'ब्लैक फ्रायडे' फिल्म का गीत-'अरे रूक जा रे बंदे' । 'इंडियन-ओशन' की पेशकश
हिंदी सिनेमा संगीत में जाने क्यों एक चलन हमेशा से रहा है । प्यार मुहब्बत वाले गानों को जनता ने हमेशा अपने होठों पे सजाया है, लेकिन जहां बात जन-जागरण की होती है, जहां सामाजिक-मुद्दों से जुड़े गानों की बात होती है या दिलो-दिमाग़ को मथ देने वाले गानों की बात होती है तो एक बहुत बड़ा वर्ग इन गानों को ना तो बजाता है और उससे भी बड़ा वर्ग इन गानों को सुनना भी पसंद नहीं करता ।
ये वो दौर है, जब हमारे शहर सुरक्षित नहीं रह गए हैं । ख़ासकर बड़े शहर, ये बात भले ही आपको अतिशयोक्ति लगे, लेकिन सच यही है कि अब घर से निकलते हुए बहुधा लोगों को ये भरोसा नहीं रहता कि वो सुरक्षित घर लौटेंगे । मुंबई की लोकल ट्रेनों में जब धमाके हुए थे, उसके बाद कितने ही ऐसे लोग थे जिन्हें लोकल ट्रेनों से दहशत हो गई थी । लेकिन उनके पास और कोई विकल्प नहीं था । लोकल-ट्रेनें और बेस्ट की बसें तो मुंबई में अब भी सुरक्षित नहीं हैं । दिल्ली, जयपुर, बैंगलोर और बनारस जैसे शहरों के धमाकों ने साबित कर दिया है कि दहशत के सौदागर बेधड़क घूम रहे हैं और अपनी करतूतों को अंजाम दे रहे हैं । ये सिलसिला संभवत: सन 1993 में हुए मुंबई के अब तक के सबसे बड़े बम धमाकों से शुरू हुआ था ।
इन धमाकों पर मुंबई के टेबलॉयड अखबार मिड-डे के पत्रकार एस.हुसैन ज़ैदी ने एक पुस्तक लिखी--Black Friday - The True Story of the Bombay Bomb Blasts. इसी पुस्तक पर युवा निर्देशक अनुराग कश्यप ने 'ब्लैक फ्रायडे' नामक फिल्म बनाई थी । आपको याद होगा कि धमाकों की जांच के मद्देनज़र इस फिल्म के प्रदर्शन में काफी देर हुई थी । और अब ये फिल्म डी.वी.डी. लाईब्रेरियों में आसानी से उपलब्ध है । उम्मीद है कि आप सभी ने इसे देखा होगा । नहीं देखा तो फौरन से पेशतर देखिएगा । इस फिल्म में संगीत दिया था मशहूर बैन्ड indian ocean ने । जो गाना मैं आपको सुनवा रहा हूं उसे जहां तक मुझे याद आता है, मशहूर नाट्यकर्मी पियूष मिश्रा ने लिखा है । आज के माहौल के परिप्रेक्ष्य में इस गाने को सुनिए और इसके जज्बात को शिद्दत से महसूस कीजिए ।
यहां एक बात और कहनी है कि हमारे यहां पॉप-म्यूजिक के बैन्ड बहुत सीरियसली नहीं लिये जाते । बहुत प्रयोगधर्मी होने के बावजूद बाज़ार के मद्देनज़र उन्हें वैसे धूम-धड़ाम गाने बनाने पड़ते हैं, जो बिकें । जिन्हें सुनकर सुनने वाले क़दम थिरकाएं । इस गाने को सुनकर मुझे बार बार इप्टा के जनगीत याद आते हैं । सफ़दर हाशमी के परचम गीत याद आते हैं । और फिर लगता है कि इंडियन ओशन जैसे पॉप ग्रुप इस काम को आगे बढ़ा सकते हैं । यक़ीन मानिए अगर संस्कार पैदा किये जाएं तो ये सिलसिला जारी रह सकता है ।
इस गाने में आवाजें हैं इंडियन ओशन के सुष्मित सेन, असीम चक्रवर्ती, अमित किलाम और राहुल राम की ।
अरे रूक जा रे बंदे , अरे थम जा रे बंदे
कि कुदरत हंस पड़ेगी हो ।
अरे नींदें हैं ज़ख़्मी, अरे सपने हैं भूखे
कि करवट फट पड़ेगी हो ।
अरे रूक जा रे बंदे ।।
अरे मंदिर ये चुप हैं, अरे मस्जिद ये गुमसुम
इबादत थक पड़ेगी हो ।
समय की लाल आंधी कब्रिस्तां के रस्ते
अरे लथपथ चलेगी हो ।
अरे रूक जा रे बंदे ।।
किसे काफिर कहेगा, किसे कायर कहेगा
तेरी कब तक चलेगी हो ।
अरे रूक जा रे बंदे ।।
ये अंधी चोट तेरी कब की सूख जाती
मगर कब पक चलेगी हो ।
अरे रूक जा रे बंदे ।
13 comments:
ये मेरा बहुत पसंदीदा गीत है युनुस भाई सही समय चुना है आपने इस प्रस्तुति के लिए, काश ये संदेश उन कायरों तक भी पहुंचे
युनुस जी, ये गीत मैं कालेज के जमाने में खूब सुना हूँ..
