लिखीं । 'मधुराष्टकम' उन्हीं में से एक है ।
तो आईये पंडित जसराज के स्वर में 'मधुराष्टकम' सुनते हैं ।
ये रचना जसराज जी के अलबम 'गोविंद माधव माधवेति'
में संकलित है । वैसे अगर आप 'यू-ट्यूब' पर ही खोजें
तो एम.एस.सुब्बलक्ष्मी, विजय येसुदास, येसुदास से लेकर अन्य कई गायकों के स्वर में आपको 'मधुराष्टकम' मिल जाएगा । सुनिए 'मधुराष्टकम' ।
एक और प्लेयर ताकि सनद रहे ।
ये रहा मधुराष्टकम का संस्कृत पाठ एवं उसका अनुवाद । 'डाकसाब' के सौजन्य से ।
कल अचानक 'रेडियोवाणी' के स्टैटकाउंटर पर नज़र पड़ी तो देखा कि आंकड़ा एक लाख एक हज़ार के ऊपर पहुंच चुका है । जे देखिए ।
पता नहीं क्यों इस आंकड़े को देखकर अच्छा लग रहा है । हालांकि 'रेडियोवाणी' पर हम जाने किस जुनून और किस ख़ब्त में बस 'अपने लिए' लिखे चले जा रहे हैं । ये अलग बात है कि 'अपने लिए' हमारा लिखा कभी-कभी आप सबको 'अपने लिये' लिखा लगता है । चलिए अच्छा है, हम सब अपने-अपने मुग़ालतों में जीते रहें । शुक्रिया ।
युनुस भाई प्लेयर नहीं चला।
ReplyDelete"हालांकि 'रेडियोवाणी' पर हम जाने किस जुनून और किस ख़ब्त में बस 'अपने लिए' लिखे चले जा रहे हैं ।"
ReplyDeleteYunus bhai u r doing a matchless job for the cause of good music. It is not necessary that ur fans should alvez comment , u have a following of a lot of silent admirers like me. In the realm of hindi blogworld very few blogs have a feel of pure 'positivity' and ur blog is one of them . Please continue .......
दिनेश जी इसे ठीक कर दिया है । दो प्लेयर हैं दोनों चल रहे हैं ।
ReplyDeleteयुनुस जी पहले वाला प्लेयर खूब बज रहा है। दूसरा प्लेयर मेरे यहाँ दिखाई नहीं दे रहा है। रात को फायरफॉक्स अपडेट हुआ है। लगता है उसी के कारण कुछ समस्या आ रही है।
ReplyDeleteमधुराष्टक में मधुरता है। यहाँ तक कि शोभा ने इस बीच कॉफी बना कर दी है। उस में भी चीनी दुगनी हो गई है।
वाह, कहीं से शंकराचार्य का भजगोविन्दम तलाशो मित्र!
ReplyDeleteसुन्दर - मधुर पोस्ट .... आभार .....ये "ख़ब्त " ही जिलाए है हमारे ब्लाग्स ..वरना कुछ धरा नही है इसमे ....
ReplyDeleteऔर ये भी आप ही कर सकते हैं प्लीज प्लीज प्लीज किशोरी अमोनकर जी के स्वर में शिव तांडव स्तोत्र सुनवा दीजिये जीवन भर आभारी रहूंगा । एक लाख होने की बधाई ।
ReplyDeleteअति सुन्दर, अति मधुर
ReplyDeleteखोज रहा हूँ कहीं से डाउनलोड मिल जाये तो आईपॉड में रख लूं
हिन्दुस्तान में streaming music सुनना थोडा सा कठिन होता है कभी कभी
मधुराष्टक सुन मन श्रीनाथद्वारा,द्वारिका और वृंदावन की यात्रा कर आया.जय श्रीकृष्ण.
ReplyDeleteआनन्द आ गया । बधाई हेतु शब्द नहीं हैं युनुष जी ।
ReplyDeleteयूनुस भाई, लखपति होने की बधाई. कामना है कि आप शीग्र ही करोड़पति, अरबपति हों.
ReplyDeleteपण्डित जसराज जी की तो बात ही अलग है. मेरे पास इसी रचना की बहुत खूबसूरत वीडियो रिकॉर्डिंग है.
