Friday, April 8, 2016

रघुवर की सुध आई- कुमार गंधर्व की एक दुर्लभ रचना

फेसबुक पर आज जानी-मानी गायिका और पंडित कुमार गंधर्व की सुपुत्री कलापिनी कोमकली ने लिखा है--

''आज वर्ष प्रतिपदा यानी 'गुड़ी पाड़वा' है। संयोगवश आज आठ अप्रैल है जो मेरे बाबा पूज्य कुमार जी का जन्‍म‍-दिवस भी है। देवास में इस संदर्भ में आयोजन भी है। लेकिन मन भारी है। नमन अब केवल मन में और दीवार पर लगी तस्‍वीरों में। हमारी आई पूज्‍य वसुंधरा जी भी आशीर्वाद देने के लिए हमारे बीच नहीं हैं। वो बिना चूके कड़वे नीम के फूलों का बेहद स्वादिष्‍ट रस बनाकर प्रसाद बनाती थीं। बाबा भी इस रस को घर आये हर व्‍यक्ति को आग्रह से चखने को कहते थे।''

ये कितनी मार्मिक याद है बाबा की। कलापिनी जी ने इस बात के साथ ये दुर्लभ तस्‍वीर भी शेयर की है। जिसे हम साभार प्रस्‍तुत कर रहे हैं।


बाबा कुमार गंधर्व की दिन भर विकल याद आती रही। मध्‍यप्रदेश के दिनों में जिस भी शहर में रहे आकाशवाणी का हर केंद्र कुमार गंधर्व को सबेरे-शाम बजा करते थे। उनकी आवाज़ हमारे संस्‍कारों में बसी है। आज फेसबुक पर एक और पोस्‍ट नज़र आयी मित्र दीपक सबनीस की। उन्‍होंने कुमार जी की 92वें वीं जयंती पर एक भजन शेयर किया--'रघुवर की सुधि आई'। जाने क्यों मुझे एक पुरानी बात याद आयी। दीपक भाई ने ये कन्‍फर्म कर दिया कि ये वही भजन है। वो पुरानी बात आप इस पोस्‍ट पर पढ़ सकते हैं। संक्षेप में बतायें तो दीपक सबनीस जी की मां की अंतिम इच्‍छा थी कि वो ये भजन सुनें। पर किसी तरह भी ये उपलब्‍ध नहीं हो पाया था। उनके जाने के बाद ही हम इस रचना को खोज पाए।

बहरहाल...तब से अब तक ये भजन 'रेडियोवाणी' पर पोस्‍ट ही नहीं की गयी थी। इसलिए हमने सोचा कि आज गुडी-पाडवा के दिन और कुमार जी की याद के दिन इस भजन से रेडियोवाणी की 'नयी निरंतरता' की शुरूआत की जाए। देखते हैं इस पारी में हम कितने नियमित हो पाते हैं। तो चलिए सुनते हैं कुमार जी की आवाज़ में ये बहुत ही दुर्लभ भजन।

Bhajan: raghuvar ki sudh aayi
Singer: Pandit Kumar Gandharv
Duration: 11:46



रघुवर की सुध आई
आज मुझे रघुवर की सुध आई
आगे-आगे राम चलत हैं
पीछे लछमन भाई।
जिनके पीछे चलत जानकी
बिपत सही ना जाई।
मुझे रघुवर की सुध आई।।
सावन गरजे, भादो बरसे
पवन चलत पुरवाई।
काई वृक्ष करे भी जतन
होंगे राम लछमन भाई।।
राम बिना मेरी सूनी अजोध्‍या
लछमन बिन ठकुराई
सिया बिना मेरी सूनी रसोई
महल उदासी छाई।।

भजन की इबारत में त्रुटि हो सकती है। सुझाव दें। हम उसे सुधार लेंगे।
शुक्रिया प्रदीप प्रभु, क्षितिज माथुर और विकास जुत्‍शी का, जिन्‍होंने हमें ये भजन सन 2010 में उपलब्‍ध करवाया था।

पंडित कुमार गंधर्व को हमारा नमन।

'रेडियोवाणी' पर कुमार गंधर्व की अन्‍य रचनाएं सुनने के लिए यहां क्लिक कीजिए। 
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4 comments:

  1. शानदार! गुडी पड़वा, चैत्र नव वर्ष की बधाई के रूप में इससे अच्छा क्या। धन्यवाद।

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  2. शानदार! गुडी पड़वा, चैत्र नव वर्ष की बधाई के रूप में इससे अच्छा क्या। धन्यवाद।

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  3. "होंगे राम लछमन भाई .... " के बाद एक पंक्ति गायब है ...."दोनों भाई ....". बाकी अद्भुत .... दिव्य ...... !

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  4. कल आकाशवाणी के समाचार सेवा प्रभाग ने कहा आज कुमार गर्धब का जन्मदिवस है।

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