tag:blogger.com,1999:blog-8367368115959607647.post7625165995231891841..comments2024-02-21T13:54:06.301+05:30Comments on रेडियो वाणी: 'अच्छी बात कहो'-मेहदी हसन के बहाने स्कूल के ज़माने की विकल याद ।।Yunus Khanhttp://www.blogger.com/profile/12193351231431541587noreply@blogger.comBlogger16125tag:blogger.com,1999:blog-8367368115959607647.post-66893444846142931832008-04-06T01:00:00.000+05:302008-04-06T01:00:00.000+05:30वाह भाई महदी साहब का ये अलग ही तरह का गीत लगा। सुन...वाह भाई महदी साहब का ये अलग ही तरह का गीत लगा। सुनवाने का शुक्रिया।Manish Kumarhttps://www.blogger.com/profile/10739848141759842115noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8367368115959607647.post-56535121268222108402008-04-05T23:50:00.000+05:302008-04-05T23:50:00.000+05:30short wave pe radio tune karne ka apna hin kala ho...short wave pe radio tune karne ka apna hin kala hota hai....aapne short wave ki baat karke bahut sari purani yadein taja kar di....<BR/>waise kuch gane Mehadi Hasan sahab ke aap <BR/><A HREF="http://www.apunkabollywood.net/browser/category/view/873/mehdi-hasan" REL="nofollow">yahan</A> sun sakte hain aur download bhi kar sakte hain bilkul muft!!!<BR/><BR/>Guneshwar.ganandhttps://www.blogger.com/profile/16423682329299322664noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8367368115959607647.post-41071861574066598762008-04-05T23:27:00.000+05:302008-04-05T23:27:00.000+05:30...ditto..ditto..! u r doing soli......ditto..ditto..!<BR/> u r doing solid work yunus!मुनीश ( munish )https://www.blogger.com/profile/07300989830553584918noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8367368115959607647.post-65520796611130404982008-04-05T07:31:00.000+05:302008-04-05T07:31:00.000+05:30यूनूस भाई , मै भी मेहंदी हसन जी के प्रशंसकों मे से...यूनूस भाई , मै भी मेहंदी हसन जी के प्रशंसकों मे से हूँ , जगजीत सिंह , मेहदीं हसन कब स्कूल जाने के दिनों से दिल मे छा गये , मालूम ही नही पडा । यह भी देखें <BR/><A HREF="http://funnychehre.blogspot.com/2006/10/blog-post.html" REL="nofollow">सरहद के पार- 'मेहंदी हसन'</A>Dr Prabhat Tandonhttps://www.blogger.com/profile/14781869148419299813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8367368115959607647.post-763307488138865152008-04-04T22:12:00.000+05:302008-04-04T22:12:00.000+05:30हम तो ग़ुलाम अली, जगजीत साहब, पंकज और मनहर उधास साह...हम तो ग़ुलाम अली, जगजीत साहब, पंकज और मनहर उधास साहब, तलत अज़ीज़ के ही मुरीद रहे हैं. मेंहदी हसन को भी आज सुन लेता पर esnips लोड ही नहीं हो रहा. :(डॉ. अजीत कुमारhttps://www.blogger.com/profile/10047691305665129243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8367368115959607647.post-39647018234071711322008-04-04T21:39:00.000+05:302008-04-04T21:39:00.000+05:30सागर भाई नक्श फरियादी तलत साहब ने गाया है । मैं इ...सागर भाई नक्श फरियादी तलत साहब ने गाया है । मैं इसे आपको उपलब्ध करवा सकता हूं । ज़रा थोड़ा समय दीजिए ।