tag:blogger.com,1999:blog-8367368115959607647.post6803573561291478270..comments2024-02-21T13:54:06.301+05:30Comments on रेडियो वाणी: 'वो काग़ज़ की कश्ती वो बारिश का पानी' लिखने वाले सुदर्शन फ़ाकिर नहीं रहे...Yunus Khanhttp://www.blogger.com/profile/12193351231431541587noreply@blogger.comBlogger24125tag:blogger.com,1999:blog-8367368115959607647.post-16673049729083998272008-02-24T01:07:00.000+05:302008-02-24T01:07:00.000+05:30सच में जगजीत सिंह जी से ऎसी कितनी हीं लाज़वाब गज़लें...सच में जगजीत सिंह जी से ऎसी कितनी हीं लाज़वाब गज़लें सुनी थी मैने, लेकिन शायर का नाम पता न था। और पता भी तब चला जब शायर ना रहा। बड़े हीं अफसोस की बात है।<BR/>दुआ करता हूँ कि जन्नत में सुदर्शन जी की आत्मा को शांति मिले।<BR/>आमीन!<BR/><BR/>-विश्व दीपक ’तन्हा’विश्व दीपकhttps://www.blogger.com/profile/10276082553907088514noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8367368115959607647.post-55848239120821119292008-02-23T19:10:00.000+05:302008-02-23T19:10:00.000+05:30फाकिर साहेब की एक और रचना मुलाहिजा फरमाइए :किसी रं...फाकिर साहेब की एक और रचना मुलाहिजा फरमाइए :<BR/><BR/>किसी रंजिश को हवा दो के मैं जिंदा हूँ अभी <BR/>मुझको एहसास दिला दो के मैं जिंदा हूँ अभी <BR/>मेरे रुकने से मेरी साँसें भी रुक जायेगी <BR/>फासले और बढ़ा दो के मैं जिंदा हूँ अभी <BR/>ज़हर पीने की तो आदत थी ज़मानें वालों <BR/>अब कोई और दवा दो के मैं जिंदा हूँ अभी <BR/>चलती राहों में यू हीं आँख लगी है फाकिर <BR/>भीड़ लोगों की हटा दो के मैं जिंदा हूँ अभी.Rajendrahttps://www.blogger.com/profile/01527849650038905232noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8367368115959607647.post-72896354889781505172008-02-23T01:18:00.000+05:302008-02-23T01:18:00.000+05:30एक अनूठे कलाम के बढ़ जाने पर क्या कह सकते हैं? - उन...एक अनूठे कलाम के बढ़ जाने पर क्या कह सकते हैं? - उन्हीं के शब्दों में ? - बस तेरी याद के साए हैं .. पनाहों की तरह.. - श्रद्धांजलि - मनीषAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/08624620626295874696noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8367368115959607647.post-73465971827701770192008-02-22T12:46:00.000+05:302008-02-22T12:46:00.000+05:30किसी के जाने के बाद ही उनकी खूबियों के बारे में पत...किसी के जाने के बाद ही उनकी खूबियों के बारे में पता चलता है... कितने दिनो से तो वो कागज़ की कश्ती हम सुनते आ रहे थे या जगजीत चित्रा की वजह से भी हम सुदर्शन जी को गुनगुना रहे थे पर बेग़म अख्तर भी उन्हें गाती थी ये जानकारी मेरे लिये नई है.. हमारी विनम्र श्रद्धांजलि सुदर्शन जी को.......VIMAL VERMAhttps://www.blogger.com/profile/13683741615028253101noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8367368115959607647.post-48490342951241269832008-02-22T09:06:00.000+05:302008-02-22T09:06:00.000+05:30महान शायर को विनम्र श्रद्धांजलि!महान शायर को विनम्र श्रद्धांजलि!नितिन | Nitin Vyashttps://www.blogger.com/profile/14367374192560106388noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8367368115959607647.post-63143263739785200602008-02-22T07:25:00.000+05:302008-02-22T07:25:00.000+05:30यूनुस, सुदर्शन फ़ाक़िर की याद को उनकी कृतियो से जोड़...यूनुस, सुदर्शन फ़ाक़िर की याद को उनकी कृतियो से जोड़ रहें है आप, तो हमें बचपन में सुने दूरियाँ के record की याद आयी जब गीत के सुंदर शब्दों को सुनकर एक नाम ’सुदर्शन फ़ाक़िर’ का जाना था जो आज भी उन गीतों को पुन: सुनते वक़्त ज़ेहन पर आ जाता है। <BR/>शब्दो से एहसासात का जादू जगानें वाले फ़ाक़िर साहब को श्रद्धा सुमन अर्पित हैं।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/12160634726989950280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8367368115959607647.post-57479878648406336132008-02-21T23:39:00.000+05:302008-02-21T23:39:00.000+05:30सुदर्शन फ़ाकिर को विनम्र श्रद्धांजलि! आम आदमी के जज़...सुदर्शन फ़ाकिर को विनम्र श्रद्धांजलि! आम आदमी के जज़्बातों को उसी की भाषा में बेहद खूबसूरती से कहने वाले इस महान शायर की गज़लें और नज़्म हमेशा हमें उनकी याद दिलातीं रहेंगी!