लेकिन आज मैं एक ऐसा गीत लेकर आया हूं जो पिछले कई महीनों से
गायकी अंग में ये गाना बेहतर है । लेखन में ठीक ठाक है । पर जहां तक संगीत की बात है तो आमतौर पर हम हिमेश रेशमिया से इस तरह के गाने बनाने की उम्मीद कम ही करते हैं ।
तो सुनिए ये विकल गाना और बताईये कैसा लगा ।
मैं जहां रहूं, मैं कहीं भी हूं, तेरी याद साथ है ।
किसी से कहूं कि न कहूं ये जो दिल की बात है ।।
कहने को साथ अपने इक दुनिया चलती है
पर चुपके से इस दिल में तन्हाई पलती है
बस याद साथ है, तेरी याद साथ है ।
कहीं तो दिल में यादों की इक सूली गड़ जाती है
कहीं हरेक तस्वीर बहुत ही धुंधली पड़ जाती है
कोई नयी दुनिया के नये रंगों में खुश रहता है
कोई सब कुछ पाके भी ये मन ही मन कहता है ।
कहने को साथ अपने इक दुनिया चलती है
पर चुपके से इस दिल में तन्हाई पलती है
बस याद साथ है, तेरी याद साथ है ।
कहीं तो बीते कल की यादें दिल में उतर जाती हैं ।
कहीं जो धागे टूटे तो मालाएं बिखर जाती हैं
कोई दिल में जगह नई बातों के लिए रखता है
कोई अपनी पलकों पर यादों के दिये रखता है
कहने को साथ अपने इक दुनिया चलती है
पर चुपके से इस दिल में तन्हाई पलती है
बस याद साथ है, तेरी याद साथ है ।
हिमेश जी बहुत टेलेंटेड हैं. कहीं से कुछ भी कॉपी कर पेश कर सकते हैं.
ReplyDeleteचाहे संगीत किसी का भी हो, है तो दिल को सुकून देने वाला ही न. इस सुमधुर गीत को सुनवाने के लिए आपका तहे दिल से शुक्रिया.
ReplyDeleteक्या बात है। चलिए घटिया फिल्मो के चलते कुछ अच्छे गीत तो बन ही जाते है।
ReplyDeleteपिछले दिनों संगीत के नाम पर जो शोर सुनाई दिया है उसमें ये गीत वाक़ई एक तसल्ली देता है. कई बार ऐसा हुआ है यूनुस भाई कि धुन ने गीत को लम्बी उम्र दी है जबकि उसमें कविता कमज़ोर रही है.यहीं आकर यह साबित हो जाता है कि मौसिक़ी की ताक़त कविता से बड़ी है.होता भी है न कि बोल याद नहीं रहते और हम धुन गुनगुनाते ही रहते हैं.एक अच्छी रविवारीय भेंट....
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया गाना है.. जब बहुत नौस्टैल्जिक फील करता हूँ तो ये गाना जरूर सुनता हूँ..
ReplyDeleteमैंने बहुत पहले इस गीत को अपने ब्लौग पर पोस्ट किया था.. मुझे अपनी वो पोस्ट बहुत पसंद है.. कभी मौका मिले तो पढिएगा..
http://prashant7aug.blogspot.com/2007/11/blog-post.html
ye avaaz bahut kamaal hai...
ReplyDeleteदिल को सुकून देने वाले गीत को सुनवाने के लिये बहुत बहुत शुक्रिया ......।
ReplyDeleteये गीत पिछले साल मेरी वार्षिक संगीतमाला की सातवीं पायदान
ReplyDeleteपर था। हीमेश में मुझे एक गायक की अपेक्षा बतौर संगीत निर्देशक ज्यादा संभावनाएँ दिखती हैं। तेरे नाम में भी उनका संगीत मेलोडियस था।
उम्दा पेशकश यूनुस भाई! धन्यवाद!
ReplyDeleteटी.वी.पर फ़िल्म तो देखी थी पर ये गीत तो याद ही नही है।
ReplyDeleteहमें बस इतना पता है कि ये गाना हमें बहुत अच्छा लगता है।
ReplyDeletemera favorite ganaa sunwaane ka dhayawaad....
ReplyDeleteबड्डे
ReplyDeleteबधाई हो
मनो आप भूल गए लगत है
राहत भज्जा को बो बारो गीत चयाने रहो "छाप तिलक बारो "