संगीत का कोई मज़हब, कोई ज़बान नहीं होती। 'रेडियोवाणी' ब्लॉग है लोकप्रियता से इतर कुछ अनमोल, बेमिसाल रचनाओं पर बातें करने का। बीते नौ बरस से जारी है 'रेडियोवाणी' का सफर।

Monday, May 7, 2007

इस रविवार को मैं मिला स्‍वर साम्राज्ञी लता मंगेशकर से
















जिंदगी में कुछ दिन बेहद यादगार बन जाते हैं । ऐसा ही यादगार बन गया कल यानी रविवार 6 मई 2007 का दिन । इस दिन आपके इस दोस्‍त को स्‍वर-साम्राज्ञी लता मंगेशकर से उनके निवास स्‍थान ‘प्रभुकुंज’ में जाकर मिलने का सौभाग्‍य मिला ।

विविध भारती के लिए लता जी से फोन पर रिकॉर्डिंग करने का सौभाग्‍य आपके इस दोस्‍त को पहले भी तीन बार मिल चुका है । एक बार पूरे एक साल पहले, जब नौशाद साहब नहीं रहे थे, ये पांच मई 2006 की बात है । जब मैंने नौशाद को श्रद्धांजलि देने वाला कार्यक्रम ‘फिर तेरी कहानी याद आई’ बनाने के दौरान लता जी को फोन लगाया था और कितनी भावुक हो गयी थीं वो नौशाद को याद करते हुए । विविध भारती के नियमित श्रोताओं को मेरी वो बातचीत याद होगी, जिसमें लता जी ने बहुत सारे अनमोल नग्‍मों और नौशाद साहब के साथ बीते यादगार क्षणों की चर्चा की थी ।

इससे पहले जब लता जी ने अपना पचहत्‍तरवां जन्‍मदिन मनाया
था तब भी मैंने विविध भारती पर ‘लता-मंजरी’ नामक दो घंटे का एक विशेष कार्यक्रम तैयार किया था
इसके लिए भी लता जी से पूरे आधे घंटे तक फोन पर बात की थी । इस बातचीत में लता जी ने अपने गानों के अलावा क्रिकेट के अपने शौक़, डायमंड डिज़ायनिंग की रूचि, फोटोग्राफी के अपने जुनून और इत्र यानी परफ्यूम के शौक़ के बारे में भी विस्‍तार से बताया था । अगर आपको ना मालूम हो तो आपको बता दूं कि लता जी को फोटोग्राफी, ज्‍वेलरी डिज़ायनिंग, परफ्यूम जमा करने और क्रिकेट का जबर्दस्‍त शौक़ है । और वे अपने गानों से ज्‍यादा इन विषयों पर बातें करना पसंद करती हैं । जब इस बातचीत में मैंने उनसे परफ्यूम गिफ्ट करने की उनकी आदत के बारे में पूछा था तो उन्‍होंने कहा था कि जब आप मेरे घर आयेंगे तो आपको भी एक परफ्यूम भेंट करूंगी । और मैं धन्‍य धन्‍य हो गया था ।



बहरहाल इसी शनिवार को पता चला कि रविवार शाम पांच बजे का समय लता जी ने दे दिया है । और हम सब पूरे तामझाम के साथ उनके घर पहुंचे । प्रभुकुंज प्रथम तल । पैडर रोड मुंबई । अजीब सी सनसनी हो रही थी, बेचैनी का आलम था । जाकर बैठे,
हृदयनाथ मंगेशकर जी के बेटे आदिनाथ ने हमें रिसीव किया । उनसे कुछ संगीत चर्चा हुई और उसके बाद साक्षात् स्‍वरों की देवी अवतरित हो गयीं । मैंने भी उनके चरण छुए और उन्‍होंने मेरे सिर पर हाथ रखा, लगा जीवन सफल हो गया है ।