<BR/><BR/>झूठा है जो भी कहता है कि फ़ाकिर नहीं रहा<BR/>क्या कोई भी उस कलाम का शाकिर नहीं रहाSahityaShilpihttps://www.blogger.com/profile/12784365227441414723noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8367368115959607647.post-17699658396701036422008-02-21T19:58:00.000+05:302008-02-21T19:58:00.000+05:30जगजीत सिंह की गई हुई ये नज्म तो सुनी थी पर शायर का...जगजीत सिंह की गई हुई ये नज्म तो सुनी थी पर शायर का नाम नही मालूम था।<BR/><BR/>फाकिर साहब को श्रधांजलि ।mamtahttps://www.blogger.com/profile/05350694731690138562noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8367368115959607647.post-42626904756332752232008-02-21T19:50:00.000+05:302008-02-21T19:50:00.000+05:30सुदर्शन फ़ाकिर नहीं रहे..जानकर बहुत धक्का पहुँचा। ...सुदर्शन फ़ाकिर नहीं रहे..जानकर बहुत धक्का पहुँचा। उनकी कई गजलें और नज़्में सुनते सुनते बड़े हुए हैं। बड़ी मायूसी हुई..Manish Kumarhttps://www.blogger.com/profile/10739848141759842115noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8367368115959607647.post-47000421341938515722008-02-21T19:27:00.000+05:302008-02-21T19:27:00.000+05:30‘दिल तो रोता रहे, और आंख से आंसू ना बहे इश्क़ की ...‘दिल तो रोता रहे, और आंख से आंसू ना बहे <BR/><BR/>इश्क़ की ऐसी रवायात ने दिल तोड़ दिया’<BR/><BR/>यूनुस भाई,<BR/><BR/>ग़ज़ल के इश्क मे आज कुछ ऐसी ही हालत <BR/>है अपने दिल की ।dr.shrikrishna rauthttps://www.blogger.com/profile/16806512573374110171noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8367368115959607647.post-28328788642777206672008-02-21T17:52:00.000+05:302008-02-21T17:52:00.000+05:30सुदर्शन जैसे शाइर ज़माने में एक बार ही पैदा होते है...सुदर्शन जैसे शाइर ज़माने में एक बार ही पैदा होते है और उनकी शाइरी सभी के दिलों में मरते दम तक ज़िन्दा रहती है...Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8367368115959607647.post-76243957047573270642008-02-21T15:48:00.000+05:302008-02-21T15:48:00.000+05:30शुक्रिया तीन बेहतरीन गजलें सुनाने का।शुक्रिया तीन बेहतरीन गजलें सुनाने का।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8367368115959607647.post-44251271030459250012008-02-21T15:23:00.000+05:302008-02-21T15:23:00.000+05:30फ़ाकिर साहब को जाना भी अभी जब वे नहीं हैं। और ये अत...फ़ाकिर साहब को जाना भी अभी जब वे नहीं हैं। और ये अति सुन्दर गीत तो वास्तव में उनके प्रति गहरे मन से श्रद्धांजलि देने को प्रेरित कर रहे हैं।Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8367368115959607647.post-42067762160113380742008-02-21T14:28:00.000+05:302008-02-21T14:28:00.000+05:30gazalen suni thi. naam nahi pata tha. aise mahan s...gazalen suni thi. naam nahi pata tha. <BR/>aise mahan shayar ko shradhaanjali.Vikashhttps://www.blogger.com/profile/01373877834398732074noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8367368115959607647.post-26392774814252870882008-02-21T14:09:00.000+05:302008-02-21T14:09:00.000+05:30फाकिर साहब को श्रध्दांजलि . इतनी खूबसूरत गज़लों के ...फाकिर साहब को श्रध्दांजलि . इतनी खूबसूरत गज़लों के सृजनकर्ता का नाम ही नही पता था मुझे.कितनी बार रिवाइंड करके सुना है उनकी गज़लों को.Poonam Misrahttps://www.blogger.com/profile/08526492616367277544noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8367368115959607647.post-50515692851605105222008-02-21T13:51:00.000+05:302008-02-21T13:51:00.000+05:30यूनुस भाई,ये सुन कर बहुत दु:ख हुआ की अजीम शायर सुद...यूनुस भाई,<BR/>ये सुन कर बहुत दु:ख हुआ की अजीम शायर सुदर्शन फ़ाकिर साहब जन्नतनशीं हो गए.<BR/>पर उनके लिखे अशआर हमेशा हमें सुनने को मिलेंगे, और जब भी गायक को दाद मिलेगी तो उस पर पहला हक तो शायर का ही होगा.<BR/>धन्यवाद.