tag:blogger.com,1999:blog-8367368115959607647.post6230027148362560111..comments2024-02-21T13:54:06.301+05:30Comments on रेडियो वाणी: कैसे उनको पाऊं आली--आशा भोसले का स्वरYunus Khanhttp://www.blogger.com/profile/12193351231431541587noreply@blogger.comBlogger17125tag:blogger.com,1999:blog-8367368115959607647.post-43344962404292959502008-09-11T03:50:00.000+05:302008-09-11T03:50:00.000+05:30यूनुस भाई आलोचना को नजरअंदाज करें और अपने काम में ...यूनुस भाई आलोचना को नजरअंदाज करें और अपने काम में मगन रहें. लता और आशा तो नगीने हैं हमारे जैसी कई पीढि़यां उन्हें सुनते हुए बड़ी हुई हैं. आपका काम बिला शक काबिले तारीफ है.Sanjay Karerehttps://www.blogger.com/profile/06768651360493259810noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8367368115959607647.post-10526189665141990702008-09-09T08:35:00.000+05:302008-09-09T08:35:00.000+05:30आपकी इस प्रस्तुति से मैंने आनंद पाया और यह भी लगा ...आपकी इस प्रस्तुति से मैंने आनंद पाया और यह भी लगा कि हिन्दी कविता और संगीत के रिश्ते पर गंभरता से बात और काम करने की जरूरत है.siddheshwar singhhttps://www.blogger.com/profile/06227614100134307670noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8367368115959607647.post-3662766155984374932008-09-08T21:39:00.000+05:302008-09-08T21:39:00.000+05:30आशाजी जीयेँ और हम ऐसे ही सुनते रहेँ !आशाजी जीयेँ और हम ऐसे ही सुनते रहेँ !लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8367368115959607647.post-58103197845250682592008-09-08T21:36:00.000+05:302008-09-08T21:36:00.000+05:30यूनुसभाईआपके ब्लॉग पर आनेवाली टिपण्णी जो चर्चा का ...यूनुसभाई<BR/>आपके ब्लॉग पर आनेवाली टिपण्णी जो चर्चा का स्वरूप ले लेती हैं वैसी टिप्पणियों को आप प्रकाशित ही न करे तो आपका आभारी रहूंगा| दुसरे व्यस्त ब्लोगरों का समय बरबाद होने से बच जायेगा | दीदी के बारेमे कोई भी ग़लत बात पढ़के मेरा तो खून खोल उठता है | सूरज के सामने धुल जोंकने से वह धुल अपने आप पर ही गिरती हैं | <BR/>-हर्षद जांगला <BR/>एटलांटा युएसऐHarshad Janglahttps://www.blogger.com/profile/00844983134116438245noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8367368115959607647.post-91658349485562479372008-09-08T19:14:00.000+05:302008-09-08T19:14:00.000+05:30खूब खूब खूब कही संजय जी आपने मेरी ओर से तालियां और...खूब खूब खूब कही संजय जी आपने मेरी ओर से तालियां और साधुवाद कि आपने इतना लम्बा जवाब दिया ।पंकज सुबीरhttps://www.blogger.com/profile/16918539411396437961noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8367368115959607647.post-25456311327464510032008-09-08T18:57:00.000+05:302008-09-08T18:57:00.000+05:30यूनुस भाई की आज की इस पोस्ट पर आई टिप्पणी के बारे ...यूनुस भाई की आज की इस पोस्ट पर आई टिप्पणी के बारे मैं एक बेह्द मामूली सा कानसेन भी कुछ कहना चाहता हू.<BR/><BR/>जब यश और लोकप्रियता आती है तो आरोप भी आते हैं,आलोचनाएं आतीं है और बुराइयाँ भी.लता-आशा ने अपने कैरियर को सँवारने और समृध्द करने में किस को दरकिनार किया और किस संगीतकार पर शिकंजा कसा यह सारी बातें जनश्रुति पर आधारित ही होतीं हैं.