बहुत पुराने यानी बहुत ही पुराने । जैसे कि आज मैं आपके लिए लेकर आया
फैयाज़ हाशमी ने 1943 से 1948 तक कलकत्ता में ग्रामोफोन कंपनी में काम किया था । 1948 में उन्हें ढाका शाखा में भेज दिया गया और 1951 में वो ग्रामोफोन कंपनी के लाहौर ऑफिस में चले गये । उन्होंने पाकिस्तान में
मुझे ये गाना 'वो काग़ज़ की क़श्ती वो बारिश का पानी' जैसे गीत के समकक्ष लगता है । बल्कि अपनी मासूमियत और अल्हड़पन में ये उससे भी आगे है । और हेमंत कुमार ने इसे बड़ी ही तरंग में गाया है ।
कई फिल्मों के गाने लिखे । लेकिन भारत में उनकी पहचान ग़ैर फिल्मी गीतों के लेखक के तौर पर ही होती है । फ़ैयाज़ साहब के लिखे गीत हेमंत कुमार के अलावा जगमोहन सुरसागर, पंकज मलिक और तलत महमूद ने खूब गाए हैं । पंकज मलिक का मशहूर गीत 'ये रातें ये मौसम ये हंसना हंसाना, हमें भूल जाना इन्हें ना भुलाना' फै़याज हाशमी ही ने लिखा था । बाद में लता मंगेशकर ने इसे 'श्रद्धांजली' नामक अलबम में गाया था । फ़ैयाज़ के बारे में और जानने के लिए यहां क्लिक कीजिए ।
मुझे ये गाना 'वो काग़ज़ की क़श्ती वो बारिश का पानी' जैसे गीत के समकक्ष लगता है । बल्कि अपनी मासूमियत और अल्हड़पन में ये उससे भी आगे है । और हेमंत कुमार ने इसे बड़ी ही तरंग में गाया है । मुझे इस गाने से बेहद प्यार है । अगर आपने ये गीत किसी वजह से पहले नहीं सुना है तो ज़रा इत्मीनान से सुनिए । मुझे पूरा यक़ीन है कि आपको इस गाने से प्यार हो जायेगा ।
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भला था कितना अपना बचपन भला था कितना
दिन भर वो पेड़ों के तले, रहती थी पसारी आंचल
और मैं डालों से फेंका करता था तोड़ के फल
माली था बस हमारा दुश्मन ।
अपना बचपन । भला था कितना ।।
याद भी है वो खेल की बात जब हम निकालते थे बारात
लड़के मुझको दूल्हा बनाते । सखियां तुझको बनातीं दुल्हन ।
अपना बचपन । भला था कितना ।।
दिन को खेल में और रातों को खो जाते थे
राजा रानी के किस्से सुन सुन के सो जाते थे
आंख में नींद का नाम नहीं था, दिल से कोसों दूर थी धड़कन ।
अपना बचपन । भला था कितना ।।
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Yunusbhai
ReplyDeleteA very sweet song. I have this song and some other rare non filmi and filmi songs on my collection.
Thanx.
-Harshad Jangla
Atlanta, USA
यूनूस जी
ReplyDeleteबचपन याद दिल दिया। बहुत प्यारा गाना सुना दिया।
पहली बार जाना इस गीत के बारे में।
ReplyDeleteतस्वीर तेरी दिल मेरा बहला ना सकेगी गाना शायद फ़िल्मी है…
अन्नपूर्णा जी 'तस्वीर तेरी दिल मेरा बहला ना सकेगी' सौ प्रतिशत गैरफिल्मी गीत है । मेरे पास तलत के गैरफिल्मी गीतों का एक बड़ा गैर फिल्मी कलेक्शन है । ये गीत उनका पहला रिकॉर्डेड हिट था । इससे पहले वो तपन कुमार के नाम से गाते थे । इस गाने के हिट होने के बल पर ही तलत चालीस के दशक में बंबई आए थे और फिर पहली बार अनिल विश्वास ने उन्हें मौका दिया था ।
ReplyDeleteबरबस याद आ गयी बचपन में पढ़ी कविता - यदि होता किन्नर नरेश मैं...
ReplyDeleteआपकी पोस्टें किन्ही न किन्ही यादों में ले जाती हैं, यूनुस!
pyaari post...
ReplyDeleteऐसे ही बिखेरते रहिये इन दुर्लभ और अनमोल नगमों की खुशबू.
ReplyDeleteयूनुस भाई ..विविध भारती के रंगतरंग कार्यक्रम का ये चहेता गीत हुआ करता था.इन गीतों में मौजूद कवित्त को पढ़ कर समझ में नहीं आता इन्हें कम्पोज़ करने वाले,लिखने वाले,गाने वाले क्या किसी और दुनिया के वासी थे.लेकिन मैं और आप भी तो उसी दुनिया में थे...तो कहाँ गुम हो गई वह शरीफ़ दुनिया.
ReplyDeleteअवाम की पसंद से संगीत बनता है या संगीतकार/गीतकार अवाम की पसंद गढ़ते हैं
ये निश्चित रूप से चर्चा का विषय होना चाहिये.
भला बन जाने की याद दिलाते इस गीत को सुनवाने के लिये शुक्रिया भाई आपका.
बढ़िया जानकारी ! मैंने तो पहली बार ही ये गीत सुना। सुनवाने का शुक्रिया।
ReplyDeleteWonderful.It was so nice to listen to a non filmy song from more than50 years ago.
ReplyDeleteवाह भई वाह ! कमाल का गाना है।
ReplyDeleteआपका ये काम काबिल ए तारीफ है। हम आपके शुक्रग़ुज़ार है..बधू !