ला दे मोहे बालमा आसमानी चूडियां--रेल का डिब्बा फिल्म का अनमोल गाना
अपने दूसरे चिट्ठे तरंग पर मैंने अपनी इस पोस्ट में फिल्म 'रेल का डिब्बा' के गाने का जिक्र किया था । 'कीप अलाइव' के कार्यक्रम में इस गाने को मैंने पहली बार सुना था और उसके बाद मैंने इस गाने की तलाश शुरू कर दी थी । ये हिंदी फिल्म संगीत संसार के कुछ अनूठे गानों में से एक है । क्यों, ये आप इसको सुनकर समझ सकते हैं ।
शमशाद बेगम और मुहम्मद रफ़ी की आवाजें हैं । इस गाने को शकील बदायूंनी ने लिखा है और संगीतकार गुलाम मोहम्मद । आपको बता दूं कि ये याहू अभिनेता शम्मी कपूर की संभवत: पहली फिल्म थी । जिसमें उनकी नायिका थीं मधुबाला । इस फिल्म में सज्जन, ओमप्रकाश, कुक्कु और जयंत जैसे कलाकार भी थे ।
चित्र साभार- ओसियान सिनेफैन
आईये अब इस गाने की ख़ासियत आपको बताएं । ये एक तरह से खिलंदड़ किस्म का गाना है । शरारती गाना । नायिका अपने नायक से आसमानी चूडि़यां लाने को कहती है और इस तरह से अपने प्यार का इज़हार करती है । इस गाने की सबसे बड़ी पूंजी इसकी धुन है । मुखड़े की अपनी जो रफ्तार है तो है । पर जब हम अंतरे पर आते हैं तो गाना रेल की गति से चलने लगता है । मुझे लगता है कि शकील बदायूंनी को इस गाने को लिखने में बेहद मुश्किलें पेश आई होंगी । संभवत: इस गाने की धुन मराठी की एक प्रसिद्ध लावणी की धुन से प्रेरित है ।
ये रहे इस गाने के बोल
ला दे मोहे बालमा आसमानी चूडि़यां
दिल को मोरे भाए ना ये पुरानी चूडि़यां
जी ये पुरानी चूडियां ।।
अरे भर के नज़र देख इधर
चूडियों की तुम करो ना फिकर
भूल ना जाना दिल को लेकर
घायल मन है जख्मी जिगर
जब से लड़ी तुमसे नज़र
हम हैं उधर तुम हो जिधर
आओ जी कर लें मिलके गुज़र
दुनिया को हो ना मगर
तेरे मेरे दिल की खबर
तेरे लिए लाऊंगा मनलुभानी चूडियां ।।
भोले पिया मेरा जिया तुमने लिया है
अजी तुमने हमें हमने तुम्हें प्यार किया है ।।
छोड़ के बलम जायेंगे ना हम
खाए हुए हैं प्यार की क़सम
रोएगा ना दिल खाएंगे ना ग़म
कोई ना होगा दिल पे सितम
तुम्हीं पिया तुम्हीं सनम
रखना मेरी लाज सनम
तेरे ही दम से है मेरा दम
लागी हो, देखो ना कम
साथ मिलके छम छमाछम
दे दे मेरे प्यार की तू निशानी चूडियां
लादे मोहे बालमा आसमानी चूडि़यां ।।
तो बताईये कि ये गाना आपको कैसा लगा । क्या आप इसे गुनगुनाने लगे
हैं ।
13 comments:
क्या बात है युनुस भाई. मैं भी इस गाने के बारे में सोच ही रहा था .... अच्छा है आप ने पोस्ट कर दिया ... अब मैं कुछ और सोचता हूँ. शायद आप की बात सही हो ये शम्मी कपूर की पहली फ़िल्म होने की ....... हालांकि मेरे दिमाग़ में न जाने क्यों ये बैठा हुआ है की शम्मी कपूर की पहली फ़िल्म "लैला - मजनूं" थी - शायद नूतन के साथ..... बहरहाल ... वैसे मैं जब भी ये गीत सुनता हूँ तो जी में ये बात ज़रूर आती है कि एक तरह से क्या (शायद) हिन्दी फिल्मों में पहली बार "रैप" का प्रयोग नही हुआ (जो रफी साहब कि आवाज़ में है) इस गीत में ??
shummi kapoor ke gaano me yun bhi ek ajab si sharaarat jhalkti hai..pehli baar suna...bahut acchha lagaa..