इसका सौ फ़ी सद सच संगीतकार,लता-आशा या वे स्वयं जो इन दोनो बहनों की तथाकथित साज़िशों के शिकार हुए हों उन्हें ही मालूम हो सकता है. जब नवोदित कलाकारों के संघर्ष की बात होती है तो वह सही ही होती है लेकिन ध्यान देना होगा कि ऐसा ही स्ट्रगल कभी इन दोनों बहनों को भी करना पड़ा . अब चूँकि ये दोनो स्थापित हो चुकीं है तो आप कहेंगे कि कि मैं लता-आशा के अभावों को महिमामंडित या ग्लौरिफ़ाई कर रहा हूँ जबकि इस बारे में स्वयं महान संगीतकार अनिल विश्वास के वक्तव्यों को यहाँ कोट कर सकता हूँ जो निजी मुलाक़ात के दौरान व्यक्त किये गए थे.लेकिन वह फ़िर कभी और. <BR/><BR/>यह निर्विवाद सत्य है कि लताजी-आशाजी ने गायन विधा में एक लम्बा सफ़र तय किया है . और यूनुस भाई जैसे समर्थ और मुझ जैसे मामूली ब्लॉग लेखक अपने ख़ालिस संगीत प्रेम की वजह से ही लताजी-आशाजी या अन्य दीगर संगीतकर्मियों पर अपने विचार व्यक्त करते रहते हैं.और वाजिब बात है कि इस सब उपक्रम में व्यक्तिगत पसंद - नापसंद तो लिखते वक़्त मन पर हावी होती ही है.ब्लॉग लेखन यदि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की दुहाई देता है तो यूनुस भाई को हज़ार बार किसी गुलूकार या कलाकार पर अपने नज़रिये पर लिखने का हक़ है. और बड़ी विनम्रता से कहना चाहूँगा कि ये सब करते हुई ब्लॉग लेखन जैसे निहायत फ़ोकट और समय नष्ट करने वाले काम को मीडिया का हिस्सा कहना बेमानी होगा. और फ़िर मीडिया के अपने आग्रह-दुराग्रह हो सकते हैं तो ब्लॉग-लेखक तो और ज़्यादा आज़ाद प्राणी है.माधुरी जैसी फ़िल्म पत्रिकाओं के बंद हो जाने के बाद चित्रपट संगीत को जिस तरह ब्लॉग-बिरादरों ने पुनर्जीवित किया है उसकी तारीफ़ तो देश भर के प्रतिष्ठित अख़बारों में ब्लॉग लेखन पर एकाग्र स्तंभों में की जा रही है और ग़रज़ ये कि इनके स्तंभकार मीडिया के ही जाने माने लोग हैं.<BR/><BR/>आख़िरी बात....<BR/>लता जी के पिचहत्तरवें जन्म दिवस पर मैने प्रमुख हिन्दी दैनिक नईदुनिया(इन्दौर) में एक लेख लिखा था जिसका शीर्षक था- प्रलय के बाद भी बची रहेगी लता की आवाज़...किसी दिलजले ने कहा भाई साहब भारी महिमामंडित करते हो आप लताबाई को,ज़रा बताइये तो प्रलय आने के बाद लता की आवाज़ के लिये बचेगा कौन....मैंने कहा भाई साहब मुझे अपने बारे में तो पता नहीं पर निश्चित रूप से कह सकता हूँ कि आप तो नहीं बचने वाले.क्योंकि लता की आवाज़ का स्नेहभाजन बनने के लिये कई जन्मों का पुण्य चाहिये.संजय पटेलhttps://www.blogger.com/profile/04535969668109446884noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8367368115959607647.post-6818655168425174352008-09-08T18:25:00.000+05:302008-09-08T18:25:00.000+05:30युनुस भाई, इतनी अच्छी रचना सुनाने के लिए धन्यवा...युनुस भाई, इतनी अच्छी रचना सुनाने के लिए धन्यवाद, साधुवाद। ये सब कालजयी रचनायें एवं दुर्लभ कृतियॉं आप ही ला सकते हैं, ये मीडिया के बस की बात नहीं है। इन सबके लिए व्यक्ति का संवेदनशील होना जरूरी है। पत्थ्ार फेंकने वालों पर न जायें। जो लोग अच्छे काम पर उंगलियॉं उठाते हैं, उन्हें नही मालूम कि वे तीन उंगलियॉं अपनी ओर ही तानते हैं। <BR/>फिर से बधाई...............Suneel R. Karmelehttps://www.blogger.com/profile/03638450569979915656noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8367368115959607647.post-88993821702013383352008-09-08T17:25:00.000+05:302008-09-08T17:25:00.000+05:30किसी अंग्रेज दार्शनिक ने कहा है कि ''कुछ लोग काम क...