tag:blogger.com,1999:blog-8367368115959607647.post1595138970375273015..comments2024-02-21T13:54:06.301+05:30Comments on रेडियो वाणी: बड़प्पन की प्रतिमूर्ति थे पं. भरत व्यास: नरहरि पटेलYunus Khanhttp://www.blogger.com/profile/12193351231431541587noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-8367368115959607647.post-36249464354451717412011-07-08T19:20:21.489+05:302011-07-08T19:20:21.489+05:30पंडित भरत व्यास के लिखे सारे गीत मुझे बहुत पसन्द ...पंडित भरत व्यास के लिखे सारे गीत मुझे बहुत पसन्द है। लेकिन आज तक इस लाईन पर कभी ध्यान ही नहीं दिया।<br />बहुत अच्छी पोस्ट।सागर नाहरhttps://www.blogger.com/profile/16373337058059710391noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8367368115959607647.post-90978405245081001112011-07-07T23:04:19.971+05:302011-07-07T23:04:19.971+05:30पंडित भरत व्यास ने फिल्मों में हिंदी गीतों का झंडा...पंडित भरत व्यास ने फिल्मों में हिंदी गीतों का झंडा लहराया. इतने मधुर, इतने प्यारे गीत कि जिसे भी सुनो वही दिल को छू जाये. यही नहीं भारत व्यास की निर्भीकता का एक सर्न्स्मरण मुझे याद आ रहा है. वर्षों पहले लाल किले के प्रांगण में एक वृहत कवि सम्मलेन का आयोजन था. उसमे तत्कालीन रक्षा मंत्री यशवंत राव चव्हाण भी उपस्थित थे. और सञ्चालन दूसरे व्यासजी पंडित गोपाल प्रसाद व्यास के हाथों में था. भारत व्यास जी जब सुनले बापू ये पैगाम, मेरी चिट्ठी तेरी नाम पढ़ना शुरू किया तो कई उपस्थित जनों के भ्रकुतियाँ चढ़ने लगीं कुछ इशारे भी हुए पर भारत व्यास जी ने अपने निर्भीक स्वर में कविता पढ़ना जारी रखा. जिन्होंने वह कवि सम्मलेन देखा है वे जानते हैं कि कैसे कुछ लोग उसी समय बहिर्गमन कर गए थे. फ़िल्मी गीतों को जिन थोड़े से हिंदी गीतकारों ने साहित्यिक संस्कार दिए उनमे भारत व्यास का स्थान सर्वोपरि है.रमेश तैलंगhttps://www.blogger.com/profile/05932541742039354339noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8367368115959607647.post-6773460794314939932011-07-06T21:21:00.649+05:302011-07-06T21:21:00.649+05:30प. भारत व्यास जी के कई गीत मेरे भी प्रिय हैं. इनकी...प. भारत व्यास जी के कई गीत मेरे भी प्रिय हैं. इनकी स्मृति साझी करने का आभार. इस महानात्मा को मेरी भी विनम्र श्रद्धांजली.अभिषेक मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/07811268886544203698noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8367368115959607647.post-74379376628256241652011-07-06T08:35:34.625+05:302011-07-06T08:35:34.625+05:30काव्यप्रतिभा के धनी व्यक्तित्वों के परिचय का आभार।...काव्यप्रतिभा के धनी व्यक्तित्वों के परिचय का आभार।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8367368115959607647.post-47686231499799049442011-07-06T08:35:05.520+05:302011-07-06T08:35:05.520+05:30किस पारस से सोना ये टकरा गया ...ॐ
आदरणीय बापूजी क...किस पारस से सोना ये टकरा गया ...ॐ <br />आदरणीय बापूजी की कलम से पण्डित भारत व्यास के सुप्रसिध्ध गीत मे प्रयुक्त <br />किस पारस से सोना ये टकरा गया - के सन्दर्भ मे पढ़ा तो सोच रही हूँ <br />बिलकुल सही कहा आदरणीय श्री नरहरी जी ने ...पारस , लोहे से टकराए <br />तब सोना बनता है - यही जनोक्ति है -- पर यहां गीत मे सोना लिया गया <br />ये , रचनाकार का फिल्म निर्माता से समझौता , कहलायेगा -- <br />एक और गीत मे भी ऐसा ही हुआ है <br />गायिका बारबरा स्ट्राईसेंड का गाया ये गीत बहुत प्रसिध्ध हुआ जिस पे <br />किसी ने प्रश्न किया था के ये क्या मतलब हुआ ? <br />" people who needs people " <br />( meaning - > people who need other people all the <br />time can not be best kind of people ) <br />तब बारबरा ने यही कहा के, ' अब जैसा गा दिया वही प्रसिध्ध हो गया सो अब क्या बदलें ? ' <br />ऐसे ही , पन्ने जुड़ते रहें ये सद आशा है <br />स स्नेह - सादर ,<br /> - लावण्यालावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8367368115959607647.post-92039219350974041172011-07-05T00:08:18.332+05:302011-07-05T00:08:18.332+05:30पटेलजी के अनुभव में एक सन्देश छिपा है जो हमें समझ ...पटेलजी के अनुभव में एक सन्देश छिपा है जो हमें समझ आ जाए तो अच्छा हो...गीत मधुर मनभावनमीनाक्षीhttps://www.blogger.com/profile/06278779055250811255noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8367368115959607647.post-42475352494714000582011-07-04T21:47:52.802+05:302011-07-04T21:47:52.802+05:30एक शिखर पुरुष पंडित भरत व्यास जी के बारे में नरहरि...एक शिखर पुरुष पंडित भरत व्यास जी के बारे में नरहरि पटेल जी का अनुभव सुनकर उनकी महानता का पता चलता है. <br />यह गीत तो सोने पे सुहागा है.डॉ. अजीत कुमारhttps://www.blogger.com/profile/10047691305665129243noreply@blogger.com