Friday, January 23, 2009

ओ रे कन्‍हैया किसको कहेगा तू मैया--किशोर कुमार की आवाज़

कुछ गाने वाक़ई ग़ायब हो जाते हैं । ये गीत पहले रेडियो पर बहुत सुनाई देता था । पर आज ये ग़ायब है । ये तो याद भी नहीं आता अगर ममता जी अपनी गुनगुनाहट से इसे याद ना दिलातीं । कल जब वो इस गाने को 70056744गुनगुना रही थीं तो समझिये कि हम विकल हो गये । कहीं से भी इस गाने को खोजा, झाड़ा पोंछा और ले आए हैं आपके लिए । मुझे ये बहुत ग्रामीण-गीत लगता है । ग्रामीण भावनाओं से ओतप्रोत । किशोर कुमार ने आमतौर  पर ऐसे गीत नहीं गाए । इसलिए ये गीत उन्‍हें एकदम अलग मिज़ाज में पेश करता है । इंदीवर ने लिखा । संगीत कल्‍याण जी आनंद जी का । सन 1971 में आई थी फिल्‍म छोटी बहू । कलाकार थे राजेश खन्‍ना और शर्मिला टैगोर ।

तो चलिए नॉस्‍टेलजिक हो जाएं । गाने की अवधि है तीन मिनिट बीस सेकेन्‍ड
हे रे कन्‍हैया किसको कहेगा तू मैया
जिसने तुझको जन्‍म दिया के जिसने तुझको पाला
मानी मान्‍यताएं और देवी-देव पूजे पीर सही देवकी ने
दूध में नहलाने का गोद में खिलाने का सुख पाया यशोदा जी ने
एक ने तुझको जीवन दिया रे एक ने जीवन संभाला
कन्‍हैया किसको कहेगा तू मैया ।।
मरने के डर से भेज दिया घर से देवकी ने रे गोकुल में
बिना दिये जन्‍म यशोदा बनी माता, तुझको छुपाया आंचल में
एक ने तन को रूप दिया रे, एक ने मन को ढाला
कन्‍हैया किसको कहेगा तू मैया ।।
जन्‍म दिया हो चाहे पाला हो किसी ने, भेद ये ममता ना जाने
कोई भी हो जिसने दिया हो प्‍यार मन का मन को मान उसी का
कोई भी हो जिसने दिया हो प्‍यार मां का, मन तो मां उसी को माने
एक ने तुझको दी है रे आंखें, एक ने दिया उजाला ।
कन्‍हैया किसको कहेगा तू मैया ।

11 comments:

  1. thanks for beautiful geet

    ---आपका हार्दिक स्वागत है
    गुलाबी कोंपलें

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  2. फिर एक ऐसी पोस्ट जिसे सुन कर मैं यूनुस को रसखान कहूंगा!

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  3. क्या हमारे बीच कुछ टेलीपैथी जैसा है ? इस गीत को मैं अपनी श्रृंखला पोटली गीतों की में लेने ही वाली थी, पता नहीं मेरे मन की आवाज़ ममता जी तक कैसे पहुँच गई…

    चलिए यहाँ यह गीत अच्छा लगा।

    यहाँ मैं आपको बता दूँ यह ग्रामीण परिवेश का गीत नहीं है। शायद आपने यह फ़िल्म नहीं देखी है। यह एक लोक संस्कृति है। आजकल शायद यह दिखाई नहीं दे रही, पर पहले कुछ लोग अपने कपड़े और फूलों से अपने आप को सजाते और हाथ में एकतारा लेकर सुबह-सवेरे इस तरह भक्ति गीत गाते हुए घर-घर जाकर भिक्षा माँगते थे। घर में सुबह भक्ति संगीत की गूँज इस तरह अच्छी लगती थी इसीलिए लोग इनका आना पसन्द करते थे।

    इस फ़िल्म में भी निरूपा राय के घर में रोज़ ऐसे ही यह गीत गूँजा करता है। निरूपा राय के देवर बने है राजेश खन्ना और उनकी पत्नी बनी है शर्मिला टैगोर जो रोगी है उसे फ़ीट्स आते है। निरूपा राय और शर्मिला टैगोर के चरित्र देवकी और यशोदा जैसे ही है, इनके घर निरूपा राय का मुन्ना भी है।

    चूंकि किशोर कुमार भी बंगाली है और इस लोक संस्कृति को समझते है इसीलिए गीत इतना जानदार है, हालांकि किशोर कुमार के गाए भजन कम है।

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  4. अन्‍नपूर्णा जी शुक्रिया इस जानकारी के लिए ।

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  5. बहुत खुबसूरत गीत, कई बार रेडियो पर ही सुना था वर्षों पहले.

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  6. ये गाना वाकई में किशोर दा द्वारा गाये गानों में अलग है.

    ग्रामीण परिवेष और लोक संस्कृति में फ़रक कम ही है, क्यॊंकि अब गांवों में ही तो संस्कृति बची है.

    ये भजन संपूर्ण रूप से भक्ति भजन है,क्योंकि, दूसरे गीत जैसे जय गोविंदम जय गोपालम, या पग घूंघरू बांध मीरा नाची थी कोमेडी गीत थे.

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  7. सुँदर भक्ति - गीत है ममता जी और युनूस भाई ...
    आशा है आगे भी शीघ्र , यूँ ही
    सुनने को मिलता रहेगा .
    बहुत स्नेह के साथ,
    - लावण्या

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  8. हमारे घर पर मथुरा में जन्माष्टमी पर ये हर बार बजता है। पहले कई बार चित्रहार में भी देखा है। इसे सुनवाने का बहुत बहुत शुक्रिया ।

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  9. Yunusbhai
    Nice song. Thanx.
    -Harshad Jangla
    Atlanta, USA

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  10. वाह युनुश सर सचमुच कमल का गीत है . आप को कोटि कोटि धन्यवाद इस गीत के लिए

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