किशोर कुमार की आवाज़ और बाम चीक चीक, चाम चीक चीक, एक दुर्लभ गीत ।
कुछ दिन पहले 'एक शाम मेरे नाम' वाले मनीष से चैट हो रही थी, तब उन्होंने एक गाने की फ़रमाईश की । उनका कहना था कि ये गीत बहुत पहले विविध भारती से सुनाई देता था पर अब कहीं नहीं मिलता । उन्हें गाने के बोल भी याद नहीं थे । बस इतना याद था कि इस गाने में पिंजरे के अंदर, निकलेगा बंदर जैसा कुछ कहा गया है । गीत फौरन पहचान में आ गया क्योंकि मुझे ये गीत हमेशा से पसंद रहा है । पसंद से भी आगे मैं इसे हैरत की नज़र से देखता हूं । क्यों, आईये इसी पर चर्चा की जाए ।
ये गीत जिस फिल्म का है उसका नाम है 'कहते हैं मुझको राजा' । ये फिल्म सन 1975 में आई थी । निर्माता निर्देशक थे मशहूर अभिनेता विश्वजीत । ये फिल्म बॉक्स ऑफिस पर धराशाई हो गयी थी । लेकिन इस फिल्म से हमें किशोर दा का एक अदभुत गीत मिला है । वैसे तो गीतकार के तौर पर मजरूह सुल्तानपुरी का नाम है इस गाने में । लेकिन मुझे लगता है कि किशोर दा ने इसे काफी इंप्रोवाईज़ किया है । दरअसल ये गीत जैसा है ही नहीं । भगवान जाने क्या-क्या लिखा गया है इस गाने में । मुझे इसके बोल उतारने में काफी मशक्कत करनी पड़ी । आप भी सुनिए और सोचिए कि ऊपर से या दूर से बहुत ही व्यर्थ और बेकार लगने वाले किशोर दा के गाने भीतर से कितने पेचीदा और अदभुत हैं । मेरे ही कुछ परिचित संगीतप्रेमी किशोर दा को सिरे से खारिज कर देते हैं और इस मामले में मेरी उनसे अनंत बहस चली आ रही है ।
मुझे हैरत होती है कि इतनी सारी संगीत प्रतियोगिताओं में कभी टी वी पर किसी ने इस गीत को ट्राइ करने की हिमाकत नहीं की । हम इसकी वजह क्या मानें, क्या इस गीत को ज्यादा लोगों ने सुना नहीं है । या फिर इसे गाना उनके बस की बात नहीं है । तो चलिए इस अदभुत गाने को सुना जाए ।
यक दुई त्रण चार गिली गिली गिली ।
बम बम कुकुक ।
दिल हाथ बाबू जान हाथ बाबू ।
राम राम सियाराम सलामवालेकुम ।
प्यार करो छुकछुक । दूध पियो टुकटुक ।
ठन ठन फुक फुक । कुट कुट कुट कुट ।
हाउ डू यू डू ।
बाम चीक चीक चाम चीक चीक ।
बम चिक बुब चिक चिक ।
बढ़के बोल बेटा बम बम ।
बढ़के बोल बेटा खिड़की खोल बेटा ।
बम बम चिक बम बम चिक चिक ।
हे बम बम कुकुक । बम बम कुकुक ।
बाबा लोग सुनो, काका लोग सुनो
दादा लोग सुनो, जल्दी जल्दी ।
ऐ की हाल है बादशाओ ।
देख भाई इधर आ, खाली है पिंजरा ।
पिंजरे के अंदर निकलेगा बंदर ।
यही परिचय है राजा-जानी का ।
कोल-मताल जवानी दीवानी का ।
चल बेटा चल बेटा बम्म बम्म बम ।
बाम चीक चीक चाम चीक चीक ।
बम चिक बम चिक बढ़ के बोल बेटा
खिड़की खोल बेटा ।
देख भाई शंभू तन गया तंबू ।
तंबू में छम छम ढोल बाजे ढम ढम
छोटी सी कबूतरी नाच रही छम छम
छम छ छ छम छम । छम छ छ छम छम ।
घुंघरू पायल बाजे घुंघटा उतार चले ।
मुग़ले आज़म के आगे नाच रही अनारकली ।
चल बेटा चल बेटा बम्म बम्म बम ।
बाम चीक चीक ।।
ठप ठप ले ले मुछट कटकट ।
फट फट ले ले धोबी खट खटा खट ।
देबू चटका, धोबी-फटका, दिल खटका सदा सीताराम ।
