Sunday, January 25, 2009

पप्‍पा जल्‍दी आ जाना: फिल्‍म तक़दीर ।।

हमारे यहां फिल्‍मी-गीतों का मतलब होता है प्‍यार के इज़हार, इक़रार या बेफवाई के गीत । इसके अलावा बाक़ी गीतों की संभावनाएं ज़रा कम ही रही हैं। ख़ासतौर पर बच्‍चों की भावनाओं को समझते हुए उनके मन के भीतर झांककर बहुत कम गीत लिखे गए हैं । और ऐसे गीत मशहूर भी हुए हैं । आज अचानक ही मुझे याद आ रहा है फिल्‍म तकदीर का गीत । ये फिल्‍म सन 1967 में आई थी, निर्देशक थे ए.सलाम । आनंद बख़्शी ने इस फिल्‍म के गीत लिखे थे और संगीतकार थे लक्ष्मीकांत प्‍यारेलाल । मुझे पता है कि ये गीत कहीं ना कहीं आप सभी के मर्म तक पहुंचेगा ।

इस गाने को सुनकर मुझे अपने बचपन का वो हिस्‍सा ज़रूर याद आता है जब पिता दूसरे शहर जाते थे तो हमारे मन का एक मासूस हिस्‍सा किस क़दर विव्‍हल और उदास हो जाता था । ऐसा सभी के साथ होता रहा है । आनंद बख़्शी वो गीतकार हैं, जिन्‍होंने 'घुंघरू की तरह बजता रहा हूं मैं' या 'जिंदगी के सफ़र में गुज़र जाते हैं जो मकाम' जैसे दिव्य-फिल्मी-गीत लिखे हैं । उनके लिखे गीतों की कितनी मिसालें दी जाएं ।
बहरहाल चलिये गाना सुना जाए । लता मंगेशकर, मीना पत्‍की, सुलक्षणा पंडित और इला देसाई की आवाज़ें । गाने की अवधि है कुल पांच मिनिट । ये गीत मैं अपने पिता को समर्पित कर रहा हूं ।




सात समंदर पार से गुडियों के बाज़ार से
पापा जल्‍दी आ जाना नन्‍हीं सी गु‍डि़या लाना
तुम परदेस गये जब से, बस ये हाल हुआ तब से
दिल दीवाना लगता है, घर वीराना लगता है
झिलमिल चांद-सितारों ने, दरवाज़ों ने
सबने पूछा है हमसे, कब जी छूटेगा हमसे
कब होगा उनका आना,
पप्‍पा जल्‍दी आ जाना ।।
मां भी लोरी नहीं गाती, हमको नींद नहीं आती
खेल-खिलौने टूट गए, संगी-साथी छूट गये
जेब हमारी ख़ाली है, और आती दीवाली है
हम सबको ना तड़पाओ, अपने घर वापस आओ
और कभी फिर ना जाना,
पप्‍पा जल्‍दी आ जाना ।।
ख़त ना समझो तार है ये, काग़ज़ नहीं है प्‍यार है
ये दूरी और इतनी दूरी, ऐसी भी क्‍या मजबूरी
तुम कोई नादान नहीं, तुम इससे अंजान नहीं
इस जीवन के सपने हो, एक तुम्‍हीं तो अपने हो
सारा जग है बेगाना,
पप्‍पा जल्‍दी आ जाना ।।

17 comments:

  1. आपने भी क्या गाना सुना दिया युनुस जी..
    मैं जितना नौस्टैल्जिक होने से बचना चाहता हूँ उतना ही कहीं न कहीं से नौस्टैल्जिक होने का बहाना तैयार मिलता है..

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  2. बहुत गहरा उतर जाता है, जब भी इसे सुनता हूँ.

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  3. बहुत ही मधुर गाना सुनवा दिया आपने। बहुत खूब।

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  4. यह पढ़/सुन अपना बचपन याद आ गया - जब पिताजी के जाने पर उदासी महसूस किया करते थे।

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  5. आप सभी को 59वें गणतंत्र दिवस की ढेर सारी शुभकामनाएं...

    जय हिंद जय भारत

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  6. पप्पा जल्दी आ जाना .......
    आप तो ऐसा गीत सुना कर मन प्रसन्न कर दिया .

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  7. yaad hai Yunus Ji aap ko,ek baar is gane ki request ki thi aap se...bahut kuchh kahan hai is gane par ...!

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  8. युनुस भाई,
    आनन्द आ गया इस गीत को सुनकर। अब की फ़िल्मों में बच्चों को बडा ही समझ लेते हैं। हम भी साथ में ये गीत गुनगुना रहे हैं।

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  9. युनूस भाई आनंद आ गया सुनकर

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  10. गणतंत्र दिवस की आपको ढेर सारी शुभकामनाएं.

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  11. बहुत अच्छा गाना है. यह फरीदा जलाल पर फिल्माया गया था और यह उनकी पहली फ़िल्म थी. इसमे वह भारत भूषन और शालिनी की बेटी बनी थी. शालिनी ने इस एक ही फ़िल्म में काम किया.

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  12. हम्म बड़ा प्यारा गीत है, फिर से इसकी याद दिलाने का शुक्रिया !

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  13. हमारे पिताजी जन्‍मना अपंग-अपाहिज थे। यात्राएं उनके लिए सम्‍भव नहीं थीं। दादा ने हमारे पिताजी की भूमिका निभाई। वे खूब यात्राएं करते थे और यथा सम्‍भव हमारे लिए कुछ न कुछ लाते ही थे।
    आपने वह सब याद दिला दिया।
    शुक्रिया युनूस भाई।

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  14. ये गीत कहीं ना कहीं हमारे अतीत की यादों में स्थाई रूप में बसा है, क्योंकि इसमें संवेदनाओं और भावनाओं का एक ट्रेजिक अंडरटोन है.ये हमें अपनों की याद दिलाकर रुलाता भी है, और सुखाता भी है. कभी कभी ये अश्रुओं का सैलाब , तो कभी कभी आत्मसंतुष्टी का भाव लाता है.

    बेहद बेहद शुक्रिया.

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  15. १९७४ की बात है जब पापा कुछ समय के लिए लन्दन गए थे. तब गीत का मुखड़ा हम लोग हर चिठ्ठी में लिख कर भेजते थे और जाते समय हम और हमारी बहन ने इसे तैयार करके सब के सामने गाया था. भावनात्मक लगाव है इस गीत के साथ. सुनवाने का शुक्रिया

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  16. बचपन मे अक्सर यही गीत गाया करते थे जब डैडी टूर पर जाते थे...लेकिन अब बार बार गाने पर भी वे नहीं लौटेगे..बस गीत सुनकर मन भीग सा जाता है...

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