tag:blogger.com,1999:blog-8367368115959607647.post8474222362873126371..comments2024-02-21T13:54:06.301+05:30Comments on रेडियो वाणी: लोग औरत को फ़क़त जिस्म समझ लेते हैं--साहिर का एक तल्ख़ नग़्माYunus Khanhttp://www.blogger.com/profile/12193351231431541587noreply@blogger.comBlogger16125tag:blogger.com,1999:blog-8367368115959607647.post-21089825064359189202007-10-10T15:18:00.000+05:302007-10-10T15:18:00.000+05:30चलिए आंख की शर्म (लाली) अभी बची है आपमें।यह अच्छा ...चलिए आंख की शर्म (लाली) अभी बची है आपमें।<BR/>यह अच्छा हुआ किरकिरी चली गई। <BR/><BR/>अन्नपूर्णाAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8367368115959607647.post-44598128336098158842007-10-10T08:14:00.000+05:302007-10-10T08:14:00.000+05:30स्वास्थ के लिये शुभ कामना।मैं गीत की नहीं कहता पर ...स्वास्थ के लिये शुभ कामना।<BR/><BR/>मैं गीत की नहीं कहता पर गीत में नारी के प्रति जो विकृत धारणा पर जो प्रकाश डाला है - उस सन्दर्भ में उस विकृत धारणा का विरोध करता हूं। <BR/>नारी के प्रति बहुत नजरिया बदल की जरूरत है।Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8367368115959607647.post-3577653493819984472007-10-09T22:49:00.000+05:302007-10-09T22:49:00.000+05:30प्रिय मित्रो वाक़ई जोशीला फिल्म की तो याद ही नहीं...प्रिय मित्रो वाक़ई जोशीला फिल्म की तो याद ही नहीं आई, सुबह सुबह हड़बड़ी में । <BR/>वाह क्या याद दिलाई है । इस फिल्म के सभी गीत मुझे पसंद रहे हैं । अब तो यक़ीन हो गया कि ये जोशीला से जुड़ी तस्वीर ही है । जो भी हो शिरीष भाई का शुक्रिया कि उन्होंने मुझे ये तस्वीर उपलब्ध कराई और ये गाना भी याद दिलाया । <BR/><BR/>और हां समीर भाई<BR/>आंख की लाली तो बची है पर किरकिरी और पानी दोनों गए । <BR/>यानी हमारे जबलपुर जाने में जो संदेह था वो काफी कुछ खत्म हो गया । <BR/>अब तो बड्डे रूकहें ने ।Yunus Khanhttps://www.blogger.com/profile/12193351231431541587noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8367368115959607647.post-20602156145644025852007-10-09T21:32:00.000+05:302007-10-09T21:32:00.000+05:30एक अर्से बाद यह गीत सुना. बहुत बढ़िया प्रस्तुति रही...एक अर्से बाद यह गीत सुना. बहुत बढ़िया प्रस्तुति रही. तस्वीर में तीन को एकदम पहचान गये थे, दो आप्के माध्यम से पहचाने गये.<BR/><BR/>लाल आँख लिये जबलपुर जा रहे हैं कि कार्यक्रम में फेरबदल किया है??<BR/><BR/>जल्द स्वास्थयलाभ की शुभकामनायें.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8367368115959607647.post-41560541210838159692007-10-09T20:03:00.000+05:302007-10-09T20:03:00.000+05:30मैंने याददाश्त पर बहुत ज़ोर डाला पर आज की सुबह तो...<I>मैंने याददाश्त पर बहुत ज़ोर डाला पर आज की सुबह तो याद नहीं आ रहा है कि कौन सी फिल्म रही होगी, जिसे यश चोपड़ा या देव आनंद ने बनाया और साहिर ने गाने लिखे और किशोर दा ने गाया । हो सकता है कि ये देव साहब की उन फिल्मों में से एक हो जिसमें आर डी बर्मन का म्यूजिक हो । और यहां यश चोपड़ा और साहिर बस घूमते घूमते ही पहुंच गये हों । </I><BR/>एक ही फ़िल्म हो सकती है - 1973 की जोशीला. यश चोपड़ा, देव, साहिर, पंचम, और किशोर - ये सभी उसका हिस्सा थे. और क्या कमाल के गाने थे. इस दुर्लभ तस्वीर के लिए शुक्रिया.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8367368115959607647.post-34039148193941867432007-10-09T19:28:00.000+05:302007-10-09T19:28:00.000+05:30अभी तो आप ही हमारी संगीत सरिता हो गए हैं.....बहुत ...अभी तो आप ही हमारी संगीत सरिता हो गए हैं.....बहुत अच्छा बज रहा है आपका रेडियोबोधिसत्वhttps://www.blogger.com/profile/06738378219860270662noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8367368115959607647.post-18209427258774908872007-10-09T17:27:00.000+05:302007-10-09T17:27:00.000+05:30यूनुस भाई जो मैं कहना चाहता था उसे नीरज रोहिल्ला ज...यूनुस भाई <BR/>जो मैं कहना चाहता था उसे नीरज रोहिल्ला जी कह गये बस उसे कॉपी पेस्ट कर पढ़ लेवें। :)<BR/>मुझे इस गाने की तुलना में औरत ने जन्म दिया.... ज्यादा अच्छा लगता है।Sagar Chand Naharhttps://www.blogger.com/profile/13049124481931256980noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8367368115959607647.post-7724062225799244442007-10-09T17:03:00.000+05:302007-10-09T17:03:00.000+05:30आपके जल्द स्वस्थ होने की कामना करता हूँ.तस्वीर के ...आपके जल्द स्वस्थ होने की कामना करता हूँ.