संगीत का कोई मज़हब, कोई ज़बान नहीं होती। 'रेडियोवाणी' ब्लॉग है लोकप्रियता से इतर कुछ अनमोल, बेमिसाल रचनाओं पर बातें करने का। बीते नौ बरस से जारी है 'रेडियोवाणी' का सफर।

Saturday, July 1, 2017

शीतल मंजुल कोमल तेरा आंचल मेरी सुधियों में लहराया... चरित्रहीन सीरियल का शीर्षक गीत

पिछले दिनों फेसबुक पर मैंने अंतरा चौधरी की चर्चा की अपनी सीरीज़ 'वक्‍त की धुंध' में। उन आवाज़ों की बातें इस सीरीज़ में की जा रही हैं जो वक्‍त की धुंध में खो गयीं। जब अंतरा के गाने मैंने वहां लगाये, जिनमें 'काली रे काली रे' और अन्‍य गाने शामिल थे, तो सबने पुराने ज़माने के टीवी सीरियत 'चरित्रहीन' का टाइटल सॉन्‍ग बहुत याद किया। इसलिए आज 'रेडियोवाणी' पर मैं वही गीत लेकर आया हूं।


शरतचंद्र के उपन्‍यास पर आधारित 'चरित्रहीन' पर आधारित येे  धारावाहिक हम सबकी स्‍मृतियों में कायम है। उस दौर के टीवी सीरियलों के बारे में खोज तो ये लिंक मिली। शायद आप सबके काम आ जाये, पुरानी यादों को दोहरा सकें आप। 


बहरहाल.. चरित्रहीनका ये टाइटल-सॉन्‍ग सलिल चौधरी ने बनाया था, इसे कृष्‍ण राघव लिखा था और आवाजें थीं सैकत मित्रा और अंतरा चौधरी की।  

serial: charitraheen
singer: saikat mitra, antara chowdhury
lyrics: krishna raghav
music: salil chowdhury
ये रहे इस गाने के बोल।
शीतल मंजुल कोमल, तेरा आँचल
मेरी सुधियों में लहराया
झल-मल झल-मल
और एक शाम मैंने तेरे नाम लिख दी
हौले, हौले-हौले; पुरवा डोले, पुरवा डोले
ढलते दिन की अरुणाई में सपने घोले; सपने घोले
सपने घोले
और एक शाम मैंने तेरे नाम लिख दी
पंछी एक बिचारा, टूटा हारा, टूटा हारा
सुने नभ में उड़ता फ़िरता, मारा-मारा
मारा-मारा
और एक शाम मैंने तेरे नाम लिख दी
शीतल मंजुल कोमल, तेरा आँचल
मेरी सुधियों में लहराया
झल-मल झल-मल

और एक शाम मैंने तेरे नाम लिख दी
इस गानेे का एक संस्‍करण अंतरा चौधरी ने अपने अलबम 'मधुर स्‍मृति' में गाया था। वो भी सुन लीजिए


इसी सीरियल का एक और गीत हेमंंती शुक्‍‍‍ला की आवाज़़ मेंं

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