बहुत बहुत सारी बातें कीं । दरअसल इतना ज्‍यादा रोमांच हुआ है कि अभी तक एक दिन बाद भी मैं उसे संभाल नहीं पा रहा हूं । क्‍या बताऊं क्‍या नहीं इसका फैसला करना मुश्किल है । लता जी ने बताया कि उन्‍होंने हिंदी और मराठी के अलावा बंगाली गाने बहुत सहजता से गाये हैं । बंगाली भाषा उन्‍हें बेहद प्रिय रही है । एक और खास बात जो
कही वो ये कि असल में वो शास्‍त्रीय गायिका बनना चाहती थीं, पर पिताजी के अचानक निधन और परिवार की जिम्‍मेदारियों के आ जाने से उन्‍हें फिल्‍मों में आना पड़ा । उन्‍होंने ये भी बताया कि उन्‍हें अपने गाये भजन बहुत पसंद हैं । और खासकर मीरा भजन

काफी पसंद हैं । गले की देखभाल वो‍ बिल्‍कुल नहीं करतीं ।

इसके आगे क्‍या कहूं, मैं समझ नहीं पा रहा हूं । आप मेरी और मेरे साथियों की खींची लता जी की तस्‍वीरें देखिये । लता जी ने जो ऑटोग्राफ दिये वो भी देखिये ।
और इसी आलेख में नीचे सुनिए लता जी के कुछ अनमोल नग्‍मे ।


चूंकि लता जी ने बांगला गानों का जिक्र किया है तो चलिये आज कुछ अनमोल बांग्‍ला गीत सुने जायें । मैंने वो गीत चुने हैं जो बाद में हिंदी में भी आये ।

जैसे ‘जा उरे जा पाखी’
यहां सुनिए ।


दूसरा गीत है—ना जियो ना,
यहां सुनिए ।






















21 comments:

Manish Kumar May 8, 2007 at 12:55 AM  

आप सौभाग्यशाली हैँ कि आपको ये अवसर मिला । अच्छा लगा लता जी के कुछ अनजाने पहलुओं को जानकर ! शुक्रिया इन पलों को बाँटने का !

Pramendra Pratap Singh May 8, 2007 at 5:01 AM  

आपने तो अपने लेखन के माध्यम से हमें भी तला जी से मिलवा दिया, कहते है न सत्‍संगति हमेंशा फायदेमन्‍द होती है।

शुभकामनाऐं व बधाई

अभय तिवारी May 8, 2007 at 10:17 AM  

लता दीदी के साथ आप्ने वक़्त गुज़ारा.. नसीब वाले हो..और वो नसीब देखो तो तस्वीरों में से कैसा छ्लका पड़ रहा है.. आपकी मुस्कान में.. कितने भले सज्जन मनुष्य लग रहे हैं.. मगर परिचय के साथ जो फोटो है.. उसे देख के न जाने क्यों ऐसा भय मन में व्याप्त हो जाता है कि अगर प्रतिक्रिया में कुछ इधर उधर की ्तो दूंगा दो लाफ़ा...

रवि रतलामी May 8, 2007 at 10:30 AM  

ये साक्षात्कार आकाशवाणी से कब प्रसारित होगा तारीख दें तो हम भी सुनें.

और यदि आप इसे एमपी3 बनाकर इंटरनेट पर कहीं प्रस्तुत कर सकें तो उत्तम, नहीं तो मैं रेडियो से रेकॉर्ड कर इसे एमपी3 बनाकर इंटरनेट पर प्रस्तुत कर दूंगा :)

उन्मुक्त May 8, 2007 at 11:01 AM  

काश मैं भी मिल पाता। संतोष है कि आपके द्वारा ही मिल लिये

Anonymous,  May 8, 2007 at 11:05 AM  

Yunus khan jee, Aap vaakai uon logo main se hai jo Tare tod lathe hai....

