रेडियोवाणी पर हम सलिल दा को अकसर विकलता से याद करते रहे हैं । सलिल दा हमारे आराध्य हैं । मुझे हमेशा से लगता रहा है कि सलिल दा जैसा प्रयोगधर्मी संगीतकार हिंदी फिल्म संगीत में दूसरा नहीं हुआ । आज मैं आपको जो गीत सुनवा रहा हूं वो अपनी हर पहलू के लिहाज से अनमोल है । आप पाएंगे कि लता मंगेशकर की आवाज़ का उपयोग इस गाने में केवल आलाप के लिए किया गया है । और इस आलाप की intensity देखते ही बनती है । कोरस का इस गाने में नायाब इस्तेमाल है ।
सलिल दा ने अपने कई गीत विदेशी ट्यून्स पर बनाए हैं । लेकिन आज के संगीतकारों की तरह ट्यून्स को कॉपी नहीं किया । उन्होंने इन धुनों को अपने प्रयोगों में ढाला और उनसे जो कुछ तैयार हुआ, उसमें भारतीयता भी थी और रचनात्मकता का चरम भी । इस गाने को मैं गिटार के चलन और बहुत ही गाढ़े कोरस के लिए याद करता हूं ।
ढलती शाम की immortal sadness का गीत है ये । मुझे लगता है कि शाम चिरन्तन उदासी का नाम है । और बेहद सांद्र उदासी के क्षणों में हमें एक
कंधे की ज़रूरत पड़ती है, जिसे हम अपने आंसुओं से भिगा सकें । इस गाने के कंधे पर सिर रखकर आप अपनी सारी उदासी धो सकते हैं । वैसे भी मजरूह सुल्तानपुरी का ये गीत उदासी से लड़ने का ही गीत है । 1961 में आई फिल्म 'माया' का ये गीत अपनी रचना, संगीत-रचना और गायकी में बेमिसाल । इसे द्विजेन मुखर्जी और लता मंगेशकर ने गाया था । इसे देव आनंद और माला सिन्हा पर फिल्माया गया है । आगे चलकर मुमकिन है कि फिल्म 'माया' के कुछ और गीत आपको सुनवाए जाएं ।
ऐ दिल कहां तेरी मंजिल ।
ना कोई दीपक है, ना कोई तारा है, गुम है ज़मीं, दूर आसमां
( लता का विकल आलाप और बेहतरीन कोरस )
किसलिए मिल मिल के दिल टूटते हैं
किसलिए बन बन महल टूटते हैं
किसलिए दिल टूटते हैं
पत्थर से पूछा, शीशे से पूछा ख़ामोश है सबकी ज़बां ।
ऐ दिल कहां तेरी मंजिल ।।
ढल गये नादां वो आंचल के साए
रह गए रस्ते में अपने पराए
रह गए अपने पराए
आंचल भी छूटा, साथी भी छूटा, ना हमसफ़र, ना क़ारवां
ऐ दिल कहां तेरी मंजिल ।।
This comment has been removed by a blog administrator.
ReplyDeleteयुनूस भाई ये मेरे प्रिय गीतों में से एक है. सलिल दा के संगीत की सबसे बड़ी ख़ासियत ये है कि वे भारतीय लोक संगीत और पाश्चात्य संगीत के अनूठे जानकार थे. वे साहित्यिक तबियत के इंसान थे (जागते रहो फ़िल्म उन्हीं की कहानी पर आधारित है)ध्यान से सुनियेगा उनकी रचनाओं को ... नैपथ्य में चलने वाला वाद्यवृंद हारमनी लिये होता है यानी जिस सुर पर गायक/गायिका गा रहे हैं या धुन कंपोज़ की गई है उससे कुछ अलग स्वरों की सृष्टि करता सा.वे हारमनी (संबधों की या डिज़ाइन वाली हारमनी नहीं)के बेज़ोड़ कारीगर थे.अनिल विश्वास ने मुझे बताया था कि वे सी.रामचंद्र के बाद सलिल चौधरी को ही सबसे प्रतिभा सम्पन्न संगीतकार मानते हैं.सलिल दा इप्टा से भी बरसों जुडे रहे और कई गीत उन्होंने बनाए जो इप्टा के पुराने लोगों को आज भी याद हैं.इस सुरीली संगीत-सर्जक को याद करने के लिये साधुवाद.
ReplyDeleteलाजवाब गीत. कुछ गीत कितनी भी बार सुने जा सकते हैं. सलिल दा और सचिन देव बर्मन हमारे प्रिय संगीतकारों की लिस्ट में सबसे ऊपर हैं. आपकी कमेंटरी भी जबरदस्त रही.
ReplyDeleteबढ़िया गीत यूनुस भाई!
ReplyDeleteइतना सुरीला गीत सुनवाने के लिए कोटिश: धन्यवाद यूनुस भाई. सलिल दा को याद करते हैं तो मुंह से बरबस निकल पडता है, जाने कहां गए वो लोग!
ReplyDeleteआपने इस गीत के सौदर्य को भी बखूबी बयान किया है.
शुक्रिया.
ख़ूबसूरत गीत ।
ReplyDeleteवैसे पुराने गाने सुनने मे कितने मीठे लगते है ।
कभी भी सुने एक मधुरता सी घुल जाती है समां मे।
Yunusbhai
ReplyDeleteWonderful song. See how the voice of Dwijen ji resembles with that of Hemantda.
Thanx.
-Harshad Jangla
Atlanta, USA
Yunusbhai
ReplyDeleteWonderful song. See how the voice of Dwijen ji resembles with that of Hemantda.
Thanx.
-Harshad Jangla
Atlanta, USA
बढिया ! ये गीत सुनते ही " चल री सजनी अब क्या सोचे " गीत की याद आ गयी - सलिल दा के बँगाली गीत , लतादी के गाये मुझे अत्यँत
ReplyDeleteप्रिय हैँ !
उन्हेँ भी सुनवाइयेगा तो आनँद आयेगा ये गीत तो सुकुन दिला रहा है !- लावण्या
Lavanyaji
ReplyDeleteI am sure you are aware that "Chal ri sajni" was composed by SDB.
-Harshad Jangla
Atlanta, USA
वाह ! बहुत ही प्यारा गीत लगता है ये मुझे... पर मेरा ध्यान हमेशा इससे पहले तक इसके बोलों पर ही ज्यादा रहा था।
ReplyDeleteइसके संगीत के बारे में आपकी और संजय भाई के विश्लेषण ने इस बात पर गौर करने पर मजबूर कर दिया।
Yunus ji,
ReplyDeleteAapke pichle post pe koi Anonymous" nam ke bhoot ne tabahi macha rakhhi hai, jara comments ka section dekhiye... aap jara us "Anonymous" bhoot ke pratikriyon ko apne tantrik mantra se bhagayie ...:-)
Sadar,
Guneshwar.
ख़ूबसूरत गीत ।
ReplyDeletebahut pyara geet....vaise bhee old is gold... sadabahar... geet sunvane ka andaaz geet ko aur bhi madhur bana deta hai..
ReplyDelete