Thursday, November 13, 2008

फिल्‍म 'छोटी-सी बात के गीत-दूसरी कड़ी--'देखो बसंती बसंती होने लगे मेरे सपने' ।।

रेडियोवाणी पर इन दिनों हम फिल्‍म 'छोटी-सी बात' के गाने सुन रहे हैं । ये फिल्‍म सन 1975 में आई थी और बी.आर.चोपड़ा ने इसे बनाया था । पिछली कड़ी में मैंने आपको बताया था कि किस तरह चोपड़ा साहब फिल्‍म दास्‍तान के नाकाम होने से दुखी हो गए थे और उन्‍होंने दो तीन छोटी फिल्‍मों पर हाथ आज़माया था । मुझे लगता है कि अगर ये सिलसिला आगे भी जारी रहता तो हिंदी सिनेमा को कुछ शानदार गाने मिलते और मिलती कुछ शानदार कथानकों वाली फिल्‍में । मेरे पास 'छोटी सी बात' की डी.वी.डी. बरसों से है और ममता अकसर शिकायत करती रहती हैं कि क्‍यों तुम इस फिल्‍म के पीछे पड़े रहते हो । दरअसल ये फिल्‍म है ही इतनी 'इन्‍फैक्‍शस' ।

मैंने 'डाउन मेमरी लेन' पर पढ़ा कि अमोल पालेकर की तीन शुरूआती फिल्‍में amol-palekar थीं--रजनीगंधा ( 1974), छोटी सी बात (1975) और चितचोर (1976) । ये तीनों फिल्‍में ही सिल्‍वर जुबली रही थीं । और अचानक ही अमोल एक स्‍टार बन गए थे । सामान्‍य शक्‍लो-सूरत के बावजूद अमोल को लोगों का प्‍यार मिला और अपनी प्रतिभा के सहारे उन्‍होंने आगे चलकर बतौर निर्देशक भी खूब ख्‍याति पाई ।

तो चलिए आज 'छोटी-सी बात' का एक और गीत सुनते हैं जो मुझे बहुत पसंद है । मुकेश की आवाज़ में ये गीत है--ये दिन क्‍या आये लगे फूल
हंसने । सलिल दा ने इस गाने का सिग्‍नेचर म्‍यूजिक कितना कमाल बनाया है । और इसके बाद आती है मुकेश की गाढ़ी आवाज़ । सलिल दा कितने मनोयोग से कोई गीत बुनते थे उसकी मिसाल है ये गाना । सारे इंटरल्‍यूड, सारा म्‍यूजिक अरेन्‍जमेन्‍ट इतना अनूठा है कि बस मन बह जाता है साथ में ।
तो आईये अपने सपनों को बासंती करें ।




ये दिन क्‍या आये लगे फूल हंसने
देखो बसंती बसंती होने लगे मेरे सपने ।।
सोने जैसी हो रही है हर सुबह मेरी
लगे हर सांझ अब गुलाल से भरी
चलने लगी महकी हुई पवन मगन झूमके
आंचल तेरा चूमके ।
ये दिन क्‍या आए ।।
वहां मन बावरा आज उड़ चला
जहां पर है गगन सलोना सांवला
जाके वहीं रख दे कहीं मन रंगों में खोलके
सपने ये अनमोल से ।
ये दिन क्‍या आए ।।
इसके बाद 'छोटी सी बात' का एक ही गीत बचा रहता है 'जानेमन जानेमन' जिसकी चर्चा दो दिन बाद की जायेगी । इस गाने का वीडियो ये रहा ।

11 comments:

  1. आज कार्तिक पूर्णिमा है । सवेरे के साढे नौ भी नहीं बजे हैं और आपने तो अभी ही चांदनी फैला दी, चमेली महका दी ।

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  2. kaatik kii subah hai..ye geet..bachpan me kheench le gaya.. jab hum badey ho rahey the...aas pass radio bajtey the..dheron smritiyaan..gunguni

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  3. युनुस भाई.. पहले लिंक में कुछ एरर दे रहा है और दुसरे लिंक में विडियो नोट एक्जिस्ट बता रहा है.. कुछ कीजिये..

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  4. ये फिल्म मैने कोई २-३ बार तो देखी होगी और गाने तो बहुत सुने हैं।

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  5. इतना सुमधुर गीत सुनवाने के लिए आभारी हूँ।

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  6. एक बात बताइये इस फ़िल्म के अलावा कभी 'चिकेन आलाफूस' नामक रेसिपी आपने कभी सुनी है? इस रेसिपी के साथ कई किस्से हैं, हमारे दोस्त मंडली में. फ़िल्म देखने के बाद कई जगह तलाश की गई इसकी, पर आजतक नहीं मिली.

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  7. प्रशांत । गाना बज रहा है बाक़ायदा । ज़रा फिर से चेक करो । अभिषेक चिकेन आलाफूस पर बाक़ायदा एक पोस्‍ट बनती है । इंतज़ार रहेगा ।

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  8. जानेमन-जानेमन का इन्तजार रहेगा।

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  9. मधुर गीत सुनवाने के लिए आभार...

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  10. युनूस भाई , बहुत अच्छी लगी ये प्रस्तुति पिछला गीत भी पसँद आया -
    Give us such memorable songs to listen
    - लावण्या

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  11. बहुत सुंदर प्रस्तुति। पुरानी यादे ताज़ा करती।

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