Sunday, June 15, 2008

मैं जहां रहूं, मैं कहीं भी रहूं-राहत फतेह अली ख़ां ।।

आमतौर पर रेडियोवाणी में नए गाने कम सुनवाए जाते हैं ।
लेकिन आज मैं एक ऐसा गीत लेकर आया हूं जो पिछले कई महीनों से rahatलगातार सुनता रहा हूं । और जो दिल को एक अजीब-सा सुकून देता रहा है  । अचरज की बात ये है कि ये 'नमस्‍ते लंदन' फिल्‍म का गीत है । जो आई और भुला भी दी गयी । पर राहत फतेह अली खां और कृष्‍णा की आवाज़ों में जावेद अख्‍तर का ये नग़मा काफी कुछ सूफि़याना अंदाज़ का गाना है । इसमें एक अजीब-सी विकलता है ।
गायकी अंग में ये गाना बेहतर है । लेखन में ठीक ठाक है । पर जहां तक संगीत की बात है तो आमतौर पर हम हिमेश रेशमिया से इस तरह के गाने बनाने की उम्‍मीद कम ही करते हैं ।
तो सुनिए ये विकल गाना और बताईये कैसा लगा ।


मैं जहां रहूं, मैं कहीं भी हूं, तेरी याद साथ है ।
किसी से कहूं कि न कहूं ये जो दिल की बात है ।।
कहने को साथ अपने इक दुनिया चलती है
पर चुपके से इस दिल में तन्‍हाई पलती है
बस याद साथ है, तेरी याद साथ है ।
कहीं तो दिल में यादों की इक सूली गड़ जाती है
कहीं हरेक तस्‍वीर बहुत ही धुंधली पड़ जाती है
कोई नयी दुनिया के नये रंगों में खुश रहता है
कोई सब कुछ पाके भी ये मन ही मन कहता है ।
कहने को साथ अपने इक दुनिया चलती है
पर चुपके से इस दिल में तन्‍हाई पलती है
बस याद साथ है, तेरी याद साथ है ।
कहीं तो बीते कल की यादें दिल में उतर जाती हैं ।
कहीं जो धागे टूटे तो मालाएं बिखर जाती हैं
कोई दिल में जगह नई बातों के लिए रखता है 
कोई अपनी पलकों पर यादों के दिये रखता है
कहने को साथ अपने इक दुनिया चलती है
पर चुपके से इस दिल में तन्‍हाई पलती है
बस याद साथ है, तेरी याद साथ है ।

13 comments:

  1. हिमेश जी बहुत टेलेंटेड हैं. कहीं से कुछ भी कॉपी कर पेश कर सकते हैं.

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  2. चाहे संगीत किसी का भी हो, है तो दिल को सुकून देने वाला ही न. इस सुमधुर गीत को सुनवाने के लिए आपका तहे दिल से शुक्रिया.

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  3. क्या बात है। चलिए घटिया फिल्मो के चलते कुछ अच्छे गीत तो बन ही जाते है।

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  4. पिछले दिनों संगीत के नाम पर जो शोर सुनाई दिया है उसमें ये गीत वाक़ई एक तसल्ली देता है. कई बार ऐसा हुआ है यूनुस भाई कि धुन ने गीत को लम्बी उम्र दी है जबकि उसमें कविता कमज़ोर रही है.यहीं आकर यह साबित हो जाता है कि मौसिक़ी की ताक़त कविता से बड़ी है.होता भी है न कि बोल याद नहीं रहते और हम धुन गुनगुनाते ही रहते हैं.एक अच्छी रविवारीय भेंट....

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  5. बहुत ही बढ़िया गाना है.. जब बहुत नौस्टैल्जिक फील करता हूँ तो ये गाना जरूर सुनता हूँ..
    मैंने बहुत पहले इस गीत को अपने ब्लौग पर पोस्ट किया था.. मुझे अपनी वो पोस्ट बहुत पसंद है.. कभी मौका मिले तो पढिएगा..

    http://prashant7aug.blogspot.com/2007/11/blog-post.html

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  6. दिल को सुकून देने वाले गीत को सुनवाने के लिये बहुत बहुत शुक्रिया ......।

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  7. ये गीत पिछले साल मेरी वार्षिक संगीतमाला की सातवीं पायदान
    पर था। हीमेश में मुझे एक गायक की अपेक्षा बतौर संगीत निर्देशक ज्यादा संभावनाएँ दिखती हैं। तेरे नाम में भी उनका संगीत मेलोडियस था।

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  8. उम्दा पेशकश यूनुस भाई! धन्यवाद!

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  9. टी.वी.पर फ़िल्म तो देखी थी पर ये गीत तो याद ही नही है।

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  10. हमें बस इतना पता है कि ये गाना हमें बहुत अच्छा लगता है।

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  11. mera favorite ganaa sunwaane ka dhayawaad....

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  12. बड्डे
    बधाई हो
    मनो आप भूल गए लगत है
    राहत भज्जा को बो बारो गीत चयाने रहो "छाप तिलक बारो "

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