डॉ. अजीत कुमारhttps://www.blogger.com/profile/10047691305665129243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8367368115959607647.post-27775255447406061032008-02-21T13:29:00.000+05:302008-02-21T13:29:00.000+05:30sari nazmo.n kojankari thi bas ye jankati nahi thi...sari nazmo.n kojankari thi bas ye jankati nahi thi ki Faqir sahab ki hai.. batane ka shukriyaकंचन सिंह चौहानhttps://www.blogger.com/profile/12391291933380719702noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8367368115959607647.post-30518285884385801382008-02-21T11:22:00.000+05:302008-02-21T11:22:00.000+05:30नहीं यूनुस जी, फाकिर साहब के जज्बात सादा नहीं थे, ...नहीं यूनुस जी, फाकिर साहब के जज्बात सादा नहीं थे, हां अल्फ़ाज़ ज़रूर सादा थे।<BR/><BR/>एक स्तर पर आने के बाद काग़ज़ की कश्ती और बारिश का पानी याद रखना और<BR/><BR/>हम तो समझे थे बरसात में बरसेगी शराब<BR/>आई बरसात तो बरसात ने दिल तोड़ दिया<BR/><BR/>ये सादा जज्बात नहीं है।annapurnahttps://www.blogger.com/profile/05503119475056620777noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8367368115959607647.post-127285378415428332008-02-21T10:44:00.001+05:302008-02-21T10:44:00.001+05:30फाकिर साहब को श्रदांजलिइश्क़ में ग़ैरत-ऐ-जज्बात न...फाकिर साहब को श्रदांजलि<BR/>इश्क़ में ग़ैरत-ऐ-जज्बात ने रोने ना दिया <BR/><BR/>वरना क्या बात थी, किस बात ने रोने ना दिया ।<BR/><BR/>हाय कालेज के दिनों में कितनी बार इस शेर ने सहारा दिया है। <BR/>फाकिर साहब यहां ना मिल पाये आपसे, ऊपर हम भी आ ही रहे हैं, दस बीस पचास साल में, ऊपर जमकर बैठकें होंगी।ALOK PURANIKhttps://www.blogger.com/profile/09657629694844170136noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8367368115959607647.post-16132963133393142352008-02-21T10:44:00.000+05:302008-02-21T10:44:00.000+05:30बहुत जरूरी काम किया आपने. सुदर्शन फ़ाकिर साहब की य...बहुत जरूरी काम किया आपने. सुदर्शन फ़ाकिर साहब की याद को नमन.काकेशhttps://www.blogger.com/profile/12211852020131151179noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8367368115959607647.post-25427573793163352472008-02-21T09:48:00.000+05:302008-02-21T09:48:00.000+05:30आप को प्यार है मुझसे कि नहीं है मुझसे।जाने क्यों...आप को प्यार है मुझसे कि नहीं है मुझसे।<BR/>जाने क्यों ऐसे सवालात ने दिल तोड़ दिया।।<BR/>वाकई हर खासोआम के दिलों को छू जानेवाले शायर थे फाकिर साहब। अफसोस मुझे आज तक पता नहीं था कि वो कागज की कश्ती को लिखनेवाले का नाम सुदर्शन फाकिर है। वाकई काम और नाम होते हुए भी अगर मार्केटिंग दुरुस्त न हो तो प्रतिभाएं कैसे गुमनाम रह जाती हैं।अनिल रघुराजhttps://www.blogger.com/profile/07237219200717715047noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8367368115959607647.post-31611648871451348232008-02-21T09:20:00.000+05:302008-02-21T09:20:00.000+05:30यूनूस भाई, वाकई गजब का लिखते थे फाकिर साहब. "बुतखा...यूनूस भाई, वाकई गजब का लिखते थे फाकिर साहब. "बुतखाना समझते हो जिसको, पूछो न वहाँ क्या हालत है..." उन्हें श्रद्धांजलि. <BR/>इस पोस्ट के लिए आपको बहुत-बहुत धन्यवाद.Shiv Kumar Mishrahttps://www.blogger.com/profile/16210136982521324733noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8367368115959607647.post-80130434867765303152008-02-21T09:01:00.000+05:302008-02-21T09:01:00.000+05:30फ़ाक़िर साहब ने सचमुच सादा अल्फ़ाज़ में ज़िंदगी की रूमा...फ़ाक़िर साहब ने सचमुच सादा अल्फ़ाज़ में ज़िंदगी की रूमानी और ज़मीनी हक़ीक़तों से हमारी शनासाई करवाई है. ग़ज़लें अगर एक ख़ास श्रोतावर्ग से निकलकर आम श्रोताओं तक आरज़ू लखनवी के ज़रिये तब पहुँची थीं तो सुदर्शन फ़ाक़िर के ज़रिये अब. <BR/>आपने जिस परिश्रम और लगन से यह पोस्ट लगाई है उसे भी याद रखा जाएगा.इरफ़ानhttps://www.blogger.com/profile/10501038463249806391noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8367368115959607647.post-47219694587273816542008-02-21T08:54:00.000+05:302008-02-21T08:54:00.000+05:30सुदर्शन फाकिर को श्रद्धांजलिसुदर्शन फाकिर को श्रद्धांजलिBatangadhttps://www.blogger.com/profile/08704724609304463345noreply@blogger.com