रेडियोवाणी पर अपनी पिछली पोस्ट में मैंने नीरज जी का गीत कारवां गुज़र गया ग़ुबार देखते रहे.....सुनवाया था । 'नई उमर की नई फसल' फिल्म का ये गीत रोशन ने संगीतबद्ध किया था और इसे मोहम्मद रफी ने गाया था । इस पोस्ट पर अनूप भार्गव जी की ये टिप्पणी आई ।
और अनूप जी ने फौरन ही नीरज जी की आवाज़ मुझे मेल कर दी । रेडियोवाणी पर हम अनूप जी को किस तरह धन्यवाद करें समझ में नहीं आता । तो अब आप रेडियोवाणी पर अनूप जी के सौजन्य से दोनों कविताएं सुनेंगे । आज बारी है 'कारवां गुज़र गया' की । इस गीत की इबारत आप पिछली पोस्ट पर देख सकते हैं । पिछली पोस्ट से इस पोस्ट के बीच कुछ दिनों का अंतराल आया । और ये अंतराल MTNL के सौजन्य से था । आजकल ब्रॉडबैन्ड खूब सता रहा है ।
अगली पोस्ट में 'शोखि़यों में घोला जाये' गीत का कविता-रूप नीरज जी की आवाज़ में सुनवाया जायेगा
आहा!! मजा आ गया! कनाडा भी आये थे और हमने उसी ट्रिप में लाईव सुना था यह. आभार.
ReplyDeleteयुनुस भाई! इस गीत को रफ़ी साहब की आवाज़ में कई बार सुना है परंतु नीरज जी की आवाज़ में इसे सुनने का मौका आज पहली बार मिला. आपका और अनूप जी का बहुत बहुत आभार इसे हमसे बाँटने का!
ReplyDeleteमजा तो आना ही था। नीरज से अनेक बार सुना है। पर इस की डाउनलोड कहाँ है?
ReplyDeleteकवि की आवाज़ में उनकी ख़ुद की रचना सुनना एक अलग अनुभव होता है.
ReplyDeleteनीरज जी की आवाज़ में उनकी प्रसिद्द रचना सुन कर बहुत अच्छा लगा.
धन्यवाद .
वाह !
ReplyDeleteअनूप जी को अतिशय धन्यवाद। जब मैं क़तील शिफाई के बारे में लिख रहा था तो उन्होंने उनकी आवाज़ में कुछ खूबसूरत ग़ज़लें तुरंत मेल की थीं।
ReplyDeleteयुनुस भाई, कुछ कहने की बात तो नहीं .... अब इस के बाद कोई क्या कहे !!! और शुक्रिया भी तो क्या चीज़ होती है ? लेकिन आज का दिन ... इस पोस्ट के नाम ...
ReplyDeleteअनूप जी ..... रश्क होता है आप से !
वाक़ई नीरज जी हिन्दी-उर्दू कविता के युग-पुरूष हैं युनूस भाई.यह समय का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि एक सुविचारित मानसितकता के तहत उन्हें मंचीय कवि माना गया और साहित्य से ख़ारिज करने का कुचक्र रचा गया है. वे करोड़ों काव्य-प्रेमियों के दिल में बसते हैं.
ReplyDeleteमैंने २१ दिसम्बर को इन्दौर में होने जा रहे एक बड़े मुशायरे में नीरज जी का नाम प्रस्तावित किया था और मुझे बताते हुए ख़ुशी है कि वे बेकल उत्साही,निदा फ़ाज़ली,मुनव्वर राना,मेराज़ लख़नवी,वसीम बरेलवी और राहत इन्दौरी के साथ नीरजजी इस मुशायरे के मंच से अपनी ग़ज़ले पढ़ेंगे.
दर्द,दिलासा,दर्शन,करूणा,सकारात्मक सोच और श्रृंगार में भीगी नीरजजी की रचनाएँ उन्हें सर्वकालिक महान कवि बनातीं हैं. वे हमारे नये ज़माने के ख़ुसरो हैं.शिद्दत से उन्हें रेडियोवाणी पर याद करने के लिये शुक्रिया.
शोखि़यों में घोला जाये की प्रतीक्षा रहेगी!
ReplyDeleteYunus Ji dhnyavaad ke liye shabda hai.n....! bas samajh lijiye...!
ReplyDeleteयुनुस भाई :
ReplyDeleteइसे अपने ब्लौग पर स्थान देने के लिये धन्यवाद । वैसे मेरे बारे में लिखने की ज़रूरत नहीं थी :-)
कहते हैं ना ’अच्छी चीज़ों का सुख उन्हें बाँटने से और बढता है" ।
बहुत दिनों बाद नीरज जी की आवाज फ़िर से सुन कर अच्छा लगा और ये गीत तो मेरे पसंदीदा गीतों में से एक है , आप का और अनूप जी का बहुत बहुत आभार
ReplyDeleteबहुत बढ़िया. हिन्दी की पढ़ाई-लिखाई वाली बिरादरी और नीरज ! और आपकी यह पोस्त. उम्दा के अलावा और कुछ नहीं कहा जा सकता.
ReplyDeleteशोखियों में शराब कब घुलवा रहे हैं मित्र?
khan sahab happy birthday
ReplyDeleteअनूप दा...उनके आस तो ख़ज़ाना है, कुछ भी माँगिये मिलेगा।:-)
ReplyDeleteवाह!
ReplyDeleteसंजय जी, संभव हो सके तो इंदौर के मुशायरे के कुछ आडियो-विडियो प्रकाशित कीजियेगा।
udan tastaree chhodd de bakvaas
ReplyDeleteआनंद आ गया यूनुस भाई. आपको और अनूप जी, दोनों को धन्यवाद!
ReplyDeleteyunush bhai mene ek sandesh hindi me type kara hai google/transliterate me kintu usko iss link pe kaise laun ?
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