किसी अंग्रेज दार्शनिक ने कहा है कि ''कुछ लोग काम करते हैं और कुछ लोग आलोचना करते हैं '' यूनुस जी आप निसंदेह पहलें वाले वर्ग में हैं इसलिये दूसरे वालों की चिन्ता न करें । मैं नहीं जानता कि ये मीडिया कौन सी बला है और कौन हैं ये जो अपना नाम तक सामने नहीं लाना चाहते हैं । जिस व्यक्ति में अपनी पहचान तक उजागर करने का साहस न हो उसकी बात का क्या जवाब देना । यूनुस जी आप एक महान काम कर रहें हैं । और मैं तो आपके मंच से खुलकर कहता हूं कि लता और आशा जैसी गायिकायें तो न भूतो न भविष्यति होती हैं । हम सौभाग्यशाली हैं कि हमने उस युग में जनम लिया जब ये गायिकायें भी हैं । लता जी सूर्य हैं तो आशा जी चंद्रमा । मीडिया जी उसके अलावा सारी गायिकायें जुगनू हैं जो सूरज के आते ही बुछ जाते हैं । आप अपनी भड़ास अपने ही बेनामी ब्लाग पर निकालिये कम से कम एक अच्छा काम करने वाले के ब्लाग पर अपना विष वमन न करें । क्योंकि जो व्यक्ति अपना नाम ही गोपनीय रख रहा हो उसका साहस तो क्या कहना । मैं आपकी कटू से कटू शब्दों में आलोचना करता हू और अपने शब्द दोहराता हूं कि लता और आशा जी को तो छोड़ ही दें पर यूनुस जी के कार्य पर उंगली उठा कर आपने सूरज पे थूकने का कार्य किया है जेब से रूमाल निकाल के पोंछ लें क्योंकि आपका थूक आपके ही मुंह पे गिरा है ।रवि शर्मा एक जागरूक पत्रकारhttps://www.blogger.com/profile/14867244472378217822noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8367368115959607647.post-90236750800366545832008-09-08T17:15:00.000+05:302008-09-08T17:15:00.000+05:30यूनुस जी मैं आपकी बात से सहमत हूं सहमत हूं सहमत हू...यूनुस जी मैं आपकी बात से सहमत हूं सहमत हूं सहमत हूं सहमत हूं सहमत हूं सहमत हूं सहमत हूं सहमत हूं सहमत हूं सहमत हूं सहमत हूं सहमत हूं सहमत हूं सहमत हूं सहमत हूं सहमत हूं सहमत हूं सहमत हूं सहमत हूं सहमत हूं सहमत हूं सहमत हूं सहमत हूं सहमत हूं सहमत हूं सहमत हूं सहमत हूं सहमत हूं सहमत हूं सहमत हूं सहमत हूं सहमत हूं सहमत हूं सहमत हूं सहमत हूं सहमत हूं सहमत हूं सहमत हूं सहमत हूं सहमत हूं सहमत हूं सहमत हूं सहमत हूं सहमत हूं सहमत हूं सहमत हूं सहमत हूं सहमत हूं सहमत हूं सहमत हूं सहमत हूं सहमत हूं सहमत हूं सहमत हूं सहमत हूं सहमत हूं सहमत हूं सहमत हूं सहमत हूं सहमत हूं सहमत हूं सहमत हूं सहमत हूं सहमत हूं सहमत हूं सहमत हूं सहमत हूं सहमत हूं सहमत हूं सहमत हूं सहमत हूं सहमत हूं सहमत हूं सहमत हूं सहमत हूं सहमत हूं सहमत हूं सहमत हूंपंकज सुबीरhttps://www.blogger.com/profile/16918539411396437961noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8367368115959607647.post-76927802256065246402008-09-08T16:51:00.000+05:302008-09-08T16:51:00.000+05:30radiovani ke maadhyam se YUNUS ji aap vo naayaab ...radiovani ke maadhyam se YUNUS ji aap vo naayaab cheezy sunva rahey hai...jo asaani se market me bhi nahi miltiin ab....post ke liye aabhaarपारुल "पुखराज"https://www.blogger.com/profile/05288809810207602336noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8367368115959607647.post-76533763137335835252008-09-08T16:19:00.000+05:302008-09-08T16:19:00.000+05:30बहुत अच्छे . बधाईबहुत अच्छे . बधाईशोभाhttps://www.blogger.com/profile/01880609153671810492noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8367368115959607647.post-77011292365925020662008-09-08T15:47:00.000+05:302008-09-08T15:47:00.000+05:30मीडिया गुरू आपकी बात का जवाब देना जरूरी है । याद र...