होली मुझे बेहद तरंगित और ललित पर्व लगता है । मुझे लगता है कि आधुनिक-जीवन के तनावों और दबावों से निपटने के लिए होली एक 'स्ट्रेस-बस्टर' की तरह है । जिसमें हम अपने भीतर जमा हो चुके 'संत्रास' को मौज-मस्ती के माध्यम से बाहर निकालकर बहुत हल्के हो जाते हैं । उम्मीद है कि आपकी ये होली ऐसी ही होगी ।
होली के इस मौक़े पर पंडित छन्नूलाल मिश्रा को सुनना अपने आप में एक
कुल मिलाकर ये छह मिनिट अड़तालीस सेकेन्ड की रचना है । जो आपको एक पूरे जीवन-काल का आनंद देगी ।
बतलाईये आपकी होली कैसी है और छन्नूलाल जी को सुनना कैसा अनुभव रहा आपके लिए ।
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होली की बहुत बहुत बधाई .......
ReplyDeletebahut sunder kya geet hai shukriaholi mubarak ho
ReplyDeleteबहुत बहुत सुंदर गीत है। सुबह से ही एक गाने की याद आ रही थी-
ReplyDeleteगंगाजल के रंग बनतु है
बालू के उड़े अबीर
होलिया खेलत सोनपुर में
बाबा हरिहरनाथ...होलिया खेलत....
यहगीत तो कहीं मिल नहीं पाया पर छ्न्नू्लाल जी के गीत ने तबीयत खुश कर दी। बहुत बहुत आभार।
आपको ,ममताजी और नवागन्तुक को शुभ होली ।
ReplyDeleteसप्रेम,अफ़लातून
आपको सपरिवार होली की मुबारकबाद एवं बहुत शुभकामनाऐं.
ReplyDeleteसादर
समीर लाल
यह तो सुना था और बार बार सुनने की तलब थी! बहुत धन्यवाद यूनुस। मेरा मन कैसे पढ़ लेते हो!
ReplyDeleteपहले तो आपको बधाई - मात्र होली की ही नहीँ, अपितु पिता बनने की भी !
ReplyDeleteरही इस गीत सुनने की बात, तो अजी आनन्द आ गया! ऐसा कि इस गीत तो Save कर ही लिया - पुन: सुनेंगे। हमारे यहाँ तो 5-6 दिन तक होली मनाने की परम्परा है ही।
यूनुस जी,
ReplyDeleteआज यह इत्तेफ़ाक रहा कि मैंने भी आवाज़ पर यही पोस्ट कर दी। मैंने देखा ही नहीं कि आप पहले ही बाजी मार चुके हैं। खैर मैंने इस गीत का एक अलग संस्करण भी डाला है। साथ में छन्नूलाल के एल्बम 'होली के रंग टेसू के फूल' के सभी आठ गीत भी सुनवा रहा हूँ। ज्ञानदत्त जी जैसे अधिक तलब रखने वाले लोगों को शायद और मज़ा आये।
सुनें
होली मुबारक़!!!
युनुस जी , आज होली के अवसर आपकी प्रस्तुती सराहनीय है । छुन्नूलाल जी का ये गायन सुन होली का मजा दूना हो गया । होली में रंग जाईये । होली की बधाई
ReplyDeleteयूनुस भाई .... क्या कहूँ ? किसी और plane पर हूँ. बहरहाल आप को सपरिवार होली पर मंगलकामनाएं !!
ReplyDeleteबेहतरीन होली गीत के लिये आभार युनूस भाई
ReplyDeleteऔर आप व ममता जी और हमारे राजा बेटे को स स्नेह आशिष
- लावण्या
युनुस भाई, आपकी पोस्ट का ज़माने से इंतेज़ार था. आस पूरी हुई एक बेहद ही मस्त, मधुर और अलग ही आलम वाले होली गीत से.
ReplyDeleteआपको , और परिवार को होली की शुभकामनायें. आपसे ऐसे ही मधुर सुरों की होली की अपेक्षा हर हफ़्ते!!क्या करूं मन नही भरता इससे कम में.
वाह वाह युनूस भाई वाह ! स्वार्गिक आनंद दिला दिया आपने -इनाम के हकदार हैं !
ReplyDeleteअद्भुत! हार्दिक आभार।
ReplyDeleteIs prastuti ke liye Dhanyavad.
ReplyDeleteपं. छ्न्नूलाल जी मेरे संगीत के गुरु हैं. उनकी आवाज़ सुन कर मन भावुक हो गया यूनुस जी.
ReplyDeleteवैसे कितने अचरज की बात है कि इतने बडे गायक को आज तक पद्म्श्री जैसा कोई पुरस्कार नही मिला जबकि उनके शिष्य तक पद्मभूषण पा चुके हैं.
मीनू खरे,
कार्यक्रम अधिशासी,
आकाशवाणी, लखनऊ.
http://meenukhare.blogspot.com/
Unique pt. channulal mishra jee .
ReplyDeleteNo words for pt. jee. i am just speechless . but only one thing i would like to say in my traditional tone : kya baat hai pandit jee asli holy to yahi hai !
Many Many thanks for this song to Akashwani and Pt. channulal mishra jee
From :
Dr. Basu
Shamdarshi.bharat@gmail.com
wow..thanku thanku so mucch..
ReplyDeleteMohit, Bhopal
excellent I ever heard this quality song of holi. Lot of best wishes to Pundit Jee.
ReplyDeleteLokesh