संगीत का कोई मज़हब, कोई ज़बान नहीं होती। 'रेडियोवाणी' ब्लॉग है लोकप्रियता से इतर कुछ अनमोल, बेमिसाल रचनाओं पर बातें करने का। बीते नौ बरस से जारी है 'रेडियोवाणी' का सफर।
ध्वनि-तरंगों की ताल पर
विविध-भारती पर मुझे सुनिए:
वंदनवार:रविवार सुबह 6-05 त्रिवेणी: रविवार सुबह 7-45 छायागीत: रविवार रात 10-00 जिज्ञासा- शनिवार शाम 7-45 और रविवार सुबह 9-15
4 comments:
हिन्दी ब्लॉग जगत् में आपका स्वागत् है. उम्मीद है हमें गीत संगीत और रेडियो की दुनिया की बहुत सी बातें पढ़ने जानने को मिंलेंगी.
आपका भी हिन्दी चिट्ठाजगत में स्वागत है।
शुभकामनाओं के साथ स्वागत है भाई आपका
ओह ऐसा क्या!! तभी हम सोचें कि इसका नाम रेडियोवाणी क्यों है.. :)
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