Saturday, May 17, 2008

कैसे कैसे रंग दिखाए कारी रतिया-जगजीत सिंह की आवाज़ फिल्‍म कालका

रेडियोवाणी पर कुछ दिन पहले फिल्‍म कालका का वो गीत आपको सुनवाया था जो मैं बहुत दिनों से खोज रहा था । बिदेसिया । जब कालका का रिकॉर्ड मिल ही गया तो उसके साथ आए इस फिल्‍म के सारे नग़्मे । उनमें से एक ये भी है जिसे आज आप तक पहुंचा रहा हूं । ये गीत जगजीत सिंह अपने लगभग सभी कंसर्टों में गाते हैं ।

चूंकि मैंने फिल्‍म कालका नहीं देखी इसलिए पता नहीं है कि इस गीत की jagjit फिल्‍म में क्‍या जगह है । पर जगजीत सिंह के संगीतबद्ध किये इन गानों का क़द्रदान जरूर रहा हूं । जगजीत की गाढ़ी और खरजदार आवाज़ में शास्‍त्रीय-गीत बहुत जंचते हैं । इसलिए जब कंसर्टों में वो अपनी मनचाही रचनाएं गाते हैं तो आनंद की अनूठी अनुभूति होती है । मुझे जगजीत से हमेशा एक शिकायत रही है और वो ये कि अपनी ग़ज़लों को कम्‍पोज़ करने में जगजीत पिछले बीस सालों से बहुत ज्‍यादा टाइप्‍ड हो गये हैं । धुनों की कोई बड़ी क्रांति उन्‍होंने नहीं दिखाई । अपने ही बनाए एक पक्‍के रास्‍ते पर टहलते रहे और इस तरह हम जैसे चाहने वालों का दिल तोड़ दिया है जगजीत सिंह ने । बहरहाल कालका फिल्‍म का ये गीत सुनिए । इसे किन्‍हीं सत्‍यनारायण जी ने लिखा है ।

इस गाने को सुनने का एक और जुगाड़ ये रहा । अगर आपको अपने ब्राउज़र पर दिक्‍कत आए तो जांचें कि आपके पास फ्लैश प्‍लेयर है या नहीं ।

कैसे कैसे रंग दिखाए कारी रतिया

हमको ही हमसे चुराए कारी रतिया ।।

माया की नगरिया में सोने की बजरिया

नाच नाच हारी रामा बावरी गुजरिया

रह रह नाच नचावै कारी रतिया ।।

जेह दिन आइहैं पिया के संदेसवा

उड़ जईहैं सुगना, छूट जइहैं देसवा

रोए रोए हमको बताए कारी रतिया ।।

13 comments:

  1. आनन्द आ गया, यूनुस भाई.

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  2. वाह ! बहुत बहुत शुक्रिया यूनुस भाई. यही गीत खोजता हुआ तो आप के पास पहुंचा था. मस्त कर दिया.... एक अर्से बाद सुना ये गीत.

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  3. वाह यूनुस जी,

    कैसे कैसे रंग दिखाए काली रतिया...
    माया की नगरिया में सोने की गुजरिया...

    बस एक आह निकलती है दिल से और कहीं जब्त हो जाती है | आज घर (भारत) में रिश्तेदार हैं और एक हम हैं की दूर परदेस में उनींदी आंखो से कमरा ताक रहे हैं :-(

    रोये रोये हमको बताये कारी रतिया,
    कैसे कैसे रंग.....


    बस आज तो जब तक दम है इस गीत को सुने जायेंगे ...

    हमको ही हम से चुराए काली रतिया...

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  4. बहुत बहुत खूबसूरत है, दिल को छू गई उनकी आवाज़ .thanks

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  5. वाह! यूनुस चुन कर लाते हैं तो रत्न ही लाते हैं! बहुत खूब।

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  6. मुझे जगजीत से हमेशा एक शिकायत रही है और वो ये कि अपनी ग़ज़लों को कम्‍पोज़ करने में जगजीत पिछले बीस सालों से बहुत ज्‍यादा टाइप्‍ड हो गये हैं । धुनों की कोई बड़ी क्रांति उन्‍होंने नहीं दिखाई । अपने ही बनाए एक पक्‍के रास्‍ते पर टहलते रहे और इस तरह हम जैसे चाहने वालों का दिल तोड़ दिया है जगजीत सिंह ने ।
    यह बात बरसों से मुझे भी लग रही थी, पर मैं इस बात को सोचकर चुप रह जाता कि मुझे संगीत की क्या समझ?
    पर आज आपने मेरे मन की बात कह ही दी..
    वैसे यह रचना बहुत ही सुंदर है, दिल को छू लेने वाली। ऐसी ही बढ़िया रचनायें सुनाते रहें।

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  7. माया की नगरिया में सोने की बजरिया

    नाच नाच हारी रामा बावरी गुजरिया

    जेह दिन आइहैं पिया के संदेसवा

    उड़ जईहैं सुगना, छूट जइहैं देसवा

    रोए रोए हमको बताए कारी रतिया ।।

    जेह दिन आइहैं पिया के संदेसवा

    उड़ जईहैं सुगना, छूट जइहैं देसवा

    रोए रोए हमको बताए कारी रतिया ।।

    वाह ! सत्यनारायन जी के शब्दोँ को खूब गाया है जगजीत जी ने .शुक्रिया युनूस भाई इस अनूठे शास्त्रीय गीत को सुनवाने का
    - लावण्या

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  8. Very enjoyable song. Never heard before. Thanx a lot Yunusbhai.

    -Harshad Jangla
    Atlanta, USA

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  9. यूसुस,
    खरजदार आवाज़ जैसा विशेषण अपनी तरह का है और ध्यान आकर्षित करता है ।
    जगजीत सिंह की धुनों में समय के साथ आयी एकरसता को आपनें जिस तरह observe किया है वह सटीक है। यह बेबाक परंतु शालीन critiquing style भी एक कला है,जो आपकी लेखनी को हासिल है।

    स्वीकारें शुभेच्छा।

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  10. यूनुस जी , कुछ तो गड़बड़ है,
    "बिदेसिया" और "कैसे कैसे रंग" दोनों पोस्ट पर आडियो गायब हो गया है, लगता है आर्काइव वालों ने हटा दिया है या कोई और समस्या है |

    हो सके तो आडियो दुरुस्त करें...

    नीरज

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  11. जगजीतजी bhale ही टाइप्‍ड हो गए हो.. पर हम तो खूब सुनते हैं... शुक्रिया इस खूबसूरत प्रस्तुति के लिए.

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  12. आज के प्रभात खबर के पटना संस्करण में सत्यनारायण जी का लेख छपा है इसी गीत को लेकर. सत्यनारायण जी पटना से हैं और शत्रुघ्न सिन्हा जी ने इस फिल्म में उन्हें चांस दिया था.मैंने ये गीत पहले कभी नहीं सुना और आज ये लेख पढ़ कर जाना की ऐसा भी कोई गीत है जगजीत जी की आवाज़ में. और जब ढूँढने लगा तो देखिये कहाँ पाया, युनुस जी के पास. शुक्रिया.बस दुःख इस बात का है की यहाँ भी ये गीत सुन नहीं पाया :(

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