मीडिया गुरू आपकी बात का जवाब देना जरूरी है । याद रहे कि रेडियोवाणी एक ऐसा मंच है जहां फिजूल के क़सीदे क़तई नहीं पढ़े जाते और जहां जरूरी होता है वहां तार्किक रूप से धज्जियां भी उड़ाई जाती हैं । खेद है कि जिस गाने पर आप ये टिप्पणी कर रहे हैं उसे आपने संभवत: एक बार भी ध्यान से नहीं सुना । अगर सुना है तो ज़रा सोचिए कि क्यों आशा जी को छोड़कर किसी और ने इन ठेठ साहित्यिक रचनाओं को हाथ तक नहीं लगाया । क्यों आशा जी ने जयदेव वाले इस अलबम में कमाली, मीरा, सूर, जयशंकर प्रसाद और महादेवी को चुना । अगर आशा भोसले ने इतनी ललित रचना को गाने का फैसला किया तो उनकी तारीफ की जानी चाहिए । <BR/>रही आपकी दूसरी बात । दोनों बहनों ने जितना कम बेसुरा गाया है उतना शायद किसी ने नहीं गाया । आपने थोड़े दिन पहले एक टी वी रियालिटी शो में आशा जी को सुना । एक बहुत पुराना गीत वो इतनी सहजता से गा रही थीं । एक सुर यहां वहां नहीं था । <BR/>तीसरी बात सलिल चौधरी की पुण्यतिथि पर हमने मिलकर <A HREF="http://shrota.blogspot.com" REL="nofollow">श्रोता बिरादरी</A> पर उनका गीत भी लगाया और उन्हें श्रद्धांजली भी दी । सलिल की बेटी अंतरा से मेरा लगातार संपर्क है और जल्दी ही रेडियोवाणी पर मैं अंतरा से की गयी लंबी बातचीत प्रस्तुत करने वाला हूं । <BR/>एक बात याद रहे कि देश भर में सचमुच अच्छे गायक मौजूद हैं और उनको मौके नहीं मिलते । तो क्या इसका मतलब है कि हम मशहूर गायकों को सुनना सुनाना ही बंद कर दें । <BR/>रेडियोवाणी पर इससे पहले की पोस्ट में जिन मनीष दत्त की आवाज प्रस्तुत की गई थी । उनके बारे में उसी पोस्ट की टिप्पणी में पढिये । <BR/>मनीष दा आज किस हाल में हैं एक पत्रकार भाई ने सूचना दी है और जल्दी ही हम उनके सहायतार्थ आयोजन करने जा रहे हैं । इससे ही साबित हो जाता है कि रेडियोवाणी मीडिया से प्रभावित मंच नहीं है । हम स्तरीय गीतों को प्रस्तुत करते हैं । <BR/>अगर हम मीडिया की धारा में बह रहे होते तो इन तकरीबन ढाई सौ पोस्टों में वो अनमोल नगमे नहीं होते जो कि यहां मौजूद हैं । <BR/>अगर किसी बड़े कलाकार को जन्मदिन पर शुभकामना देना और उसकी प्रतिभा को सराहना मीडियाबाजी है तो मुझे आपकी समझ पर तरस आता है ।Yunus Khanhttps://www.blogger.com/profile/12193351231431541587noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8367368115959607647.post-55632783386498247082008-09-08T15:06:00.001+05:302008-09-08T15:06:00.001+05:30मीडिया गुरू जी सूरज की तरफ मुंह करके थूकने वालों क...मीडिया गुरू जी सूरज की तरफ मुंह करके थूकने वालों का क्या होता है ये कहावता तो आप जानते ही होंगें । आपने शिकंजा शब्द तो लिखा मगर ये नहीं बताया कि इन दो के अलावा अन्य महान गायिकायें कौन हैं । शायद आप भी केवल बुराई करने के लिये बुराई करना चाहते हैं । खेद है आपकी बुद्धि पर ।