Friday, August 7, 2009

प्‍यासी हिरणी बन बन धाए : लता, कैफ़ी, हेमंत ।

रेडियोवाणी पर अपनी पिछली पोस्‍ट में हमने आपको बताया था कि संगीत के हमारे शौक़ ने कैसे हमें फंसा दिया था । लेकिन दिलचस्‍प बात ये है कि इस उलझन, इस पहेली को हल करने के लिए कुछ संगीत-प्रेमियों ने हाथ बढ़ाया । हालांकि कोशिश तो सब ने की । पर कामयाबी कुछ लोगों को हासिल हुई ।

 



दरअसल हमारे मित्र 'डाकसाब' समय समय पर कुछ संगीत फाइलें भेजते रहते हैं । अब देखिए ना 'रेडियोवाणी'  पर किशोर दा वाली बमचिक पोस्‍ट ने उस दिन हमें पहेली फाइलें भेजीं । और पूछा कि इस गाने को पहचानिए । अब धुन बड़ी दिलकश लगी पर गाने की do_dil पहचान हो ही नहीं रही थी । तो हमने 'फेसबुक' पर भी खटखटा दिया । नरेश खट्टर ने दिल्‍ली से संदेश भेजा कि पहेली हल को गयी है । बंगाल के संगीत निर्देशक, बंगाल के अभिनेता । पहचान लीजिए । काम नहीं बना तो हमने खटखटाया कि मेल कीजिए । ये गाना नरेश खट्टर के भेजे लिंक से ही 'यू-ट्यूब के सहारे वीडियो पर टांगा जा रहा है । रेडियोवाणी पर चिदंबर काकतकर ने और उनके भी बाद दिलीप कवठेकर ने इस पहेली को हल कर दिया । जिन्‍होंने हल किया और जिन्‍होंने कोशिश की, और जिन्‍होंने हाथ खड़े कर दिये...सबका हृदय से शुक्रिया ।

ऑडियो फाइल खुदै 'डाकसाब' ने भेज दी । सुनिएगा और सराहिएगा इस गाने को । इस गाने में लता जी की गूंजती हुई आवाज़ और हेमंत कुमार के रचे गाने के सारे इंटरल्‍यूड एक सम्‍मोहन और रहस्‍य रचते हैं । चूंकि फिल्‍म हमने देखी नहीं इसलिए पृष्‍ठभूमि पता नहीं है । पता नहीं क्‍यों कुछ 'हॉन्टिंग मेलडीज़' वाला मामला लग रहा है ये । वैसे आपको बता दें कि इस फिल्‍म में कुछ और शानदार गाने भी हैं । जैसे 'सारा मोरा कजरा छुड़ाया तूने' ( रफी, आरती मुखर्जी ) इस गाने में 'ओ सजनी सुख रजनी' जैसा दिव्‍य जुमला आता है । या फिर रफी साहब का गाया गाना 'तेरा हुस्‍न रहे मेरा इश्‍क़ रहे' ( जो अपनी शायरी में बेजोड़ है )

song- pyasi hirni ban ban dhaye
singer-lata
lyrics-kaifi azmi
music- hemant kumar
duration: 6 min.

 




कहां है तू कहां है तू ।
आ जाओ ऐ मेरे सपनों के राजा
प्‍यासी हिरणी बन-बन धाए कोई शिकारी आए रे
चोरी चोरी फंदा डाले बांह पकड़ ले जाए रे ।।
नई नई कली खिली, चुन ले ना कोई
ऐसी-वैसी बातें दिल की सुन ले ना कोई
नन्‍हा-सा जिया मोरा जाने क्‍या गाए रे
चोरी चोरी फंदा डाले बांह पकड़ ले जाए रे ।।
चलते चलते रूक जाऊं मैं, चल नहीं पाऊं
पल-पल भड़के तन में अग्नि, कैसे बुझाऊं
लगी ना बुझे कहीं जी को जलाए रे
चोरी-चोरी फंदा डाले बांह पकड़ ले जाए रे ।।
इक तो मैं हूं भोली-भाली दूजे अकेली
कैसे बूझी जाए मोसे बन की पहेली
चली है हवा नई, जिया घबराए रे
चोरी चोरी फंदा डाले बांह पकड़ ले जाए रे ।।


लीजिए इस गाने को देख भी डालिए ।

9 comments:

  1. "डाकसाब"August 7, 2009 at 2:43 PM

    अरे; आप तो हर जगह पा गये..."यू-ट्यूब" पर भी !

    हम तो तब से बैठे यही सोच रहे हैं कि इन्टरनेट पर चोरी-चकारी में तो हम भी आपसे उन्नीस नहीं, फिर हमें क्यों नहीं मिला ?

    जवाब भी मिल गया है - आपका लगाया फ़िल्म का पोस्टरवा देख कर ।

    "शेमारू" ने यह VCD 2004 में रिलीज़ की थी और उसके बाद ही हमने जुगाड़ ली थी । दर असल हमारी सारी खोज बीन उसके पहले की थी । तब कहीं नहीं मिला था यह ( देखिये न, पारुल जी ने तो आज तक सुना भी नहीं । सुनतीं भी कैसे; लाडस्पीकरों के शहर में रहीं जो नहीं शायद) । एक बार VCD हाथ आ जाने के बाद हमें खोज बीन करने की ज़रूरत ही नहीं रही ।

    लगता है इस बीच इतने बरसों में मौका पाकर भाई लोगों ने डाल दिया इधर-उधर,सब जगह ।

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  2. पुरानी यादें ताज़ा हो गयीं.
    { Treasurer-T & S }

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  3. हमॆशा ऒरिजिनल धुनॆं दॆनॆ वालॆ हॆमंतकुमार नॆ इस फिल्म कॆ 'कांटॊ मॆं फंसा आंचल' कॆ लिए न जानॆ क्यूं 'भाई भाई' कॆ 'ए दिल मुझॆ बता दॆ' सॆ प्रॆरणा ली है !

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  4. सुन्दर गीत । नया हमारे लिये ।

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  5. Yunus bhai,

    ये हौन्टिंग मेलोडीज़ से ज्यादा --
    फिल्म की नायिका की एंट्री वाले गीतों में शुमार है --
    जैसे , सायरा जी का,
    ' दिल विल प्यार व्यार ,
    ' या पूनम ढील्लो का ' नूरी ' वाला गीत -
    अजी , ६०, ७० दशक के गाने सुन सुनकर ही हम बड़े हुए हैं ;-)
    थिएटर में , पहुँच जाया करते थे --
    चलिए, याद कीजिये,
    कई उस दौर की नायिजाओं के लिए
    लातादी के गाये ,
    ऐसे ही " एंट्री " वाले गीत .............. जिनसे नाविका की निश्चित छवि उभरती थी --
    स्नेह,
    - लावण्या

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  6. धन्यवाद,

    लावण्या दीदी नें सही फ़रमाया है. नायिका के साथ साथ नयक की एंट्री के गीत भी हैं जो बेहद ज़्यादा हैं.आवारा हूं से भी पहले ये सिलसिला शुरु हुआ था.

    अगली पहेली का इंतेज़ार,

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  7. गीत का मुखड़ा खास तौर पर प्यारा लगा और धुन भी..लता जी की मधुर स्वर मन को बड़ा सुकून देता है।

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  8. हमारी भी बचपन की यादें ताजा हो गयीं , ये गीत तो हमारे पसंददीदा गीतों में से एक है, डाकसाब का और आप का बहुत बहुत धन्यवाद इस मधुर गीत को एक बार फ़िर से सुनवाने के लिए

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