Annapurna

Srijan Shilpi May 8, 2007 at 11:30 AM  

वाह, बधाई यूनुस भाई। लता जी से मिलना और बातें करना वाकई जिंदगी की यादगार धरोहर हैं, जो विरले सौभाग्यशाली व्यक्तियों को नसीब होता है।

आपके चिट्ठे पर आकर अच्छा लगा।

Sagar Chand Nahar May 8, 2007 at 12:51 PM  

कुछ शब्द ही नहीं बचे, मेरे कहने के लिये। किस्मत के बारे में सभी ने कह दिया। अब तो इतना ही कहूंगा, अच्छा लगा।

Unknown May 8, 2007 at 1:19 PM  

सभी लोग तो सब कुछ कह चुके, अब क्या कहूँ, बस सोच-सोच कर ही रोमांचित हो रहा हूँ कि और क्या-क्या बातें हुई होंगी और जैसा कि रवि जी ने कहा है, कृपया जल्दी से जल्दी बतायें कि यह मुलाकात कब प्रसारित होगी, ताकि इसका असली आनन्द उठाया जा सके....

Yunus Khan May 8, 2007 at 6:48 PM  

मनीष, महाशक्ति, उन्‍मुक्‍त, अन्‍नपूर्णा जी, सृजनशिल्‍पी और सागर भाई आप सबको शुक्रिया । जीवन के इन अनमोल पलों को मैं सबके साथ बांटना चाहता था, अभय आपने परिचय वाली तस्‍वीर में बंबई वाला ‘भाई’ होने की बात कहीं तो मैंने उस तस्‍वीर को ही बदल दिया है, अब तो सज्‍जन लग रहा हूं ना, रवि रतलामी जी और सुरेश भाई लता जी का ये इंटरव्यू अधूरा है, अभी कम से कम दो बार मुलाक़ातें और बातें और होनी हैं, इसलिए जब भी इसका प्रसारण होगा सभी को सूचना ज़रूर दूंगा । हां इसे चिट्ठे में डालना फिलहाल तो मुमकिन नहीं, पर याहू के विविध भारती ग्रुप के सौजन्‍य से मुझे लता जी की एक रिकॉर्डिंग एम0पी03 फॉरमेट में मिली है, जो हमने फोन पर ही आकाशवाणी के पचहत्‍तर साल होने पर की थी । उसे शीघ्र लोड कर रहा हूं । थोड़े समय बाद मेरी लता दीदी से फोन पर हुई बातचीत की सत्‍ताईस मि0 लंबी रिकॉर्डिंग भी लोड कर दूंगा, ताकि इस इंटरव्यू को ना सुन पाने की कमी पूरी हो जाए ।

mamta May 8, 2007 at 11:00 PM  

लताजी के बारे मे पढ़कर बहुत अच्छा लगा । वाकई किस्मत के धनी है आप। आपको उनका दिया हुआ परफ्यूम कैसा लगा।

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` May 9, 2007 at 9:34 AM  

युनुस भाई,
नमस्ते !
कृपया आदरणीया दीदी से मेरे भी नमस्कार कहियेगा -- और ये भी अवश्य कहना कि मैँ उन्हेँ हमेशा , बहोत प्यार और सम्म्मान से याद करती हूँ - आपके लिये रेडियो वार्तालाप को सुनने की इच्छा है -- जल्दी सुनाइये
स - स्नेह,
लावण्या

Anonymous,  May 9, 2007 at 11:51 AM  

Parichay main Aapki nai tasveer dekhi. Mumbai ke Aam Aadmi lag rahe ho. purani tasveer se 70's ke khalnayak Ajit ki yaad aati thi.

Annapurna

Voice Artist Vikas Shukla विकासवाणी यूट्यूब चॅनल May 9, 2007 at 4:45 PM  

Bhai, hame to purani wali tasveer hi achchee lagati thi! Kya Rob, kya confidence jhalakata tha ! Ye nai wali to bilkul hi fiki hain. Khair, ye bhi badal do.
To aap mil aaye Lataji se! Ye Yeshudas vagairah log jo kehte hain ke Lataji ne retire ho jaana chaahiye, kya Lataji se milne ke baad apke man me kabhi kisi waqt ye khayal aaya ke woh sahi kehte hain ya galat? Doosri baat, kya Lataji apni Autobiography likh rahi hain/ likhana chahti hain is baat ka jikr huwa?