युनुस भाई,
कई बरस पहले पर ये गीत पहली बार सुना था, बड़ा आनंद आया था आज आपने फ़िर वोही याद ताजा कर दी |
हम तो साथ में गुनगुना रहे हैं (अपनी बेसुरी आवाज में) :)
www.indianscreen.com
likhnaa to bhool hee gaye the, :-)
युनूस भाई! संगीत का बहुत कम ज्ञान है बुरा मत मानना लेकिन इस गाने में वो कशिश नजर नहीं आई जो शाम ढले जमना किनारे में नजर आई। मैं तो अब आपकी हर नई आने वानी पोस्ट की तुलना शाम ढले जमना किनारे को आधार मानकर ही करना चाहूंगा। पुष्पांजलि का वो गाना या भजन अभी भी भूल नहीं पा रहा हूं। कितनी ही बार सुन चुका हूं फिर भी ये आलम है। कृपया अन्यथा न लें आपकी मेहनत की दाद दूता हूं।
मीत भाई आपकी बात में दम है । लैला मंजनू ही उनकी पहली फिल्म होनी चाहिए ।
yunus bhai kafi kandpriy sangeet hai. badhai.
बहुत बढ़िया गाना
आनंद मिला और जानकारी भी!
yunusbhai...
maja aa gaya gaana sunkar...
probably this is my first comment
ab regular feedback dunga.
abhinandan
Yunusbhai
Pehli baar suna. Maza aa gaya.
Shukriya.
-Harshad Jangla
Atlanta, USA
हम तो पहली बार सुन रहे हैं, बड़िया धुन , आभार
युनूसभाई,
भारतके स्वतंत्रता दिवसकी बधाइया, आपको भी और रेडिओवाणीके प्रेमियोंको भी.
गाना मजेदार है. अब बात करते है शमशाद बेगम जी की. क्या वो जिवित है या अब इस दुनियामें नहीं है?
पिछले साल एक खबर पढी थी, एच एम व्ही ने उनके गानोका कॅसेट निकाला और उन्हे स्वर्गवासी कह डाला, हालाकी वो और मुबारक बेगम जिंदा है और बडी खस्ता हालातमे जी रहे है. बादमें मुबारक बेगम जी का आपने विविध भारती पर इंटर्व्ह्यू भी लिया और अभी पूनामें आयोजित वसंत महोत्सव में उन्हे एक लाख रु. का पुरस्कार भी दिया गया. (स्व. वसंतराव देशपांडे जी की स्मृतीमें इस महोत्सव का आयोजन किया गया था और उसमें गुलाम अली, किशोरी आमोणकर, आबिदा परवीन जैसे महान कलाकारोंने अपनी कला प्रस्तुत की थी. नाना पाटेकर ने सूत्र संचालन किया था). लेकिन शमशाद बेगमजी की कोई खबर नहीं. ना किसी सारेगामापा जैसे म्युझिक रिएलिटी शो मे देखने को मिली या किसी चॅनल पर. अभी सारेगामापा में जब आशा भोसलेजी आई थी तब उन्होंने उनका जिक्र किया था लेकिन इस तरह, की वो अभी जिवीत नही है, ऐसा लगे.
क्या आप बता सकते है, या खोज सकते है उनके बारेमें ?
विकास शुक्ला
वाह रेल भी है, और यह मोहक गाना भी। नये तरह के अपलोड करने के प्लेयर भी देखे!
यह प्रयोगधर्मिता सभी ब्लॉगर्स में नजर नहीं आती। यह आपका सॉलिड प्लस प्वाइण्ट है।
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