रवि शर्मा एक जागरूक पत्रकारhttps://www.blogger.com/profile/14867244472378217822noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8367368115959607647.post-39558011169663914652008-09-08T15:06:00.000+05:302008-09-08T15:06:00.000+05:30मीडिया गुरू जी सूरज की तरफ मुंह करके थूकने वालों क...मीडिया गुरू जी सूरज की तरफ मुंह करके थूकने वालों का क्या होता है ये कहावता तो आप जानते ही होंगें । आपने शिकंजा शब्द तो लिखा मगर ये नहीं बताया कि इन दो के अलावा अन्य महान गायिकायें कौन हैं । शायद आप भी केवल बुराई करने के लिये बुराई करना चाहते हैं । खेद है आपकी बुद्धि पर ।रवि शर्मा एक जागरूक पत्रकारhttps://www.blogger.com/profile/14867244472378217822noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8367368115959607647.post-38930965333054807722008-09-08T12:42:00.000+05:302008-09-08T12:42:00.000+05:30पहले हम एक स्थान बनाते हैं फ़िर वहां किसी को बिठाते...पहले हम एक स्थान बनाते हैं फ़िर वहां किसी को बिठाते हैं. इस स्थान पर हमने पहले लता को बिठाया अब जब वह जगह खाली हुई तो हमने वहां आशा को बिठा दिया है. जब तक लता वहां बैठीं थीं तब तक आशा नम्बर दो ही थी. इस व्यवहार से अन्य सारी प्रतिभाओं को नकार देने जैसी स्थिति बन जाती है. यह नए जमाने के मीडिया द्वारा उपजाई खेती है जिसे सभी आँख मींच कर काट रहे है और धन्य हो रहे हैं. क्या इन दो बहनों ने कभी बेसुरा गाया ही नहीं ? और गाकर जो ऊँचाइयाँ उनहोंने हासिल की उसमे प्रमुख योगदान क्या उन संगीतकारों का नहीं है जिन्होंने धुनें बनाई और उनसे जैसा वे चाहते थे वैसा गवाया ? <BR/>इन दो बहनों पर रोज कसीदे पढ़े जाते हैं. इन गायिकाओं के फैन्स तक तो ठीक है मगर सम्पूर्ण फ़िल्म संगीत के आप जैसे रसिक भी ऐसे भेड़ झुंड में शामिल हो जाते हैं तो तकलीफ होती है. दो दिन पहले संगीतकार सलिल चौधरी को उनकी पुण्य तिथि पर किसी ने उन्हें याद नहीं किया. प्लीज बाज़ार वाले मीडिया की धारा में बहने से बचें. और इन दो बहनों से इतर भी गायिकाएं हैं जिन्होंने बाज़ार पर इनके शिकंजे के बावजूद अपनी काबिलियत को दर्ज कराया तथा हिन्दुस्तानी फ़िल्म म्यूजिक के गुलदस्ते को मोहक बनाया. शिकंजा शब्द मैंने जान बूझ कर लिखा है क्योंकि फ़िल्म क्षेत्र में यह बात छुपी नहीं है कि कैसे इन दोनों बहनों ने संगीतकारों पर अपना दबाव बनाए रखा. क्योंकि हमने उन्हें एक ऊंचा स्थान बनाकर उन्हें बैठा दिया है इसलिए वे यदि इस बात का खंडन करेंगी तो उससे वह सच नहीं हो जायेगा.Rajendrahttps://www.blogger.com/profile/01527849650038905232noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8367368115959607647.post-39870472084258039142008-09-08T11:01:00.000+05:302008-09-08T11:01:00.000+05:30बहुत सुन्दर!बहुत सुन्दर!Ashok Pandehttps://www.blogger.com/profile/03581812032169531479noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8367368115959607647.post-28752775876339310192008-09-08T08:56:00.000+05:302008-09-08T08:56:00.000+05:30अद्भुत ! अनमोल !! युनुस भाई ..... जैसे बोल, वैसी ...अद्भुत ! अनमोल !! युनुस भाई ..... जैसे बोल, वैसी धुन और वैसी ही आवाज़ .... क्या प्रस्तुति है. वाह ! अब आना पड़ेगा खजाना लूटने .... मजबूरी बढती जा रही है .....हद कर दी है आप ने ....अमिताभ मीतhttps://www.blogger.com/profile/06968972033134794094noreply@blogger.com