Yunus Khanhttps://www.blogger.com/profile/12193351231431541587noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8367368115959607647.post-29329133156949965022008-04-04T20:52:00.000+05:302008-04-04T20:52:00.000+05:30भाई साहब यह तो मेरे साथ अन्याय हो गया.. हसन साहब ...भाई साहब यह तो मेरे साथ अन्याय हो गया.. हसन साहब की बात हो रही है और मुझे पता ही नहीं चला। हसन साहब के पंखो में हमें भी शुमार करें। <BR/>आपने मुझे इस पोस्ट में कुछ लाइनें पढ़वा कर एक बार फिर से बेकल कर दिया। एक गज़ल के शब्द आपने लिखे हैं <B>नक्श फ़रियादी है किसकी...</B> यह गज़ल तलत महमूद साहब ने भी गाई है शायद खैय्याम साहब के संगीत निर्देशन में। बरसों पहले सुनी थी, आपने आज फिर याद दिला दी। अब पता नहीं फिर कब और कहां सुनने का मौला मिलेगा। लगता है खालिद साहब से ही मांगनी होगी। <BR/>इसी तरह इस बज़्म को आबाद करते रहें, यही दुआ है।सागर नाहरhttps://www.blogger.com/profile/16373337058059710391noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8367368115959607647.post-75183830138985471892008-04-04T20:26:00.000+05:302008-04-04T20:26:00.000+05:30एक गिनती मेरी भी कर लीजिए. और जब आया हूँ तो एक पर्...एक गिनती मेरी भी कर लीजिए. और जब आया हूँ तो एक पर्सनल टिप भी बताता जाऊँ - कभी खाली दोपहर में दही के साथ बाजरे की रोटी और लहसुन की चटनी खाते हुए मेहदी साहब को सुनिए. मज़ा आ जाएगा.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8367368115959607647.post-76373689591002049592008-04-04T19:13:00.000+05:302008-04-04T19:13:00.000+05:30शुक्रिया मित्रो हमें मेहदी हसन के शैदाईयों की तादा...शुक्रिया मित्रो हमें मेहदी हसन के शैदाईयों की तादाद का अंदाज़ा लग गया है । सभी मित्रों का शुक्रिया । मनीष भाई अपलोडिंग सीखना हो तो मैं तत्पर हूं, गीतों का इंतज़ार रहेगा । दिनेश जी शुक्रिया...गीतकार का नाम पता चलते ही बताता हूं ।Yunus Khanhttps://www.blogger.com/profile/12193351231431541587noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8367368115959607647.post-86697158775215782192008-04-04T18:47:00.000+05:302008-04-04T18:47:00.000+05:30यूनुस भाई, आप तो हीरे ही हीरे दिए जा रहे हैं। इस ग...यूनुस भाई, आप तो हीरे ही हीरे दिए जा रहे हैं। इस गीत के गीतकार का नाम जानने की इच्छा है।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8367368115959607647.post-61440250006639622432008-04-04T16:36:00.000+05:302008-04-04T16:36:00.000+05:30hamare yaha mehdi hasan sahab hamarey papa ke kabz...hamare yaha mehdi hasan sahab hamarey papa ke kabzey me rahtey they.....matlab unkey records...badi mushkil se ijaazat milti thii unhey khud se bajaney ki....ye geet to pehli baar sunaa...vaisey hum dono haanth khadey kiye hain YUNUS jiपारुल "पुखराज"https://www.blogger.com/profile/05288809810207602336noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8367368115959607647.post-23049666512976636892008-04-04T13:34:00.000+05:302008-04-04T13:34:00.000+05:30पिछले हफ्ते को आज सुना - जुम्मे की छुट्टी आज - और...