tag:blogger.com,1999:blog-8367368115959607647.post592567712146111678..comments2024-02-21T13:54:06.301+05:30Comments on रेडियो वाणी: उस्ताद अली अकबर ख़ां साहब के सत्यजीत राय से जुड़े अनुभवYunus Khanhttp://www.blogger.com/profile/12193351231431541587noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-8367368115959607647.post-78706269055652374472008-05-09T14:27:00.000+05:302008-05-09T14:27:00.000+05:30अली अकबर साहब का सरोदवादन अभी कुछ वर्ष पहले कोलकात...अली अकबर साहब का सरोदवादन अभी कुछ वर्ष पहले कोलकाता में हुए एक शानदार कार्यक्रम में सुना था . उन्हें सहारा देकर लाया गया था . पर एक बार जब उन्होंने सरोद छेड़ दिया तो उम्र का कोई प्रभाव नहीं वहां नहीं था और लोग घंटों मंत्रमुग्ध बैठे रहे. उन्होंने एक कम्पोज़ीशन बजाने के पहले कहा कि यह कम्पोजीशन बाबा को -- पिता बाबा अलाउद्दीन खां को -- बहुत प्रिय थी . <BR/><BR/>वे कैलीफ़ोर्निया से आए थे . अब शायद वहीं रहते हैं .Priyankarhttps://www.blogger.com/profile/13984252244243621337noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8367368115959607647.post-21722857571608745732008-05-08T17:54:00.000+05:302008-05-08T17:54:00.000+05:30सत्यजित रे ने 1961 में 'तीन कन्या' फ़िल्म से ख़ुद ...सत्यजित रे ने 1961 में 'तीन कन्या' फ़िल्म से ख़ुद ही अपनी फिल्मों का संगीत कंपोज करना शुरू कर दिया था. उन्हीं के शब्दों में " मैं अब प्रोफेशनल कम्पोजरों के साथ काम नहीं करता इसका कारण यह है कि मुझे ख़ुद को संगीत के खूब आईडिया आने लगे हैं और अधिकतर प्रोफेशनल कम्पोकर यह पसंद नहीं करते कि मैं उन्हें जरूरत से ज्यादा गाईड किया करूँ. <BR/>फ़िल्म संगीत के बारे में रे का मत था कि "यदि मैं ही दर्शक होता तो मैं फ़िल्म में संगीत का उपयोग नहीं करता...मुझे हमेशा लगता रहा है कि संगीत कोई बहरी तत्त्व है और (एक फिल्मकार को) उसके बिना अपना काम करना चाहिए, उसके बिना अपने को अभिव्यक्त करना चाहिए. <BR/><BR/>फ़िल्म में संगीत के अवदान पर रे यह महत्वपूर्ण टिपण्णी अली अकबर खान साहब की टिपण्णी के परिपेक्ष्य में समझी जा सकती है. मगर खान साहब का यह कहना कि रे शास्त्रीय संगीत के कद्रदान नहीं थे जरूर चौकाने वाली बात है.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8367368115959607647.post-15125574934620495262008-05-08T15:10:00.000+05:302008-05-08T15:10:00.000+05:30अपने फील्ड से इतर बहुत बड़ी बड़ी प्रतिभाओं से परिचय ...अपने फील्ड से इतर बहुत बड़ी बड़ी प्रतिभाओं से परिचय हुआ। आपको धन्यवाद। <BR/>सत्यजित रे के बारे में बहुत कुछ जानना चाहिये - ऐसा मन हो रहा है।Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8367368115959607647.post-18033614084569039372008-05-08T07:13:00.000+05:302008-05-08T07:13:00.000+05:30आपका अनूदित आलेख अली अकबर खान साहब की बातचीत ,सत्य...आपका अनूदित आलेख अली अकबर खान साहब की बातचीत ,सत्यजित रे पर पढ़कर अच्छा लगा | <BR/>फ़िल्म जलसाघर, कुछ वर्ष पहले ही देखने का अवसर मिला था |<BR/>सत्यजित रे सचमुच बहुआयामी प्रतिभा के धनी थे | उनकी लिखी किताब प्रोफेसर शोंकू के कारनामें (अंग्रेज़ी में अनुवाद ) पढ़कर आनंद आया था एवं ApuTrilogy जैसी सशक्त कृतियाँ भी बेमिसाल है|Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/12160634726989950280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8367368115959607647.post-55436851670958091392008-05-08T03:31:00.000+05:302008-05-08T03:31:00.000+05:30विजय भाई जी, नमस्ते -- जी हाँ मैँ उन्हीँ गुणी , सँ...विजय भाई जी, <BR/>नमस्ते -- जी हाँ मैँ उन्हीँ गुणी , सँत ह्र्दय कवि की बेटी हूँ !<BR/> महाप्राण ऋषितुल्य निराला जी की स्मृति को शत शत प्रणाम -<BR/><BR/>पँडित प्रदीप जी भी बिरले कवि थे !उन्हेँ भी शत शत प्रणाम -<BR/>आप से मिलकर प्रसन्नता हुई -<BR/>सादर, स स्नेह्,<BR/>-लावण्यालावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8367368115959607647.post-77214709199450420752008-05-07T22:34:00.000+05:302008-05-07T22:34:00.000+05:30ओहोहोहोहोहो! लावण्या जी, आप महान गीतकार पंडित नरेन...ओहोहोहोहोहो! लावण्या जी, आप महान गीतकार पंडित नरेन्द्र शर्माजी की बेटी हैं !!!!! मुझ नादाँ को इसका इल्म ही न था. अरसा पहले स्वर्गीय पंडित प्रदीपजी से उनके ही विले-पार्ले स्थित बंगले में उनके ही मुंह से सुना था कि नरेन्द्र जी महाप्राण निरालाजी के साथ गीत पढ़ा करते थे. और निराला जी उनके गीतों से ख़ुश होते थे. फिर भी आपका ब्लॉग मैं सिर्फ़ और सिर्फ़ आपकी वजह से पढ़ना चाहूंगा.<BR/><BR/>और इस जानकारी के लिए मैं यूनुस का शुक्रगुजार रहूगा. यह भी अनजाने में बस कमाल करता रहता है.<BR/>इंटरव्यू कुछ ज़्यादा मुख्तसर नहीं है यूनुस?विजयशंकर चतुर्वेदीhttps://www.blogger.com/profile/12281664813118337201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8367368115959607647.post-59262280704531166532008-05-07T20:07:00.000+05:302008-05-07T20:07:00.000+05:30खुदीतो पशन - Tapan Sinh's Film was named " क्षुधि...खुदीतो पशन - Tapan Sinh's Film was named <BR/> " क्षुधितो पाषाण " मतलब<BR/> प्यासी चट्टान / या प्यासा पत्थर -<BR/>nice write up + a good interview <BR/>उस्तार अली अकबर खां ने, 'आंधियां' में संगीत दिया था -<BR/>आँधिया " फिल्म के गाने मेरे पापा जी पँडित नरेन्द्र शर्मा ने ही लिखे --जिसका एक गीत है लता दीदी का गाया हुआ -<BR/> " है कहीँ पर शादमामी और कहीँ नाशादियाँ आतीँ रहतीँ हैँ जीवन मेँ सदा यूँ सुख दुख की आँधियाँ " <BR/>-- लावण्यालावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.com