
इस मुद्दे पर रेडियोवाणी पर मैं कोई टिप्पणी नहीं कर रहा, हां दोनों गाने आपके सामने पेश किये जा रहे हैं ।
सुनिए और फैसला कीजिए ।
ये रहा जॉर्ज माईकल के मशहूर गीत फेथ का वीडियो ।
और ये है 'फेथ' का ऑडियो
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और सांवरिया का शीर्षक गीत यहां सुना जा सकता है ।
एक लिस्ट खुलेगी, जिसमें सबसे नीचे है सांवरिया का टाईटल ट्रैक । उसे सिलेक्ट कीजिए और 'प्ले सिलेक्टेड' पर क्लिक कीजिए ।
और हां अपनी प्रतिक्रिया, ख्याल, विचार ज़रूर बताईये ।
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चलो, हम भी आपकी तरह फैसला नहीं लेते जबकि काफी मिलता जुलता लग रहा है. मगर आगे इन्डस्ट्री से जुड़ने का ख्वाब है तो क्या कहें. हम खुद ये ही करेंगे..ऐसा लगता है. :) हा हा!!!
ReplyDelete--जबलपुर नहीं गये क्या मित्र???
यूनुस भाई कमाल करते हैं आप, industri वाले इस नक़ल नही प्रेरणा कहते हैं ... बहुत भोले हैं आप
ReplyDeleteबन्दिशें अक्सर ,सात स्वरों की परिधि मे आपस मे टकरा ही जाती हैं …मगर यहाँ दोनो धुनें काफ़ी हद तक एक सी हैं ।
ReplyDeleteयूनुस, मेरी कुछ पोस्टों पर टिप्पणी में लोग यह भी विकल्प प्रयोग करते हैं - "ऊपर से निकल गयी।"
ReplyDeleteवही विकल्प मैं अपनी गीत-संगीत की अल्पज्ञता के कारण यहां प्रयोग कर रहा हूं। :-)
बम्बई में ऐसी चोरियाँ आम हैं. यकीन नहीं हो तो iftwofs.com पर जायें और देखें.
ReplyDeleteजनाब यूनुस साहब,
ReplyDeleteकल आपने ‘लोग औरत को फक़्त् जिस्म समझ लेते हैं’’शीर्षक के साथ जो तस्वीर छापी थी मेरी जानकारी के अनुसार वह तस्वीर फिल्म ‘’जोशीला’’ के एक गीत ‘’किसका रास्ता देखें, ऐ दिल ऐ शैदाई’’ की रिकार्डिंग के वक़्त की थी. इस फिल्म के निर्माता थे गुलशन राय और निर्देशक हैं यश चोप्ड़ा.. यश जी बाहर की फिल्में नहीं करते हैं मगर यह एक अपवाद है. निर्माता गुलशन राय फिल्म निर्माता और वितरक होने के अलावा फिल्म फायनेंसर भी थे और यश जी के करीबी मित्रों में से थे. यश जी ने शायद यह फिल्म इसलिए की थी क्योंकि सत्तर के दसक में जब वे मतभेद के चलते अपने भाई बी.आर.चोपड़ा से अलग हुए और अपने बैनर यशराज के अंतर्गत पहली फिल्म ‘’दाग’’ (कलाकार-राजेश खन्ना,शर्मिला टैगोर और राखी) बनायी तो कहते हैं कि गुलशन राय ने उस फिल्म को फायनेंस की थी. गुलशन राय ‘गुप्त’’ निर्देशक राजीव राय के पिता थे.
‘’जोशीला’’ का यह गीत् किशोर दा ने गाया है और देव आनन्द फिल्म के नायक हैं. नायिका हैं हेमा मालिनी. गीत साहिर का था और संगीत पंचम दा यानी अर.डी.बर्मन का. एक बात और, मैं प्राय;आपका ब्लॉग देखता हूं. प्रयास सराहनीय है. बधाई..
बेनाम जी, शुक्रिया । अपने नाम के साथ लिखते तो आनंद और ज्यादा आता ।
ReplyDeleteयूनुस भाई ये तो हर साल होता है और एक आध संगीत निर्देशक को छोड़ कर शायद ही कोई इन आरोपों से बच पाया है। लगे रहो मुन्ना भाई का पल पल हो या गैंगस्टर का या अली..या फिर लमहा लमहा या फिर आज नींद कम ख्वाब ज्यादा हैं..सबकी धुनें किसी प्रेरणा के तहत कहीं ना कहीं से लीं हुई हैं।
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