पिछले हफ्ते को आज सुना - जुम्मे की छुट्टी आज - और गए हफ्ते रात देर हो रही थी - और बिना सुने पढ़ना तुम्हारे यहाँ मज़ा नहीं देता - बहुत ही अच्छी बात रही यह- पहले नहीं सुनी - मिसरी जैसे वचन रहे - नैतिक शिक्षा भी अच्छी याद दिलाई जैसे बाल भारती की दिलाते रहते हो - यहाँ एक दोस्त हैं उनके पास शायद मेंहदी हसन के फिल्मी गाने भी हों - जैसे भी हों इ-मेल कर दूँगा - अपलोड वगैरह नहीं आता -rgds - manishAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/08624620626295874696noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8367368115959607647.post-76850630655982185932008-04-04T11:19:00.000+05:302008-04-04T11:19:00.000+05:30हम हाथ खड़े किये हैं यूनुस जी....! गिन लीजिये...!आज...हम हाथ खड़े किये हैं यूनुस जी....! गिन लीजिये...!<BR/><BR/>आज जो गीत सुनाया वो पहले नही सुना था...बहुत सुंदर गीतUnknownhttps://www.blogger.com/profile/16391664542571175020noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8367368115959607647.post-66770404237418716792008-04-04T11:15:00.000+05:302008-04-04T11:15:00.000+05:30यहाँ आकाशवाणी हैदराबाद से सुगम संगीत के कार्यक्रम ...यहाँ आकाशवाणी हैदराबाद से सुगम संगीत के कार्यक्रम में और रोज़ रात में एक घण्टे के उर्दू कार्यक्रम नयरंग में मेहदी हसन और ग़ुलाम अलि की ग़ज़ले बहुत सुनवाई जाती है।annapurnahttps://www.blogger.com/profile/05503119475056620777noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8367368115959607647.post-45157912438866537352008-04-04T10:23:00.000+05:302008-04-04T10:23:00.000+05:30सुबह सुबह आपकी अच्छी पोस्ट पढने को मिल गई... शुक्र...सुबह सुबह आपकी अच्छी पोस्ट पढने को मिल गई... शुक्रिया!<BR/>कभी गुलाम अली साहब के बारे में भी लिखिए... और हाँ ११ अप्रिल को कुन्दन लाल सहगल के जन्म दिन पर क्या लिख रहे हैं? इंतज़ार रहेगा.Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8367368115959607647.post-20653640185886276302008-04-04T09:40:00.000+05:302008-04-04T09:40:00.000+05:30भाईजान...मेहंदी हसन के अच्छे स्वास्थ्य की कामना के...भाईजान...मेहंदी हसन के अच्छे स्वास्थ्य की कामना के साथ ये बात आपसे बाँटना चाहूँगा कि एकदम पहली बार उस्तादजी को मैने गर्मियों की छुट्टियों में एक रात अपनी छत पर बरामद किया.मज़ाक कर रहा हूँ...हमारा फ़िलिप्स बहादुर ट्रांज़िस्टर भी बड़ा नख़रे करता था . बीबीसी लगाना चाहों तो न जाने क्या पकड़ लेता था. सुईं घुमा ही रहा था कि भरावदार हारमोनियम का पीस और उस पर तबले की करामाती तिहाईयाँ....सब्र किया तो ग़ज़ल का अंतरा ( नया मतला) सुनाई दिया...<BR/>अभी तो सुबहा के माथे का रंगा काला है<BR/>ज़रा नक़ाब उठाओ बड़ा अंधेरा है<BR/><BR/>फ़िर...स्थायी...<BR/>चराग़े तूर जलाओ बड़ा अंधेरा है<BR/>क्या करिश्माई आवाज़...मेरा किशोर मन रोमांचित हो गया...मैने सोचा सुनूं तो सही कहाँ से प्रसारित तो रही है ये रचना...बाद में एनाउंसर ने बताया ये प्रसारण आप रेडियो डॉयचे वेले (जर्मनी) से सुन रहे हैं....उसके बाद कभी ये स्टेशन पकड़ में नहीं आया...लेकिन मालवा की उस रात ने मुझे ज़िन्दगी भर के लिये मेहंदी हसन साहब का मुरीद बना डाला....यादें कुछ और भी हैं उनसे प्रत्यक्ष मुलाक़ात और राजस्थानी में बतियाने की जो फ़िर और कभी (ग़ज़ल के मिसरों में कोई गड़बड़ हो तो माफ़ करें...मामला तक़रीबन तीस साल पुराना है जब ख़ाकसार की उम्र थी सत्रह बरस...युनूस भाई उस रात में लौटाने का शुक्रिया वरना आज और आने वाले कल की उत्तेजना में बीता तो बीतता ही जा रहा है)sanjay patelhttps://www.blogger.com/profile/08020352083312851052noreply@blogger.com