडा अँकलजी ने शामिल किये
और महेन्द्र जी जे जिम्हेँ गाया..अब बस, यादेँ रह गईँ :-((
-लावण्या

Suneel R. Karmele September 29, 2008 at 5:46 PM  

वाह गुरू, छा गये। रेडि‍यो वि‍वि‍ध भारती पर नहीं सुन पाया था। रेडि‍योवाणी पर पोस्‍ट करके आपने तो इस चर्चा को कालजयी कर दि‍या है। अब कभी भी सुना जा सकता है।

कि‍तनी सरल और नि‍रमल आवाज है। शत-शत वन्‍दन लता जी के चरण कमलों पर।

bhakit September 30, 2008 at 1:31 AM  

Sir,

Lataji ki saath interview ke liye bahut dhnyavaad.

-Bhakit

Manish Kumar October 1, 2008 at 7:57 AM  

जबरदस्त दिल खुश कर दिया आपने इसे सुनवाकार...

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