"कहीं से शंकराचार्य का भजगोविन्दम तलाशो मित्र!" - ज्ञानदत्त पाण्डेय
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मूल संस्कृत-पाठ और हिन्दी अनुवाद तो ख़ैर हम भी दे सकते हैं । बकिया इसका ऑडियो-वीडियो वग़ैरह ढूँढने के लिये आपने एकदम सही मुर्गे को पकड़ा है ।
बहुत-२ शुक्रिया यूनस भाई , मंत्रमुग्ध कर दिया आपने !!
ReplyDeleteपहले तो एक लाख के आंकड़े को छूने की हार्दिक बधाई। दरअसल ये मुकाम एक संतोष दिलाते हैं कि हम सही राह पे हैं। पंडित जसराज की यह भक्ति रचना सुनवाने का आभार।
ReplyDeleteऔर अंत में हमारी एक सलाह या यूँ कहिए की हुक्म मानिए। आपने अपने चिट्ठे पर पिछली पोस्ट पर जाने वाला जुगाड़ हटाया क्यूँ है भाई। अरे ब्लागर ने Archive यूँ ही डिफाल्ट में नहीं रखा और आपने तो उसे भी उड़ा दिया। अब फुरसत में आदमी दो तीन पोस्ट एक साथ पढ़ने की इच्छा रखे तो क्या करे ?
बहरहाल अगली पोस्ट तक इस आदेश की तामील हो जानी चाहिए वर्ना..
आभार !
ReplyDeleteaapki post, jasaraj ji ki aawaaz aur bhaav, aur shree vallabhacharya ji ki lekhan shaili...
ReplyDeleteakhilam madhuram...
dhanyavaad...
वाह वाह! आपकी घुमक्कडी तलाश ऐसे ही अनमोल रत्नों को निकालती रहे।
ReplyDeleteमधुराष्टक का आभार । संतोष होता है इन्हें सुनकर ।
ReplyDeleteवाह युनूस भाई! आनंद आ गया मधुराष्टम सुनकर। लखपति होने की बधाई हो। वैसे भी ये मधुर है आैर पंडित की आवाज का क्या कहना आैर जन्माष्टमी अभी ताजी ताजी गई ही है। प्रस्तुति पूर्णतया सामयिक है। भजगोविन्दम के चाहने वालों में मेरा भी नंबर है।
ReplyDeleteशाम ढले जमना किनारे00000का अभी तक कुछ नहीं हुआ है उसे भी फुर्सत में देखियेगा।
ज्ञानदत्त पाण्डेय जी यह रही एम एस सुब्बलक्ष्मी के स्वर में भजगोविन्दम् -
ReplyDeletehttp://www.youtube.com/watch?v=r4FUQxn4CnY
रात एक बजकर बयालीस मिनट हुए हैं। आनन्द की सीमा का बखान नहीं किया जा सकता । मधुराधिकपति का अखिल मधुर है। हृदय से आभार युनुस भाई।
ReplyDeleteShaandaar charchaa.
ReplyDelete( Treasurer-S. T. )
कमेन्ट्स/टिप्पणियों का स्टैटकाउन्टर भी देख लें ज़रा !
ReplyDeleteहमारा यह वाला तेईसवाँ है ।
इससे ऊपर आज तक और किस-किस पोस्ट में गया है , चेक करके हम लोगों को भी तो बताएँ; "ताकि सनद रहे" ।
एक लाख की बधाई ।
ReplyDeletemy email id is imjoshig@gmail.com
ReplyDeleteक्या आप मुझे मधुराष्टकम डाउनलोड के लिए उपलब्ध करा सकते हैं। कोई लिंक भी हो तो मेल कर दें।
आभारी रहूंगा।
("क्या आप मुझे मधुराष्टकम उपलब्ध करा सकते हैं।" - सिद्धार्थ जोशी )
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अपना मेल बॉक्स चेक करें जरा !
"मधुराष्टकम्" मेरी पसंदीदा संस्कृत-रचनाओं में से है और पण्डितजी की जादुई आवाज़ में इसे सुनना वाक़ई मंत्रमुग्ध करने वाला अनुभव है। इस उम्दा प्रस्तुति और साथ में मतलब भी देने के लिए शुक्रिया।
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