Sunday, September 20, 2009

धार धार बरसे- छाया गांगुली फिल्‍म थोड़ा-सा रूमानी हो जाएं

अनेक कारणों से 'थोड़ा सा रूमानी हो जाएं'  हमारी पसंदीदा फिल्‍म रही है । इस समय हम पुरानी पोस्‍टों की लिस्‍ट में घुसकर पुराना संदर्भ निकालने के 'मूड' में नहीं हैं । पर मुमकिन है  कि 'रेडियोवाणी' पर इसके कुछ गीत मौजूद हों । बल्कि हमें पूरा यक़ीन है । हमें लगता है कि पुरानी पोस्टों के मोह को भुला कर आगे बढ़ने में ही भलाई है । ख़ैर....बारिश के दिनों से ही हम 'रेडियोवाणी' पर इस गाने को चढ़ाना चाहते थे । छाया गांगुली की गाढ़ी आवाज़ में बारिश कुछ और सोंधी लगती । पर कमबख्‍़त मौसम ने वो दग़ा दिया है कि बंबई शहर में पानी की किल्‍लत हो गयी । ऐसे में 'धार-धार बरसे' आसमान से बरसती बूंदों पर क़तई लागू नहीं होता । लेकिन 'जिया जब झूमे सावन है' की तर्ज़ पर बे-मौसम बारिश का गीत सुनिए । और इसलिए सुनिए कि इसे कभी भी सुना जा सकता है ।




छाया जी की आवाज़ एक तिलस्‍म है । और ये तिलस्‍म हम पर तब 'तारी' हो गया था जबpost-6366-1184879643 हमने पहली बार 'गमन' का 'रात भर आपकी याद आती रही' सुना था । उसके बाद हमें क्या पता था कि हमें उनका 'सहकर्मी' होने का सौभाग्‍य मिलेगा । सो वो भी मिल गया । उनके सान्निध्‍य में बहुत कुछ सीखा । थोड़ा ज्‍़यादा हो जाएगा पर हमें तो लगता है कि मुआ पत्‍थर भी छायाजी के स्‍टूडियो में मौजूद हो तो वो भी थोडा़ सांगीतिक तो हो ही जायेगा । बहरहाल अमोल पालेकर की इस फिल्‍म को सलाम करते हुए हम आपको वो गीत सुनवा रहे हैं, जो बड़े दिनों की खोज के बाद मिला है । इंटरनेट के तमाम अड्डों पर एक अरसे तक पता नहीं क्‍यों इस गाने का जिक्र नहीं दिखा । हो सकता है कि हमारी कोशिशें ही 'कम' रह गयी हों ।


इस गाने को संगीतकार भास्‍कर चंदावरकर की याद को समर्पित किया जा रहा है जिनका हाल ही में निधन हुआ है । गीतकार के बारे में पक्‍की जानकारी नहीं है । हमारी स्‍मृति कहती है कि ये गीत वसंत देव का है । पर उनका नहीं हुआ तो फिर कमलेश पांडे का होगा । पर फिलहाल हम इसे वसंत देव की रचना मानकर चल रहे हैं ।

अगर आप खु़शनसीब हैं तो एच.एम.वी. का जारी किया कैसेट या सी.डी. आपको मिल सकता है । ना मिले तो इंटरनेट जिंदाबाद ।
song-dhar dhar barse
singer-chaya ganguli
music-bhaskar chandavarker
film-thoda sa rumani ho jaayen
duration- 3’ 47’’

धार-धार बरसे, तार-तार बरसे
बरसों से बारिश का इंतज़ार बरसे ।
जुग बीते, नहीं आया सावन
प्‍यासी आंखें तरसा है मन
जलती सांसें तपता है तन
नयनों के मेघा तो कई बार बरसे
धार-धार बरसे ।।
पुरवाई की पाती आई
रिमझिम ने शायद भिजवाई
सोच रही बेकल तन्‍हाई
अब के बरस तो प्‍यार-प्‍यार बरसे
धार-धार बरसे  ।।





गाना यहां सुनिए

https://gaana.com/song/dhar-dhar-barse 


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6 comments:

  1. बरसों से बारिश का इंतज़ार बरसे..
    गज़ब हैं बोल
    और आवाज़ तो यूँ ki .. बूँदें हैं ...कोहरा है ..ठहरा हुआ मौसम और ढेर सा सोंधापन

    आभार इस गीत के लिए

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  2. आवाज़ भी सधी है और बोल भी उम्दा!

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  3. युनूस भाई छायाजी मेरी उस फ़ेहरिस्त में शुमार हैं जिसमें उन कलाकारों के नाम हैं जिन्हें अपना ड्यू नहीं मिला. कैसी प्यारी आवाज़ है उनकी...लगता है जैसे किसी वादी में किसी बिरहिनि ने सुर छेड़ दिया है. मैं गमन में उनकी पहली आमद से ही उनका फ़ैन हूँ ...वह नज़्म न जाने क्यों भीतर तक छूती है. मुज़फ़्फ़र अली के एलबम में भी उन्होंने क्या ख़ूब गाया है. जयदेवजी को जब लता अलंकरण मिला था तब वे इन्दौर पहली बार तशरीफ़ लाईं थीं बाद में कविता कृष्णमूर्ति को जब लता सम्मान मिला तब भी वे आईं थीं ..उनकी पनीली आँखों से भरा चेहरा हमेशा ज़हन में बना हुआ है.सोचता हूँ कभी किसी आयोजक से इसरार कर के कहूँ कि एक बार छायाजी को इन्दौर बुलाया जाए और उन्हें तसल्ली से सुना जाए.उन्हें मेरा नमस्कार दीजियेगा.

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  4. प्यारे शब्दों के साथ सुरीली आवाज में बरसात का आनंद आ गया। और यहाँ आकर लगता है एक दिन सुकून से गुजर गया। साथ ही आपके ब्लोग की एक गली से दूसरी गली में जाकर संगीत सुनना, बस मन करता है इन्ही गलियों में घूमता रहूँ।

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  5. बरखा नहीं फिर भी धार धार बरसे ...छाया जी की कुछ अलग सी आवाज ने बारिश का शमा बांध दिया है..!!

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  6. धार-धार बरसे, तार-तार बरसे
    बरसों से बारिश का इंतज़ार बरसे

    kya baat hai bahut khoob lutf aa gaya is geet ko sun kar

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http://www.google.com/transliterate/indic/