पंकज May 9, 2007 at 7:39 PM  

कभी किसी ने ताजमहल को देखकर कहा था कि हम दुनिया के लोगों को दो भागों में बाँट सकते हें; एक जिन्होंने ताजमहल देखा है, दूसरे वो जिन्होंने नहीं देखा है।
यूनुस जी , आप को फोटो लता जी के साथ देखकर मुझे भी कुछ ऐसा ही लगा कि अब आप दुनिया के उन चन्द लोगों की कतार में खड़े हो गये हैं, जिन्होंने कि लता जी को देखा है। इस सौभाग्य के लिये, बधाई।
कभी मैंने किसी ऐसे ही मौके के लिये लिखा था--

ज़ीन्दगी में चन्द लम्हे होते कितने असरदार;
जो बदलकर रख देते हैं किसी जीवन की धार।

Yunus Khan May 10, 2007 at 8:35 AM  

ममता जी, परफ्यूम से ज्‍यादा मुझे उनकी मुस्‍कान और उनकी बातें लगीं, लावण्‍या जी जल्‍दी ही मैं पुरानी ऑडियो फाईलें लोड करूंगा । ये इंटरव्यू सुनवाने में काफी समय लग जायेगा । पहले रेडियो पर तो बजे । अन्‍नपूर्णा जी और विकास भाई कई लोगों को जब उस पुरानी तस्‍वीर में खलनायक वाली बात दिखाई दी, तो मैंने उसे हटा दिया, जल्‍दी ही कोई और नई तस्‍वीर लगा दूंगा, तस्‍वीर में रखा क्‍या है वैसे भी । हां जहां तक येसुदास वगैरह के लता जी के गाना बंद कर देने वाली बात है, तो उम्र के साथ आवाज़ पर असर पड़ता है, ये चिरंतन सत्‍य है, पर लता जी लता जी ही हैं, वैसे भी अब वो कहां ज्‍यादा गा ही रही हैं । पेज 3 या वीर जारा वाले गानों तक उनकी आवाज़ अच्‍छी ही लगी है । रही बात लता जी की ऑटोबायोग्राफी की, तो वे स्‍वयं नहीं लिख रही हैं । हरीश भिमाणी ने उनकी अधिकृत आत्‍मकथा तैयार की है । जो हिंदी और अंग्रेजी दोनों में उपलब्‍ध है, इसके अलावा उन पर कुछ और भी किताबें हैं, पंकज जी आपकी पंक्तियां मुझे अच्‍छी लगीं, याद रहेंगी । आप सभी लता जी की दोनों ऑडियो फाईलों का इंतज़ार कीजिए ।

Anonymous,  May 10, 2007 at 9:47 AM  

Aapne teek kaha tasveer main kya rakha hai, Shakespear ne phi kaha tha naam main kya rakha hai. Agar tasveer Alag hoti Aur naam alag hota tab bhi aap Lata jee se milte zaroor...
Ab ek kaam ki baat -
Lata jee ke kaam ke dauraan kai baate hue, vaad-vvaad hue lekin ek baat bahut oobhar kar aai thi -Hemlatha ki awaz main film Ankhiyon ke jharokhon se ke title song se. Yeh geet Binaca main oos saal top per raha. charcha yeh chali ki Hemlatha ne khud hi records kharide aur Binaca ki parampara ke anusaar geet top per aayaa. Lekin Hemlatha ne oos samay iska khandan kiya tha. Baad main Lata jee ka bhi statement aayaa tha ki Hemlatha ne aisa kyo kiya. Aap tho Shayad Amin Sayani jee ke bhi sampark man hai. kaya is mamle per koi baat ho sakegi.

Annapurna

Anonymous,  May 10, 2007 at 11:27 PM  

Many thanks to you. You meet with my GOD, my almighty.