भाग रे जमूरे जरा हटके, सबको दिखा दे ।
चल रे दिखा दे जरा बचके ।
यही जो दिखेगा दिल्ली बंबई कलकत्ता ।
हरे रामा कृष्णा प्यार की कहानी ।
चाहे देखो कोच्योर चाहे काला पानी ।
कल आज और कल, बीस साल पहले ।
एक से एक हैं नहले पे दहले ।
चल बेटा चल बेटा बाम चीक ।।
कांदे की भाजी हाय मुल्ला काजी ।
रसम की चटनी । हाय कजली का बटला ।
मुंशी मुनक्का । हुक्का बक्का ।
हुज़ूरे अज़मत, दिमाग़े फुरकत ।
कमाले हलकट ।
चल बेटा चल बेटा बाम चीक ।
फुटबॉल वॉलीबॉल डस्टबिन बेसबॉल ।
पिंगपांग किंगकांग बॉलबारा हॉलहॉल ।
सबको मेरा झुकझुक के सलाम और राम राम ।
कहिए कैसा लगा किशोर दा का गाया ये दुर्लभ गाना । मज़ा आया ना ।
9 comments:
क्या कहने। मजा आ गया। बहुत ही उम्दा चीज लाएँ हैं आप।
युनुस भाई, मजा आ गया, क्या जबरदस्त मेहनत की है आपने। अगली बार एक और गीत सुनाईयेगा वैसे ये आसानी से उपलब्ध हो जाना चाहिये। फिल्म प्रेम पुजारी है और गाना मन्ना डे, किशोर और अन्य लोगों ने गाया है गीत के बोल मुझे याद नही आ रहे लेकिन ये गाना जीप में फिल्माया गया है। इस फिल्म के सारे गीत बहुत मधुर हैं और काफी बजते हैं सिवाय इस गीत के जिसकी मैं बात कर रहा हूँ। जबकि ये गीत भी बहुत मस्त है।
यूनुस भाई,
मैं समझ सकता हूँ कि आपको कितनी मशक्कत करनी पड़ी होगी इसे लिखने में.
किशोर कुमार जी का ये रैप ( rap ) song सचमुच बेमिसाल है. गाने को पहली बार सुना और सच कहूं मस्त हो गया.
इन गीतों की खोजबीन तो आप जैसे रेडियो से अनन्यतम जुड़े लोग ही कर सकते हैं.
धन्यवाद.
वाह यूनुस भाई वाह,
मज़ा आ गया। किशोर कुमार का यह नगीना सुन कर मज़ा आ गया। नवजोत सिंह सिद्धू को एक दो बार यह गाना गुनगुनाते हुए सुना था। तब से इस गीत के बार में और जानकारी प्राप्त करने की कोशिश कर रह था। सचमुच मज़ा आ गया।
बाप रे! इतनी मेहन्त की है आपने...!!!
मैंने सुना तो जरूर लेकिन उतना मजा नहीं आया. किशोर के गाने मैं पसंद करता हूँ लेकिन ये कुछ खास नहीं लगा. संगीत में मेरी नासमझी या मेरी उम्र - कारण कुछ भी हो सकता है.
Yunusbhai
Great song, great Mehnat and pleasant words. Heard first time. Hats off to you.
-Harshad Jangla
Atlanta, USA
किसोर दा के अलावा और कौन कर सकता है ये !
किन शब्दों में आपका आभार व्यक्त करूँ समझ नहीं आता। बचपन में ये गाना इसलिए भी अपील करता था कि जिस तेजी और उलटे पुलटे शब्दों के इस्तेमाल किशोर दा ने इस गीत में किए थे वो बार बार कोशिश कर भी मेरी पकड़ में नहीं आता था । रैप संगीत जब भारत में बाबा सहगल और कंपनी ने जब प्रचलित किया तब मैं यही सोचा करता था कि इस विधा में किशोर ने काफी पहले ही अपनी काबीलियत साबित कर दी थी ।
१० साल की आयु में इस गीत ने जो जगह बनाई वो दिल के पिंजरे के अंदर बद सी हो गई थी। करीब २० २२ वर्षों बाद इसे फिर से सुनाकर वो दिन आपने सामने ला दिए।
किशोर दा और युनूस भाई का जवाब नहीं।
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