आज फिर से एक बार सुन कर बहुत अच्छा लगा..
युनुस भाई, मेरा ख्याल है कि प्यार-मोहब्बत से हटकर भी गीत आम जनता सुनना पसंद करती है. ढेर सारे ऐसे गीत गिनाये जा सकते हैं जो अलग-अलग अहसासों से ताल्लुक रखते हैं और खूब मकबूल हुए. मगर ये सच है कि लव स्टोरीस की तरह ही प्रेम गीत भी ज्यादा बड़े तबके को आकर्षित करते हैं.
ये फ़िल्म नहीं देखी, गीत भी कभी नहीं सुना. असल में फिल्में देखना अब काफी कम हो गया है. आपकी सिफारिश है तो आज का सन्डे इसे देखकर ही मनाते हैं.
यूनूस जी,क्या कहूँ बस ये ही कह सकता हूँ कि दिल खुश कर दिया। मेरे को अच्छा लगा। किसी वक्त बहुत ही गुनगुनाया करता था इस गाने को।
आतंक पर पुस्तक? मैं पढ़ना चाहूंगा। बताने के लिये धन्यवाद।
बहुत अच्छा लगा इसको सुन कर ...आज के वक्त के लिए सही में उचित गाना
'इंडियन ओसियन' को दो बार लाइव देखने का मौका मिला... और 'खंदिसा' और 'हिल्लेरे झकझोर दुनिया' जैसे गाने भी खूब सुने... ये फ़िल्म देखि भी और गाना भी खूब सुना... अच्छा लगा फिर सुनकर.
इस गीत को पहली बार तब सुना था जब गीतायन के लिए चुने हुए गीतों की रेटिंग करनी थी। अभी कुछ दिन पहले फिर इसे लोकल एफ एम चैनल पर फिर सुनने का मौका मिला था। मुझे इस गाने के बोल बेहद प्रभावशाली और दिल को छूते महसूस होते हैं पर इंडियन ओशन की प्रस्तुति से बेहतर इन शब्दों को आम जन तक पहुँचाया जा सकता था ऍसा मेरा व्यक्तिगत मत है।
गीत सुनकर बहुत अच्छा लगा. आभार इस प्रस्तुति के लिए.
Yunus Ji,
Mujhe Indian Ocean Ke Geet Shuru se hi behad pasand hain, aapke blog par apne pasandeeda geet ko dekh kar behad khushi huyi...Black Friday ek prabhavshaali film hai aur iska un-edited version DVD mein release nahin kiya gaya...Film ke release ke pehle hi Pirated DVD mein jo version tha wah DVD/Released Version se bhi zyada Dil Dehla Denewala tha :)
बेहतरीन गीत सुनाया युनुस अंकल आपने, धन्यवाद, शुक्रिया.........
युनुस भाई..गीत वाकई ज़बर्दस्त है...और पसंदीदा गीतों में से एक... आपसे गुज़ारिश है कि इसी फ़िल्म का गीत धर्म नाप के, शरम ढांप के, करम माप भागा रे... भी सुना दें....
सभी के लिए है ये गीत...
बूढ़ा संत होने की गायक की नाटकीयता ने गाने को मार डाला। वरना कंटेट शानदार है और बाकी चीजों के साथ चयन भी।
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