Anonymous,  May 17, 2007 at 5:40 AM  

Priy Yunus bhai,

Bahut bahut mubarak baat aapki is achievement par. Yeh to sachmuch saubhagya ki baat hain. Didi ke paas jis respect se aap baithe hain is se us sangeet ki devi ke prati aap ki bhavna saaf zahir hoti hain. Maine bhi chaar paanch saal pehle didi se phone par baat karne ke kai naakam prayaas kiye the. Actually main bhi aap ki tarah bold hota to meri khwahish bhi poori hoti. Har baar eh mahila ne phone uthaya (it was not didi) kuch bolne ki himmat nahin thi, maine phone kaat di. Khair, ab main bahut door aa chuka hoon, didi se or bharat se. Main New Zealand se likhraha hoon, aap hi ki tarah purani filmon/sangeet ka shauqeen hoon. Darasal main Kerala se hoon, north ki taraf ek baar bhi nahin aya hoon, phir bhi jitni hindi mujhe aati hain voh aapki or vividh bharti ki badaulat hain. Is ke liye to main aabhari hoon hi, saath main purana koi bhi geet sunun to uska singer, music director aur lyricist (year as well) batane ki knowledge bhi rakhta hoon. Maafi chahta hoon, khud ki taarif bahut ho gayi, par itna kehna chahoonga ki main didi ke saath saath aapka bhi qadardaan hoon,aur ummeed rakhta hoon ki aap jaise mahaan fankaaron ki rehmat mujh naachheez par sada rehegi. Meri aur se sehnazji, mamtaji, renuji sabko namaskar

Khuda hafuz

Binoj

Yunus Khan May 18, 2007 at 5:44 PM  

बिनोज जी शुक्रिया
आप मेरे ब्‍लॉग पर आए । वाकई लता जी से मिलना सौभाग्‍य की बात है ।
मुझे अच्‍छा लगा कि आप न्‍यूज़ीलैन्‍ड में रहते हुए भी हिंदी के ब्‍लॉग्‍स देख रहे हैं ।
अपने बारे में कुछ बताईयेगा ।
और हां अगर कोई गीत ना मिल रहा हो और सुनने की तमन्‍ना हो तो मुझसे कहिए ।

शेष शुभ ।

यूनुस

Binoj ji
Thanks
It was really surprising to get ur mail that too from new zealand.
Thanks a lot.
Tell me something more abt u.
And yes keep on touch.
I have put hemant kumars vedios in my blog recently
I hope that u haven`t seen them before and will be very pleased to see the simplicity
And sheer intensity of hemant da.
http://radiovani.blogspot.com/2007/05/blog-post_16.html
Thanks a lot


yunus

sanjay patel May 22, 2007 at 10:02 PM  

लताजी तो सरस्वती हैं.
आपने उनके मंदिर में जाकर दर्शन किये...हमें करवाए..धन्य हुए हम.
इंन्दौर की बेटी हैं वे उस लिहाज़ से जब घर की बहन-बेटी का ज़िक्र हो तो मन कुछ ज़्यादा ही भावुक हो जाता है..मैने लता दीदी के पिचहत्तर की होने पर नईदुनिया में एक लेख लिखा था जिसका शीर्षक था...प्रलय के बाद भी रहेगी ये आवाज़..
एक साहब का फ़ोन आया मेरे पास ..कहने लगे आपका लेख तो ठीक है लेकिन शीर्षक अतिरंजित लगता है...जब प्रलय आएगा तो कौन रहेगा ये देखने को की लता की आवाज़ अभी तक ज़िंदा है .मेरा जवाब क्या था...?
भाई साहब मै रहूंगा कि नहीं ये तो नहीं मालूम पर ये शर्त लगा कर कह सकता हूं कि आप जैसे बेसुरे और दुष्ट लोग तो नहीं रहेंगे.
दुआओं के साथ.
आपका भाई
संजय.

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