<BR/><BR/>तस्वीर के लोगो को पहचान गये थे जी.संजय बेंगाणीhttps://www.blogger.com/profile/07302297507492945366noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8367368115959607647.post-50149800894881643192007-10-09T16:14:00.000+05:302007-10-09T16:14:00.000+05:30युनूस भाई,यह तस्वीर शायद फ़िल्म जोशीला के दर्द-भरे...युनूस भाई,<BR/>यह तस्वीर शायद फ़िल्म जोशीला के दर्द-भरे गाने 'किसका रस्ता देखें ऐ दिल ऐ सौदाई' के रेकॉर्डिंग के वक्त की है | यश चोपडा इस फ़िल्म से सम्बंधित तो नही थे, शायद साहिर के साथ वहाँ पर आ गए हो |<BR/>आप ने कल इस बात का ज़िक्र क्यों नही किया की आपको कंजंक्टिवाइटिस हो गया है? बस कुछ दिनों की त्रासदी है यह!<BR/>Get well soon.Unknownhttps://www.blogger.com/profile/17601049827910535700noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8367368115959607647.post-72583777980056436422007-10-09T13:56:00.000+05:302007-10-09T13:56:00.000+05:30बहुत बढ़िया, शुक्रिया युनूस भाई!!देख लो आ गई ना आंख...बहुत बढ़िया, शुक्रिया युनूस भाई!!<BR/><BR/>देख लो आ गई ना आंख, पैले ही बोला तो अपन ने कि सोच समझ के लड़ाना नैन्। अब नैन लड़ाने की इतनी सज़ा तो भुगतनी ही होगी न!! चलो खैर, जल्दी से ठीक हो जाओ तो आगे फ़िर नैन लड़ाना!!Sanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8367368115959607647.post-57904760728390594922007-10-09T13:01:00.000+05:302007-10-09T13:01:00.000+05:30मैंने ये पिक्चर काफी पहले देखी थी। पर इस गीत का ख्...मैंने ये पिक्चर काफी पहले देखी थी। पर इस गीत का ख्याल नहीं रहा। पर बहुत भावपूर्ण गीत है। यहाँ पेश करने का शुक्रिया।<BR/>गुलज़ार की बीड़ी और कजरारे में भी एक कलात्मकता है और उनकी तुलना आजकल फैशन में आए बाकी आइटम गीतों से नहीं की जा सकती।Manish Kumarhttps://www.blogger.com/profile/10739848141759842115noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8367368115959607647.post-65227630084378310122007-10-09T12:46:00.000+05:302007-10-09T12:46:00.000+05:30yunusbhai aap jis tasveer ki baat kar rahe ho kahi...yunusbhai aap jis tasveer ki baat kar rahe ho kahin wo 'joshilay' film se sambandhit to nahin?..shayad isi me kishore ka gana tha''kis ka rasta dekhe...ai dil ai saudaee...''Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8367368115959607647.post-67719917946710919932007-10-09T11:57:00.000+05:302007-10-09T11:57:00.000+05:30Get well soon.Get well soon.Rajendrahttps://www.blogger.com/profile/01527849650038905232noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8367368115959607647.post-70735111342716012182007-10-09T11:34:00.000+05:302007-10-09T11:34:00.000+05:30जल्द ही आप कन्जक्टिवाईटिस से मुक्त हों ऐसी कामना ह...जल्द ही आप कन्जक्टिवाईटिस से मुक्त हों ऐसी कामना है ।Neeraj Rohillahttps://www.blogger.com/profile/09102995063546810043noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8367368115959607647.post-13829184651704644692007-10-09T11:26:00.000+05:302007-10-09T11:26:00.000+05:30युनुसजी,साहिरजी की शायरी में ऐसे पैने खंजर भी हैं,...युनुसजी,<BR/>साहिरजी की शायरी में ऐसे पैने खंजर भी हैं, जानकर और पढकर बडा अच्छा लगा । <BR/><BR/>साहिरजी का ही लिखा १९५८ की फ़िल्म साधना का गीत "औरत ने जन्म दिया मर्दों को, मर्दों ने उसे बाजार दिया" भी अपने में बडी तल्खी समेटे है । जब भी उसे सुनता हूँ तो अजीब सी बैचेनी होती है जिसे शब्दों में बयाँ करना नामुमकिन है । ये रहा उस गीत का लिंक:<BR/><BR/>http://www.esnips.com/doc/196b2e86-5933-4716-99e5-f9b64f7fc955/Aurat-Ne-Janam-Diya-Mardon-Ko---Sadhana-1958---Lata-MangeshkarNeeraj Rohillahttps://www.blogger.com/profile/09102995063546810043noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8367368115959607647.post-64939722351779289932007-10-09T10:32:00.000+05:302007-10-09T10:32:00.000+05:30वाह यूनुस जी सचमुच ये गीत बहुत ही कम सुनने को मिला...वाह यूनुस जी सचमुच ये गीत बहुत ही कम सुनने को मिला है, मैंने भी कभी जब यह फ़िल्म देखी थी तभी सुना था शयद, रेडियो पर भी कम ही बजता है, आपने जिंदा कर दिया फ़िर, और साहिर साहब के तो क्या कहने, अब देखिये उन्होंने सर जो तेरा चकराए लिखा तो पात्र पर बिल्कुल सटीक बैठा है, और शायरी नही है तो क्या, मिठास तो लफ़्ज़ों की वही हैSajeevhttps://www.blogger.com/profile/08906311153913173185noreply@blogger.com